'मूछें हो तो नत्थूलाल जैसी', मदरसे के काजी की Dilip Kumar ने चमकाई किस्मत, अमिताभ की फिल्म से बना स्टार
पड़ोसन शराबी और आन जैसी फिल्मों में काम कर चुका एक अभिनेता जिसने अपने कॉमिक रोल्स से दर्शकों को हंसने पर मजबूर कर दिया उन्हें इंडस्ट्री में लाने वाले अभिनेता दिलीप कुमार (Dilip Kumar) थे। एक काजी से अभिनेता बनने का सफर उन्होंने कैसे तय किया चलिए आपको इस बारे में बताते हैं।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। अमिताभ बच्चन स्टारर शराबी मूवी में आपको 'मिस्टर नत्थूलालजी' तो याद ही होंगे। अरे वही जिनकी मूछें इतनी फेमस हुई थीं कि लोग अपने मूछों का ताव देकर बोलते थे- 'मूछें हो तो नत्थूलाल जैसी, वरना ना हो'। मिस्टर नत्थूलालजी का किरदार हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता मुकरी (Actor Mukri) ने निभाया था।
मुकरी हिंदी सिनेमा में अपने कॉमिक रोल्स के लिए जाने जाते थे। 6 फीट 2 इंच लंबे अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) के गाल पर किस करना हो या फिर टेलर मास्टर बनकर दर्शकों को हंसने पर मजबूर करना हो, मुकरी का हर किरदार हमेशा ही यादगार रहा, खासकर शराबी का।
मूछों ने बना दिया स्टार
शराबी में मुकरी की मूछें इतनी पॉपुलर हुईं कि उसका क्रेज आज भी कम नहीं हुआ है। उनका डायलॉग तो अब भी लोगो की जुबां पर रटा हुआ है। आपने दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन की फिल्मों में मुकरी को कई यादगार किरदार निभाते हुए देखा होगा लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर वह अभिनय की दुनिया में आए कैसे? क्योंकि वह तो काजी थे और ऐसे में एक मदरसे का काजी कैसे अभिनेता बन गया?
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काजी थे अभिनेता मुकरी
मुकरी के काजी से अभिनेता बनने की दास्तां कुछ ऐसी है कि वह दिलीप कुमार के स्कूल में पढ़ा करते थे। दोनों स्कूलमेट थे। दिलीप तो इंडस्ट्री की जान बन गए, लेकिन मुकरी मदरसे में काजी। एक रोज मस्जिद में दिलीप और मुकरी आपस में टकराए। बड़ा परिवार और काजी की तनख्वाह से मुकरी का घर बमुश्किल चलता था। उन्होंने यह दर्द भरी कहानी दिलीप को बताई तो उन्होंने देविका रानी से कहकर उन्हें बॉम्बे टॉकीज में जूनियर असिस्टेंट का काम दिलवा दिया।
Mukri with Dilip Kumar and Madhubala in a scene from Amar Movie
ग्लैमशैम के मुताबिक, मुकरी ने एक बार कहा था-
मैं एक स्थानीय मदरसे में काजी था। मेरा काम छोटे बच्चों को कुरान पढ़ाना था। मेरी आमदनी कम थी और परिवार बड़ा था, इसलिए गुजारा करना मुश्किल था। सौभाग्य से एक बार रमज़ान के पवित्र महीने में दिलीप कुमार ने मुझे एक मस्जिद में देखा और मेरी दुख भरी कहानी सुनने के बाद उन्होंने बॉम्बे टॉकीज की देविका रानी से मुझे जूनियर असिस्टेंट के तौर पर नियुक्त करने की सिफारिश की। बाद में उन्होंने आन की शूटिंग के दौरान महबूब खान को मेरा नाम सुझाया। फिल्म बहुत हिट रही और दिलीप कुमार के साथ मेरा रिश्ता भी हिट हो गया।
मुकरी का फिल्मी करियर
फिर मुकरी को अभिनय का भी मौका मिला। 1945 में उन्हें प्रतिमा में काम करने का मौका मिला। उन्हें इंडस्ट्री में जिस फिल्म ने पहचान दिलाई, वो थी दिलीप कुमार की आन। आन फिल्म में दिलीप और मुकरी की जोड़ी इतनी हिट रही कि उन्हें कई फिल्मों के ऑफर मिलने लगे। मुकरी ने पड़ोसन, शराबी, अमर अकबर एंथनी, अमर और किस्मत का खेल समेत तमाम फिल्में कीं। उन्होंने 50 साल के करियर में 600 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया था। आज वह भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन फिल्मों में उनका किरदार हमेशा यादगार रहेगा।
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