Four More Shots फेम एक्ट्रेस Kirti Kulhari ने दूसरी शादी को लेकर दिया हिंट? काम की बात पर बोलीं- 'दिमाग थोड़ा सा टेढ़ा...'
कीर्ति कुल्हारी (Kirti Kulhari) अपनी आगामी फिल्म 'फुल प्लेट' (Full Plate) का प्रचार कर रही हैं, जिसका बुसान फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर हुआ था और वह इसे भारत में भी प्रदर्शित करना चाहती हैं। फिल्म में वह एक गृहिणी का किरदार निभा रही हैं जो पितृसत्ता से जूझते हुए अपनी पहचान बनाती है। कीर्ति को अलग तरह के किरदार निभाना पसंद है। हाल ही में इस पर एक्ट्रेस ने हमसे बात की।
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फुल प्लेट में नजर आएंगी कीर्ती कुलहारी (फोटो - इंस्टाग्राम)
प्रियंका सिंह, मुंबई। खाने की थाली के साथ ही जीवन को भी फुल प्लेट करने के लिए उसमें कुछ चीजों का होना जरूरी मानती हैं कीर्ति कुल्हारी। अपनीआगामीफिल्म ‘फुल प्लेट’ को प्रमोट कर रहीं कीर्ति ने प्रियंका सिंह से इस बारे में बात की, आइए जानते हैं उनकी बातचीत के कुछ अंश...
कैसे पूरी होती है उनकी जिंदगी की प्लेट?
बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवलमें ‘फुल प्लेट’ के प्रीमियर के बाद वह इस फिल्म को भारत में प्रदर्शित करने की दिशा में काम कर रही कीर्ति कुल्हारी कहती हैं, ‘आप अपना काम खुद देखने के लिए नहीं करते हैं मन करता है कि उसे पूरी दुनिया देखे। जब फिल्म शुरू की थी, तो हम स्पष्ट थे कि किसी बड़े फिल्म फेस्टिवल में इसका वर्ल्ड प्रीमियर करेंगे।
बुसान में लोगों को फिल्म अच्छी लगी। मैं केरल में शूटिंग से वक्त निकालकर डेढ़ दिन के लिए वहां गई थी। अब चाहती हूं, लोग यहां हमारे देश में भी इस फिल्म को देखें।’
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बस आगे बढ़ना है - कीर्ती
'फुल प्लेट’ में कीर्ति गृहिणी की भूमिका में हैं और रूढ़िवादी परंपराओं व पितृसत्ता से जूझते हुए भी चलबुले अंदाज के साथ जिंदगी जी रही है। ऐसे किरदार कीर्ति के पास कैसे पहुंच जाते हैं? इस पर वह हंसते हुए कहती हैं, ‘हां, मेरा दिमाग थोड़ा सा टेढ़ा है। मुझे कुछ अलग करना पसंद है। कलाकार तभी कुछ नया कर सकता है, जब वह कंफर्ट जोन से निकले। मैं जो फिल्म केरल में शूट करके लौटी हूं, लोगों ने उस भूमिका में मुझे नहीं देखा होगा। मैं अब केवल मजे के लिए काम करती हूं। मुझे स्ट्रांग और आत्मनिर्भर महिला होने का कोई झंडा नहीं लहराना है।
क्या है कीर्ती कुलहारी की प्रेरणा
हम सब अपनी क्षमता के हिसाब से काम करते हैं, जिंदगी की परिस्थितियों से लड़ते हैं। बतौर इंसान आपको आगे बढ़ता होता है, मेरे लिए वही प्रेरणा है। ‘फुलप्लेट’ में मेरे पात्र अमरीन का खुद को ढूंढने का एक अपना सफर है। अपनी आवाज और सोच है। मेरे लिए यही दिलचस्प है। मैं तो चाहूंगी कि हमारे समाज में हर महिला, पुरुष, बच्चे-बुजुर्गों की अपनी एक आवाज हो।’
मशीन नहीं हैं हम
क्या फिल्म इंडस्ट्री में वह आवाज सुनी जाती है, जहां काम और घर के बीच संतुलन बनाने के प्रयास में लंबी शिफ्ट बीच में आ जाती है? इसपर कीर्ति कहती हैं, ‘मैं तीन-चार वर्षों में शिफ्ट को लेकर ज्यादा सतर्क हुई हूं। मुझे लगता है कि शिफ्ट को लेकर एक स्ट्रक्चर होना चाहिए। आज मैं 12 घंटे काम कर सकती हूं, हो सकता है कि एक साल बाद न करना चाहूं। अगर जरूरत होती है, तो मैं कई बार 12 घंटे के बाद भी सेट पर रुकती हूं, लेकिन ऐसा रोज नहीं हो सकता है। हम मशीन नहीं हैं। हर किसी को यह हक होना चाहिए कि वह तय करे कि उसे कितने घंटे काम करना है। हर किसी की प्राथमिकताएं अलग होती हैं, जो समय के साथ बदलती भी हैं।’
जीवन कब फुल प्लेट सा लगता है?
इस पर कीर्ति कहती हैं, ‘फिलहाल मेरी प्लेट काम से फुल है। इस साल यह तीसरी फिल्म है। अभी ‘फोर मोर शाट्स प्लीज!’ का चौथा सीजन शूट किया। हाल ही में केरल में 50 दिन तक एक फिल्म शूट करके लौटी हूं। मेरे घर में दो डाग्स हैं, वह जीवन की प्लेट फुल रखते हैं। घर का खाना मिल रहा है, सेहत अच्छी है। इसके अलावा आपको एक अच्छा साथी चाहिए होता है, तो तीन-चार महीनों में वह भी मेरे जीवन में है।’

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