Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    फिल्‍म का नाम 'ग्राउंड जीरो'.. 'रोमांस किंग' को लीड एक्‍टर क्‍यों चुना; एक साथ दो मूवी की रिलीज पर क्‍या बोले डायरेक्‍टर?

    सच्‍ची घटनाओं पर आधारित फिल्में- देवमाणूस और ग्राउंड जीरो दोनों 25 अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही हैं। इन फिल्‍मों का निर्देशन तेजस प्रभा विजय देवस्कर ने किया है। एक साथ दो मूवी पर काम करना कश्‍मीर से नाता एक्‍टर का सलेक्‍शन और इनकी शूटिंग के दौरान आने वाले चैलेंज समेत कई सवालों के जवाब यहां पढ़ें-

    By Smita Srivastava Edited By: Deepti Mishra Updated: Mon, 21 Apr 2025 06:42 PM (IST)
    Hero Image
    ग्राउंड जीरो के निर्देशक तेजस प्रभा विजय देवस्कर से बातचीत।

    स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। वास्तविक घटनाओं पर आधारित फिल्मों में इमरान हाशमी अभिनीत फिल्म ग्राउंड जीरो भी शामिल हो रही है, जिसमें उन्होंने बीएसएफ कमांडेंट नरेंद्र नाथ धर दुबे का किरदार निभाया है। दुबे ने जैश-ए- मोहम्मद के कमांडर गाजी बाबा को मार गिराने वाले ऑपरेशन का नेतृत्व किया था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस फिल्म का निर्देशन तेजस प्रभा विजय देवस्कर ने किया है। उनकी मराठी फिल्म देवमाणूस और ग्राउंड जीरो दोनों 25 अप्रैल को ही सिनेमाघरों में रिलीज हो रही हैं।

    यहां पढ़ें तेजस प्रभा विजय देवस्कर से दैनिक जागरण की खास बातचीत...

    सवाल: आपकी दोनों फिल्में एक ही दिन रिलीज हो रही हैं। कठिन रहा होगा, दोनों पर साथ काम करना?

    • कठिन रहा, लेकिन इसकी शिकायत नहीं है। समय ज्यादा देना पड़ता है। एक साथ आ रही है, इसकी खुशी है। दो अलग तरह की फिल्में हैं, अलग कलाकार हैं। एक ही दिन दो पेपर देने जैसा है। अगर वह फिल्में पसंद आएंगीं, तो उन दो फिल्मों पर परखा जाऊंगा। इससे यह साबित होगा कि मुझमें दो अलग तरह की फिल्में बनाने की क्षमता है।

    सवाल: देवमाणूस फिल्म का विषय क्या है, मराठी और हिंदी सिनेमा के बीच सबसे बड़ा अंतर क्या महसूस करते हैं?

    • कभी-कभी वह समय आता है कि आपको चुनना पड़ता है, जो नियम में नहीं है, लेकिन उसे करना आवश्यक है। मन में दुविधा होती है, उसमें चुनाव करने होते हैं, जिससे हो सकता है व्यक्तिगत रूप से तकलीफें उठानी पड़े, लेकिन जो नतीजा होता है, वह बड़े स्तर का होता है। ऐसा समय जब किरदार के जीवन में आता है तो वह क्या करता है। उस पर फिल्म है।

    सवाल: कश्मीर से कैसा नाता रहा है?

    • मैं साल 2019 में आर्टिकल 370 हटने से दो महीने पहले कश्मीर या था। वहां का माहौल अलग था । यह कहानी दिमाग में थी, जिस पर काम कर रहे थे। साल 2022 में रेकी करने जब गए, तब लगा पूरा कश्मीर बदल गया है। वहां के लोग खुद कह रहे हैं। वहां पर पर्यटन मुख्य व्यापार है।

    साल 2022 में वहां सर्वाधिक पर्यटक आए थे। आर्टिकल 370 हटने के बाद जो लोग कहते हैं कि वहां का माहौल सकारात्मक नहीं है, उन्हें एक बार जाकर वह महसूस करना चाहिए कि कितना बड़ा बदलाव है।

    सवाल: फिल्म का नाम ग्राउंड जीरो रखने की क्या वजह रही?

    • ग्राउंड जीरो नाम चाहे 9/11 के बाद प्रसिद्ध हुआ हो, लेकिन यह तबाही के क्षेत्र का वर्णन करने के लिए व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द बन गया है। दुनिया में कहीं भी ग्राउंड जीरो नहीं होना चाहिए। कश्मीर में कई वर्षों से है।

    हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में बड़ा बदलाव आया है, लेकिन कुछ मुद्दे हैं, जो चलते रहते हैं। यह केवल कश्मीर वाली फिल्म नहीं, देश की फिल्म है। गाजी बाबा के एनकाउंटर के बाद अच्छे परिणाम सिर्फ कश्मीर तक सीमित नहीं थे। पूरे भारत पर उसका असर दिखा। इसलिए यह नाम जरूरी है।

    सवाल: नरेंद्र नाथ धर दुबे जी से पहली मुलाकात कैसी थी?

    • उनसे पहली मुलाकात मेरे दो लेखकों की हुई थी। जब मैं मिला तो काफी कुछ उनके बारे में जानता था। वह सुशील व्यक्ति हैं, लेकिन देशप्रेम अथाह है।

    मुझे वहां से समझ आया कि फौजी को माचो मैन दिखाने की जरूरत नहीं है, भीतर की भावनाएं जबरदस्त होनी चाहिए। वह किरदार को बनाने में काम आया । मैंने इमरान को यही कहा कि आन ड्यूटी और ऑफ ड्यूटी अलग है।

    सवाल: इमरान हाशमी क्या इस फिल्म के लिए पहली पसंद थे?

    • मुझे लगता है कि हम खुद को ही कई बार टाइपकास्ट करते हैं कि रोहित शेट्टी तो इसी तरह की फिल्में बना सकता है। मुझे लगा कि इमरान की इमेज रही हैं, लेकिन वह उम्दा कलाकार हैं।

    उनकी प्रतिभा को पूरी तरह एक्सप्लोर नहीं किया गया है। मुझे लगा यही मौका है, अगर मेरा काम अच्छा रहा, तो उनके लिए यह गेम चेंजर साबित होगा।

    यह भी पढ़ें- Gauri Khan के टोरी रेस्टोरेंट के सपोर्ट में आए विकास खन्ना, यूट्यूबर ने लगाया था नकली पनीर परोसने का आरोप

    आतंकवाद के दूसरे पहलुओं को दिखाना कितना जरूरी रहा?

    कश्मीर आने वाले किसी भी आतंकवादी की शेल्फ लाइफ एकाध साल ही होती है। उसके बाद उसका खात्मा हो जाता है, क्योंकि हमारी सुरक्षा व्यवस्था बहुत अच्छी है।

    गाजी बाबा नौ साल तक वहां रहा, वह कितना शातिर था। हम इस पूरी कहानी के द्वारा कुछ सवाल उठा रहे हैं, जैसे कि क्या यहां की केवल जमीन हमारी है या यहां के लोग भी हमारे हैं।

    यह भी पढ़ें- Upcoming Releases: इस हफ्ते OTT और थिएटर में होगा मनोरंजन का महाविस्फोट, ये 8 सीरीज-फिल्में होंगी रिलीज