Jagjit Singh Birth Anniversary: चित्रा को पसंद नहीं आई थी जगजीत सिंह की आवाज, साथ गाने से कर दिया था इनकार
Jagjit Singh Birth Anniversary सुरों के सरताज जगजीत सिंह की आवाज जितनी गहरी और सुकून देने वाली है उनकी निजी जिंदगी में भी उतने ही उतार-चढ़ाव हैं। संगीत की दुनिया में आना जगजीत सिंह की च्वाइस थी। उसी तरह चित्रा के साथ उनकी शादी भी किस्मत का खेल थी। वह गजल क्वीन चित्रा सिंह से कैसे मिले और उनकी प्रेम कहानी कैसे शुरू हुई जानिए इस बारे में।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Jagjit Singh Birth Anniversary: जगजीत सिंह संगीत की दुनिया के सबसे सुरीले और कामयाब गजल गायकों में शुमार हैं। इंसानी जज्बात को जिस तरह उन्होंने सुरों में पिरोया है, वैसा कम ही गायक कर पाये हैं।
जगजीत सिंह (Jagjit Singh) की खासियत यह भी रही कि उन्होंने गजल को सरल रूप में आम आदमी तक पहुंचाया, जो उनकी लोकप्रियता की सबसे बड़ी वजह रही। 25 साल का करियर और सैकड़ों गाने गाकर सिनेमा के 'गजल किंग' कहे जाने वाले जगजीत की आवाज में इतनी मिठास थी कि सुनने वालों के दिल के तार छेड़ दिया करते थे।
'चिट्ठी न कोई संदेश', 'कोई फरियाद', 'तुमको देखा तो' और 'तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो' जैसे इन सदाबहार गानों को भले ही सालों बीत गए हैं, लेकिन इन्हें आज भी बड़ी तसल्ली से सुना जाता है।
गानों की तरह जगजीत सिंह के मोहब्बत की दास्तां भी बड़ी मशहूर रही है। एक शादीशुदा महिला से प्यार और शादी की कहानी किसी रोमांटिक फिल्म से कम नहीं है। तो चलिए आपको गजल के राजा जगजीत और रानी चित्रा दत्ता के मोहब्बत की दास्तां से रूबरू कराते हैं...
शुरू से ही संगीत से था प्रेम
8 फरवरी 1941 को बिकानेर में जन्मे जगजीत सिंह पंजाब के जालंधर में पले-बढ़े। बचपन से ही उनमें संगीत का कीड़ा था। उन्होंने उस्ताद जमाल खान और पंडित चगन लाल शर्मा से संगीत की तालीम ली। भले ही पिता ने जगजीत को संगीत के गुण सिखाने के लिए प्रोत्साहित किया, लेकिन वह चाहते थे कि उनका बेटा इंजीनियर बने। मगर जगजीत को तो पहले से ही संगीज से इश्क हो गया था।
पढ़ाई के दौरान ही जगजीत सिंह संगीत से जुड़े छोटे-मोटे काम करने लगे थे। उन्हें ऑल इंडिया रेडियो (AIR) में कंपोजिंग असाइमेंट भी मिलने लगे थे। वह जिंगल्स वगैरह गाकर अपनी संगीत को और मजबूत करने लगे थे। एक रोज वह अपने माता-पिता को बिना बताए बॉम्बे (मुंबई) भाग आए और म्यूजिक की दुनिया में पहचान हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करने लगे।
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संगीत के साथ मिली मोहब्बत
जगजीत सिंह बॉम्बे संगीत के लिए आए थे, लेकिन यहां उन्हें जिंदगी भर की मोहब्बत मिल गई। जब 60 के दशक में वह बॉम्बे आए तो कुछ समय तक उन्होंने संघर्ष किया। तब किस्मत ने उनकी मुलाकात गजल की क्वीन चित्रा दत्ता (Chitra Dutta) से करवाई, जो आगे चलकर उनकी जीवनसंगिनी बनीं। हालांकि, जब दोनों की मुलाकात हुई, तब चित्रा पहले से ही शादीशुदा और एक बेटी की मां थीं।
पहली नजर का प्यार नहीं, थी नफरत
आपने कई पहली नजर का प्यार वाली कहानियां सुनी होंगी, लेकिन जगजीत सिंह और चित्रा दत्ता के साथ ऐसा बिल्कुल नहीं था। उनकी मोहब्बत की दास्तां नोक-झोंक से हुई थी। यहां तक कि फर्स्ट टाइम जगजीत की आवाज सुनकर चित्रा ने तो तौबा कर लिया था। एक बार चैट शो 'जीना इसी का नाम है' पर चित्रा दत्ता ने जगजीत संग अपनी पहली मुलाकात का किस्सा सुनाया था।
चित्रा ने बताया था कि उन्होंने जगजीत को पहली बार कहां देखा था और उनकी आवाज सुन क्यों तौबा कर लिया था। बकौल गायिका,
