कोठे से उठकर बॉलीवुड की पहली सुपरस्टार बनी 16 साल की लड़की, भारत की दूसरी बोलती फिल्म में आई थीं नजर
असली जुनून कैसा होता है? जब कोई अपने पसंदीदा व्यक्ति के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाता है। भारत की पहली महिला सुपरस्टार के लिए कुछ ऐसा ही जुनून लोगों में था और हो भी क्यों ना आखिर उन्होंने बड़े संघर्षों को पार करके सफलता हासिल की थी।
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कोठे से उठकर बनकर बनीं बॉलीवुड की पहली सुपरस्टार
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। बॉलीवुड सितारों को लेकर भारतीय लोगों की दीवानगी अलग ही है, वे अपने सितारों को आइडियल भी मानते हैं और उनकी फिल्मों का भी बेसब्री से इंतजार करते हैं। भारत की पहली महिला सुपरस्टार के लिए भी ऐसी ही दीवानगी थी, जिन्होंने सिर्फ 16 साल की उम्र में अपार सफलता का स्वाद चखा था। उनकी लोकप्रियता इतनी ज्यादा थी कि एक तांगा चलाने वाले ने कथित तौर पर उनकी फिल्म 22 बार देखी और अपने जुनून को पूरा करने के लिए अपना घोड़ा भी गिरवी रख दिया।
बदनाम गलियों से सिनेमा तक का सफर
यह कहानी है कज्जनबाई (Kajjanbai) की जो एक प्रसिद्ध गायिका और अभिनेत्री थीं। लखनऊ की बदनाम गलियों में जन्मी, उन्होंने तवायफों की दुनिया से आजादी पाई और शाही दरबारों तक पहुंचीं। लोग उनके गायन से बहुत प्रभावित हो जाते थे, उन्होंने मुख्य नायिका के रूप में भी काम किया और अपार सफलता प्राप्त की। अपने चरम पर उन्होंने एक राजकुमारी की तरह विलासितापूर्ण जीवन जिया।
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मां से मिली प्रतिभा की विरासत
कज्जनबाई का जन्म 15 फरवरी 1915 को लखनऊ में सुग्गनबाई नामक एक प्रसिद्ध वैश्या के यहां हुआ था। उनका असली नाम जहांआरा कज्जन था। सुग्गनबाई अपनी संगीत सभाओं के लिए प्रसिद्ध थीं, जिनमें अक्सर धनी लोग शामिल होते थे। हालांकि जब समाज ने वेश्याओं और रेड-लाइट इलाकों का विरोध करना शुरू किया, तो उनमें से कई ने खुद को प्रदर्शनकारी कलाकारों के रूप में फिर से स्थापित किया। कज्जनबाई को अपनी मां की प्रतिभा विरासत में मिली थी और उन्होंने कला को पूरे जुनून के साथ अपनाया।
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कैसे मिली भारत की दूसरी बोलती फिल्म?
बचपन से ही वे संगीत से जुड़ी रहीं। सुग्गनबाई ने कज्जन को पटना भेजा जहां उन्होंने अंग्रेजी और उर्दू के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत भी सीखा। यही कारण है कि कज्जन की हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी पर असाधारण पकड़ थी। कज्जनबाई जल्द ही गजल, ठुमरी और कविताएं गाने लगीं और उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ने लगी। एक दिन निर्माता जमशेद मदन ने उनकी प्रतिभा पर ध्यान दिया और उन्हें अपनी फिल्म में ले लिया। उस समय वे भारत की दूसरी बोलती फिल्म "शिरीन फरहाद" बना रहे थे और बस इसी तरह कज्जनबाई फिल्म इंडस्ट्री में आ गईं।
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शुरुआत में वह अपनी गायकी के लिए जानी जाती थीं। उनके परफॉर्मेंस को खूब सराहा जाता था और वह एक शो से ₹250-300 कमाती थीं, जो उस दौर के हिसाब से एक अच्छी-खासी रकम थी। एक गायिका के रूप में उनकी बढ़ती प्रसिद्धि ने उन्हें "शिरीन फरहाद" (Shirin Farhad) में अभिनय की शुरुआत करने का रास्ता दिखाया, जहां उन्होंने कई गानों में अपनी आवाज भी दी।

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