JFF 2024: खूबसूरत फिल्मों का गुलदस्ता है फिल्म फेस्टिवल, एनीमेशन से लेकर फीचर फिल्मों का रहा बोलबाला
जागरण फिल्म फेस्टिवल (Jagran Film Festival) में फिल्मी सितारों ने सिनेमा प्रेमियों से खुलकर बातचीत की। इसके अलावा एनीमेशन से लेकर फीचर फिल्मों को प्रदर्शित किया गया। सिनेमा प्रेमियों ने कार्यक्रम में दिखाई गई तमाम श्रेणियों की फिल्मों को सराहा। इस इवेंट की सफलता यह रही कि यहां अलग-अलग तरह की फिल्मों के साथ दर्शकों को कंटेंट की विविधता देखने को मिली।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। जागरण फिल्म फेस्टिवल के इस साल के संस्करण ने सिनेमा प्रेमियों को आकर्षित किया। फिल्मों के प्रति प्रेम रखने वाले लोगों ने शिरकत की और कार्यक्रम में दिखाई जाने वाली मूवीज के प्रति रुचि दिखाई। इस वर्ष 110 देशों से 5000 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों की मेजबानी कर रहा है। इनमें लघु फिल्में, एनिमेशन फिल्में और ढाई घंटे की कुल 500 फीचर फिल्में शामिल हैं। यह फिल्म फेस्टिवल देश के 18 शहरों में तीन महीने तक चलेगा, जिसका समापन मार्च 2025 में होगा। यह फेस्टिवल फिल्म प्रेमियों, निर्माताओं और निर्देशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है।
खूबसूरत फिल्मों का गुलदस्ता है फिल्म फेस्टिवल
जागरण फिल्म फेस्टिवल को लघु फिल्मों के लिए मील का पत्थर माना जा रहा है। यह कम बजट की लघु और फीचर फिल्मों को मंच प्रदान करता है। फ्रांस की लघु फिल्म 'आन द ब्रिज', जो केवल 4 मिनट लंबी है, अपने संवाद-रहित प्रस्तुति और बेमिसाल अभिनय के जरिए दर्शकों का दिल जीत रही है। हरियाणा की क्षेत्रीय फिल्म 'धारा का टेम' एक घरेलू महिला की जीवंत कहानी को प्रस्तुत करती है।
ढाई घंटे की फीचर फिल्मों का जादू
ईरानी फिल्म 'चाय' थ्रिलर शैली में अपनी दमदार पटकथा के साथ दर्शकों को अंत तक बांधे रखती है। यह बिना किसी भव्य सेटअप और नाच-गाने के प्रभावशाली प्रस्तुति का उदाहरण है। अन्य आकर्षक फिल्मों में 'इन्वेस्टीगेटर', 'बंगाल 1947', 'वी आर फहीम एंड करुण' (हिंदी-कश्मीरी फिल्म) और असमिया फिल्म 'विलेज रॉकस्टार' शामिल हैं।
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अंतरराष्ट्रीय फिल्मों का भी चला जादू
एनीमेशन फिल्म 'अप्पू: एलीफेंट लाइफ मैटर' और जर्मन फिल्म 'फॉल फ्रॉम द ग्रेस' अपनी सरलता और संवेदनशीलता के लिए याद की जाएंगी। यह फेस्टिवल युवाओं को फिल्म निर्माण के लिए प्रेरित करता है और एक व्यापक मंच प्रदान करता है।
Photo Credit- JFF
जागरण फिल्म फेस्टिवल अन्य महंगे फेस्टिवल्स से अलग है, क्योंकि यह सिनेमा को देश के ग्रामीण और दूरदराज इलाकों तक ले जाता है। हिंदी भाषा में संवाद करते हुए, यह फेस्टिवल दर्शकों को बॉलिवुड के आडंबर से परे एक आत्मीय अनुभव देता है।
महिला निर्देशकों को दिया गया सम्मान
फेस्टिवल ने महिला फिल्म निर्माताओं और निर्देशकों को प्रोत्साहन दिया है, जिससे उनकी भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जागरण फिल्म फेस्टिवल अपनी अनूठी विशेषताओं और विविधता के साथ भारतीय सिनेमा का एक सशक्त उदाहरण बन चुका है।
- रंजना यादव, भारतीय चित्र साधना की ट्रस्टी
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