JFF 2024: आप भी बनना चाहते हैं एक कामयाब एक्टर, Pankaj Kapur की 'सहज पके सो मीठा होय' ये सलाह आएगी बहुत काम
बॉलीवुड के मंझे हुए कलाकार पंकज कपूर ने अपने पूरे फिल्मी करियर में कई यादगार फिल्में दी हैं। साल 1982 में उन्होंने हॉलीवुड डायरेक्टर रिचर्ड एटनबर्ग के निर्देशन में बनी फिल्म गांधी से अभिनय की दुनिया में कदम रखा था। हाल ही में जागरण फिल्म फेस्टिवल में शामिल हुए पंकज कपूर ने अभिनय करने की चाह रखने वाले यंगस्टर्स को एक ऐसी सलाह दी जो उनके लिए फायदेमंद होगी।
शालिनी देवरानी, नई दिल्ली। इंस्टाग्राम के दौर में सभी फॉलोअर्स बढ़ाकर जल्दी से पॉपुलर होना चाहते हैं, लेकिन ‘सहज पके सो मीठा होय’ पर भरोसा करते हुए उन्हें खुद को तराशने पर काम करना चाहिए। तभी आप लंबे समय तक टिके रह सकते हैं। जल्दी मिली सफलता आपके हाथ से जल्दी ही फिसल भी जाएगी। ये पंकज कपूर ने बृहस्पतिवार को जागरण फिल्म फेस्टिवल में कहा।
किसी भी फील्ड में सफल होने के लिए तालीम जरूरी - पंकज कपूर
पंकज कपूर हिंदी सिनेमा के वह अभिनेता हैं, जिन्होंने कई ऐसी फिल्म दर्शकों को दी हैं, जिन्हें वह एक बार नहीं, कई बार टेलीविजन पर देख सकते हैं। इस प्रतिष्ठित फेस्टिवल में शामिल हुए अभिनेता ने सामने बैठे फैंस का हौसला बढाते हुए कहा,
"आप सिर्फ फिल्मी जगत नहीं बल्कि किसी भी क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं तो पहले तालीम जरूर लें। टैलेंट एक नदी की तरह होता है। नदी में ज्यादा बहाव होता है तो बाढ़ आ सकती है, लेकिन अगर इसके किनारे पर बांध लगा दिया जाए तो ऊर्जा पैदा होती है। इसी तरह आप ज्यादा टैलेंटेड हैं तो प्रशिक्षण लेकर ही अपनी ऊर्जा को चैनलाइज कर सकते हैं"।
Photo Credit- JFF 2024
मकबूल में एक सीन के बाद विशाल भारद्वाज ने लगाया गले
फिल्म मकबूल में अपने किरदार पर बातचीत करते हुए पंकज कपूर ने कहा, मेरे लिए ये किरदार चुनौती भरा था इसलिए मैंने स्वीकार किया। फिल्म की शूटिंग सबसे मुश्किल सीन के साथ शुरू हुई और पहले ही शॉट के बाद निर्देशक विशाल भारद्वाज ने मुझे गले से लगा लिया। इसका श्रेय उन्होंने अभिनेता नसीरुद्दीन शाह को भी दिया, जिन्होंने इस किरदार के लिए उन्हें उचित समझा था।
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एक्टिंग में आने के सवाल पर उन्होंने बताया कि मेरी मां बच्चों को एक्टिंग सिखाती थीं, वही देखकर एक्टिंग का शौक लगा। 18 साल की उम्र तक फैसला कर लिया था कि एक्टिंग ही करनी है। ये बात माता-पिता को बताई तो उन्होंने सपोर्ट किया और पिता जी ने करियर बनाने से पहले सही ट्रेनिंग लेने का मशविरा दिया। इसके बाद मैंने नेशनल स्कूल आफ ड्रामा में दाखिला लिया।
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हुनर को निखारने में एनएसडी ने काफी सहयोग दिया। एक्टिंग, डायलॉग, चलने-फिरने से लेकर बातचीत करने तक की सीख मिली। युवाओं से कहा कि अगर आप अभिनय में करना चाहते हैं तो सिनेमा देखने के साथ खूब पढ़ें और क्षेत्रीय भाषाओं व बोलियों की भी समझ बढ़ाएं।
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