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    'जब मैं किसी के साथ रोमांस...' Sunny Deol ने बताया लोगों को पसंद है उनका गुस्सा, वो प्यार नहीं देखते

    सनी देओल इन दिनों अपनी फिल्म जाट से साउथ में भी अपने ढाई किलो के हाथ का दम दिखा रहे हैं। फैंस उनकी फिल्म को काफी प्यार दे रहे हैं। एक्टर को ज्यादातर पर्दे पर गुस्से वाले रोल करते ही देखा गया है। कभी वो हैंडपंप उखाड़ते हैं तो अपनी लेटेस्ट फिल्म में वो पंखा उखाड़ते नजर आए। हाल ही में एक्टर ने इस पर रिएक्ट किया।

    By Surabhi Shukla Edited By: Surabhi Shukla Updated: Sun, 13 Apr 2025 02:07 PM (IST)
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    फिल्म जाट में सनी देओल का सीन (Photo: Instagram)

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। सनी देओल की नई एक्शन फिल्म जाट रिलीज हो चुकी है। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार प्रदर्शन कर रही है। इस फिल्म में एक्टर ने बलबीर सिंह का किरदार निभाया है जो अपने गांव वाले लोगों के लिए खड़ा होता है।

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    अब एक इंटरव्यू में सनी देओल ने बताया कि उन्हें ऐसे किरदार निभाना पसंद है जिसमें एक्टर को काफी ज्यादा गुस्सा आता है। सनी ने कहा कि वो ऐसे किरदार को वास्तविक और स्वाभाविक बनाने की कोशिश करते हैं।

    सनी देओल को क्यों आता है गुस्सा

    सनी देओल ने कहा कि हर भावना महत्वपूर्ण है और उन्हें गुस्सा तभी आता है जब कोई बात उन्हें बहुत परेशान करती है। उन्होंने बताया कि उनकी फिल्म के किरदार भी मुश्किल दौर से गुजरते हैं और वापस लड़ते हैं। बॉलीवुड लाइफ को दिए इंटरव्यू में सनी ने कहा,"हर चीज एक इमोशन होती है। निश्चित रूप से गुस्सा आता है क्योंकि जब कुछ चीज तंग करती है वह तब गुस्सा आता है। फिल्म में भी जब कैरेक्टर प्ले कर रहा होता हूं जब फेज होते हैं तो वो बात होती है। वो किरदार खड़ा हो जाता है और लड़ता है। ज्यादातर लोगों को वही याद है, जब मैं किसी से रोमांस कर रहा हूं वो याद नहीं है।"

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    मैं सीन में डूब जाता हूं - सनी

    सनी देओल ने कहा कि वह अपने हर किरदार के साथ न्याय करने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा, "हम अभिनेता हैं और हमें जो भी किरदार निभाना है, उसे विश्वसनीय बनाना चाहिए और मैं इसी ईमानदारी के साथ ऐसा करता हूं।

    बाकी मुझे नहीं पता कि क्या होता है, मैं बस उस सीन में उस पल में खुद को डुबो लेता हूं। फिर मैं इसे महसूस करना चाहता हूं और चाहता हूं कि ऐसा हो। जब ऐसा होता है, तो हम खुश और संतुष्ट महसूस करते हैं क्योंकि यह सच लगता है। खुद को पता होता है कब गलत कर रहा हूं, कब सही कर रहा हूं। पर जब कहते हैं फिर से करो तो वो नहीं होता।

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