प्रेग्नेंसी में मरते-मरते बची थीं Dia Mirza, डॉक्टर से कहा था- 'सिर्फ बेबी को बचा लो', अब बताई दर्द भरी दास्तां
जानी-मानी बॉलीवुड एक्ट्रेस दीया मिर्जा (Dia Mirza) ने हाल ही में एक लाइफ थ्रेटनिंग एक्सपीरियंस शेयर किया है। 39 साल की उम्र में मां बनीं दीया ने बताया कि प्रेग्नेंसी के दौरान उन्हें इतनी बड़ी परेशानी हो गई थी कि उनकी जान जाते-जाते बची थी। उनके बेबी की स्थिति भी जानलेवा थी।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। दीया मिर्जा (Dia Mirza) चार साल पहले एक बेटे की मां बनी थीं। हालांकि, उनका प्रेग्नेंसी फेज आसान नहीं था। डिलीवरी के वक्त उन्हें काफी समस्या हुई। बेटे से एक हफ्ते दूर रहीं और खुद भी मरते-मरते बचीं। हाल ही में, दीया ने उस फेज के बारे में पहली बार खुलासा किया है।
दीया मिर्जा ने 2021 में वैभव रेखी के साथ दूसरी शादी की थी। शादी के कुछ महीनों बाद ही उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया था जिसका नाम अवयान आजाद रेखी है। 39 साल की उम्र में मां बनना दीया के लिए दर्द भरा रहा। उनके पेट में इन्फेक्शन हो गया था जिसके चलते उनकी प्रीमेच्योर डिलीवरी हुई थी।
प्रेग्नेंसी में दीया मिर्जा को हुआ जानलेवा इन्फेक्शन
आलम यह था कि दीया मिर्जा खुद भी मरते-मरते बची थीं। ऑफिशियल पीपल ऑफ इंडिया के साथ बातचीत में दीया ने कहा, "मुझे एक बैक्टेरियल इन्फेक्शन हो गया था जो मेरी अपेंडिक्स सर्जरी का साइड इफेक्ट हो सकता है। मैंने इसकी सर्जरी अपनी प्रेग्नेंसी के पांचवें महीने में करवाई थी। मेरे छठे महीने के आखिर तक हमें एहसास हुआ कि मेरी प्लेसेंटा से ब्लीडिंग हो रही थी और मेरा शरीर सेप्सिस की ओर जा रहा था। अगर बच्चा पैदा नहीं होता, तो हम दोनों में से किसी को भी नहीं बचाया जा सकता था। यह काफी डरावना था।"
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न्यू बॉर्न बेबी के भी आंत में था छेद
दीया मिर्जा ने आगे इंटरव्यू में बताया कि जब वह हॉस्पिटल गईं तो उन्होंने साफ-साफ कह दिया था कि सिर्फ उनके बच्चे को बचा लिया जाए। इस बारे में दीया ने बताया, "उन्हें 48 घंटे बाद पता चला कि मेरे अंदर मौजूद बैक्टीरिया जानलेवा थे। अव्यान को जन्म के 36 घंटे बाद लाइफ सेविंग सर्जरी से गुजरना पड़ा। मेरे बेटे की आंत में छेद था और उसकी सर्जरी की गई। उन्होंने उस पर एक स्टोमा लगाया। मूल रूप से आंत को शरीर से बाहर निकाला और यह एक एक्सपोस्ड स्टोमा था।"
दीया मिर्जा ने बताया कि बेटे के जन्म के बाद वह सिर्फ हफ्ते में दो बार ही उससे मिल प रही थी। 20 दिन बाद बेटा डिस्चार्ज हुआ और कोई नर्स भी उन्हें छूने को तैयार नहीं थी। वह अकेले ही अपने बेटे की ड्रेसिंग कर रही थीं। जब बेबी साढ़े तीन किलो का हुआ तो उसकी एक और सर्जरी हुई जो 3-4 घंटे चली। तब जाकर बेबी का स्टोमा ठीक हुआ।
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