Sholay लिखने वाले Javed Akhtar को इस वजह से प्रोड्यूसर्स ने किया बॉयकॉट, कहा- '27 पैसे लेकर बॉम्बे...'
जाने-माने स्क्रीन राइटर जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने हाल ही में अपनी जिंदगी के सबसे बुरे फेज को याद किया है। हिंदी सिनेमा को कई सुपरहिट कहानी देने वाले जावेद को कभी प्रोड्यूसर्स ने बॉयकॉट कर दिया था जिसने उन्हें अर्श से फर्श पर ला दिया था। जानिए इस बारे में।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। दिग्गज गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने हाल ही में अपनी जिंदगी के सबसे बुरे दिनों के बारे में बात की है। शोले (Sholay) लिखने वाले जावेद ने बताया कि कैसे उन्हें कॉपीराइट संशोधन अधिनियम 2012 की शुरुआत में अहम योगदान देने की कीमत चुकानी पड़ी थी। आलम यह था कि उन्हें बॉयकॉट कर दिया गया था।
कॉपीराइट संशोधन अधिनियम 2012 के तहत जावेद अख्तर ने गीतकार और संगीतकार के अधिकारों के लिए आवाज उठाई थी जो म्यूजिक इंडस्ट्री में कई लोगों को रास नहीं आया था और उन्हें बॉयकॉट किया गया था। मगर इसका उन पर कोई असर नहीं पड़ा।
इस वजह से जावेद के खिलाफ हुए थे प्रोड्यूसर्स
जावेद ने कहा कि मनोरंजन जगत से जुड़े लोगों को उनके खिलाफ यह सबसे पहले करना था। मिड-डे के साथ बातचीत में जावेद अख्तर ने बॉयकॉट होने की बात कबूली और कहा, "कोई फर्क नहीं पड़ता है। बहुत देर हो चुकी है। उन्हें यह सब 20 साल पहले करना था। अब क्या समस्या है? मैंने हमारे कुछ प्रोड्यूसर्स के साथ सन एंड सैंड में एक मीटिंग रखी थी जिनके साथ मैंने पहले भी काम किया है और जिनके लिए सुपरहिट फिल्में लिखी हैं।"
प्रोड्यूसर्स ने किया बॉयकॉट
जावेद ने पुराने दिन को याद करते हुए कहा, "वे वहां मौजूद थे और उन्होंने मेरा बॉयकॉट करने का प्रस्ताव पारित किया क्योंकि वे बहुत पढ़े-लिखे लोग नहीं हैं, इसलिए दो दिनों के अंदर ही किसी ने उन्हें बता दिया कि किसी का बॉयकॉट करना गैरकानूनी है। वह इसके खिलाफ अदालत जा सकता है। इसलिए उन्होंने बॉयकॉट करने से मना कर दिया। फिर उन्होंने तय किया कि जब तक यह समस्या हल नहीं हो जाती, वे मेरे साथ काम नहीं करेंगे। मैंने कई प्रोडक्शन खो दिए। आज भी वे मेरे साथ काम नहीं कर रहे हैं।"
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27 पैसे लेकर मुंबई आए थे जावेद अख्तर
शोले मूवी के राइटर ने आगे कहा, "तो मैं उनमें से एक से मिला, जिसने इस प्रस्ताव में भाग लिया था। मैंने उन्हें बताया कि 4 अक्टूबर 1964 को मैं अपनी जेब में 27 पैसे लेकर बॉम्बे सेंट्रल प्लेटफॉर्म पर उतरा था। कोई मुझे लेने आया था लेकिन जब मैं बॉम्बे में दाखिल हुआ तो मेरे पास 27 पैसे थे। मैंने रास्ते में खाना खाया। भोपाल से यह ढाई दिन का सफर था। इसलिए मैंने उनसे कहा कि मैं जहां से आया हूं, आप मुझे वहां नहीं ले जा पाएंगे।"
जावेद ने आगे कहा, "मैं 27 पैसे लेकर आया था। अब इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। तो क्या हुआ? कुछ नहीं। आप नहीं चाहते कि मैं लेखन का काम दूं, मत दीजिए। आपको यह पहले ही कर देना चाहिए था। तब तक मैं ठीक हो चुका था।" जावेद अख्तर ने बताया कि उन्होंने अपने करियर में बहुत बुरे दिन देखे हैं, लेकिन कभी भी सुसाइड का ख्याल नहीं आया।
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