मैंने उन्हें पहली बार पड़ोसी के घर की बालकनी में देखा था, जहां वह गाना गाने के लिए आए थे। उन्हें नहीं पता था कि मैं उन्हें निहार रही हूं। गाने के बीच उन्होंने थोड़ा ब्रेक लिया था और बालकनी में आए थे। मैं अपनी बालकनी में खड़ी थी और उनकी आवाज सुन रही थी। जब वह बाहर आए तो मैंने उन्हें व्हाइट कलर टाइट पैंट और शर्ट में देखा। वह आए, टहले और चले गए।
चित्रा को नहीं पसंद आई थी जगजीत सिंह की आवाज
चित्रा ने इसी चैट शो में खुलासा किया था कि जब वह जगजीत उनके पड़ोस में गाना गा रहे थे, तब हर कोई उनकी आवाज का कायल हो गया था। मगर एक वही थीं, जिन्हें उनकी आवाज जरा भी रास नहीं आई। उन्होंने अपना माथा पकड़कर तौबा ही कर लिया था। चित्रा ने कहा था-
अगली सुबह मुझे किसी ने कहा कि एक नया लड़का है, जो बहुत अच्छा गाता है। मैंने पिछली रात में गाए हुए गाना का टेप सुना। हर किसी ने कहा, 'क्या आवाज है।' मैं सुना और कहा, 'तौबा, ये कोई आवाज है।'
पहली मुलाकात में हो गई थी लड़ाई
जगजीत सिंह और चित्रा दत्ता की पहली मुलाकात साल 1967 में एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में हुई थी। कहा जाता है कि उस वक्त चित्रा, जगजीत के साथ काम करने के लिए राजी नहीं थीं, क्योंकि उनकी आवाज पतली थी और जगजीत की आवाज भारी थी। फिल्मफेयर के साथ बातचीत में चित्रा जी ने बताया था-
मैं उनसे एक संगीत निर्देशक की रिकॉर्डिंग के दौरान मिली थी। जगजीत जी के बारे में मेरी पहली याद यह है कि जब मैंने दरवाजा खोला तो उनका हाथ उस पर था, वे लगभग सोए हुए थे। फिर वह अंदर आए, कमरे के कोने में चले गए और सो गए।
मैंने म्यूजिक डायरेक्टर से कहा कि उनकी आवाज बहुत भारी है और मैं उनके साथ ड्यूट गीत नहीं गा पाऊंगी।
कहा जाता है कि चित्रा के साथ गाने से मना करने पर जगजीत सिंह भी काफी नाराज हो गए थे। हालांकि, बाद में चित्रा ने जगजीत के साथ गाने के लिए राजी हो गई थीं।
चित्रा के पति से मांगा था हाथ
जगजीत सिंह और चित्रा दत्ता का साथ किस्मत में लिखा था। यही वजह थी कि देबो प्रसाद दत्ता के साथ शादी में रहने के बावजूद जगजीत और चित्रा का साथ मुकम्मल हो पाया। 60 दशक के आखिरी दौर में चित्रा को पता चला कि उनके पति का किसी और के साथ अफेयर चल रहा है तो वह टूट गई थीं। वह पति को छोड़कर अलग रहने लगी थीं। उन्होंने लोगों से बात करना भी बंद कर दिया था। मगर जगजीत उन चुनिंदा दोस्तों में से एक थीं, जिनके वह टच में थे।
एक रोज जगजीत सिंह ने धड़ल्ले से बिना हिचकिचाए चित्रा के सामने शादी करने का प्रस्ताव रख दिया। मगर उस वक्त वह कन्फ्यूज थीं, क्योंकि उनका देबो प्रसाद से तलाक चल रहा था। हैरानी की बात तो तब थी, जब जगजीत चित्रा के पूर्व पति से उनका हाथ मांगने चले गए थे। उन्होंने देबो से कहा था, "मैं आपकी पत्नी से शादी करना चाहता हूं।"
एक घटना ने बदल दी थी जिंदगी
जगजीत सिंह और चित्रा दत्ता ने साल 1969 में बिना किसी धूमधाम के मंदिर में शादी कर ली थी। दोनों की पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ बहुत अच्छी चल रही थी। उनका एक बेटा भी हुआ, जिसका नाम विवेक था। चित्रा और जगजीत की खुशहाल जिंदगी में उस वक्त ग्रहण लगा, जब उन्होंने मात्र 19 साल की उम्र में अपने बेटे को हमेशा के लिए खो दिया था। बेटे की मौत का सदमा ऐसा लगा कि चित्रा और जगजीत ने करीब एक साल के लिए म्यूजिक से दूरी बना ली थी।
बाद में धीरे-धीरे जगजीत ने गायिकी में वापसी की, लेकिन चित्रा ने हमेशा के लिए संगीत से अलविदा ले लिया। दोनों म्यूजिक इंडस्ट्री को कई हिट गानों और गजल से नवाजा है। उन्हें गजल की क्वीन और किंग कहा जाता है।
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