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    रिलीज से पहले Dhadak 2 के 16 सीन्स पर चली सेंसर बोर्ड की कैंची, इन डायलॉग्स को किया गया रिमूव

    Updated: Sat, 24 May 2025 03:41 PM (IST)

    धड़क की रिलीज के 7 साल बाद सीक्वल आ रहा है जो बड़े पर्दे पर एक बार फिर उतरने के लिए एकदम तैयार है। पहले फिल्म को पिछले साल रिलीज किया जाना था लेकिन फिर रिलीज डेट टाल दी गई थी। अब मूवी को CBFC ने पास करने से पहले कई कट किए हैं। जानिए इस बारे में।

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    16 कट के बाद पास हुई धड़क 2। फोटो क्रेडिट- इंस्टाग्राम

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। क्या आपने धड़क 2 का अनाउंसमेंट वीडियो देखा है? अगर हां तो आपको फिल्म की पहली झलक से ही पता चल गया होगा कि इस फिल्म की कहानी किसके इर्द-गिर्द घूमने वाली है। पिछले साल मार्च में फिल्म की अनाउंसमेंट हुई थी और दिसंबर तक इसे सिनेमाघरों में रिलीज किया जाना था, लेकिन चुपके से इसकी रिलीज डेट पर रोक लगा दी गई।

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    अब आखिरकार धड़क 2 सिनेमाघरों में पहुंचने के लिए एकदम तैयार है, लेकिन कई बदलाव करने के बाद। जी हां, सीबीएफसी यानी सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को सिनेमाघरों में पहुंचाने से पहले इसमें 16 बदलाव करने के आदेश दिए और इसे U/A 16+ का सर्टिफिकेट देकर हरी झंडी दिखाई है।

    धड़क 2 से हटे ये सीन्स

    द हिंदू के मुताबिक, धड़क 2 से करीब 16 सीन्स पर कट किए गए हैं, जिनमें कई डायलॉग्स औऱ जातिवाद से जुड़े सीन्स शामिल हैं। जैसा कि आपको पता होगा कि यह फिल्म दलित प्रेम कहानी पर आधारित है, ऐसे में विवादों से बचने के लिए डायलॉग्स को चेंज किए गए हैं।

    इन डायलॉग्स पर चली कैंची

    '3000 साल पुराना मामला मात्र 70 साल में नहीं सुलझेगा'। इस डायलॉग को बदलकर 'सदियों पुराना भेदभाव का मामला 70 साल में नहीं सुलझेगा' कर दिया गया है। बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम के एक उदाहरण का रेफ्रेंस देने वाले डायलॉग को फिर से तैयार किया गया।

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    हीरो पर पेशाब करने वाला सीन भी हटा

    यही नहीं, नीलेश (सिद्धांत चतुर्वेदी का किरदार) पर पेशाब करने वाले एक शख्स के सीन को कट कर दिया गया है। फिल्म में चमार और भंगी शब्द भी था, जिसे म्यूट करके जंगली शब्द से रिप्लेस किया गया है। इसी तरह कई ऐसे सीन्स को हटाया या बदला गया है, जिसमें धर्म का जिक्र या फिर जातिवाद भेदभाव को दिखाया गया है।

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    एक डायलॉग था- 'स्वर्णों के सड़क... हमें जला देते थे' इसे भी बदल दिया गया है और नया डायलॉग है- ना सड़क हमारी थी ना जमीन हमारी थी ना पानी हमारा था, यहां तक कि जिंदगी भी हमारी नहीं। मरने की नौबत आई तो शहर आ गया। फिल्म से पहले 20 सेकंड के डिस्क्लेमर को एक मिनट 51 सेकंड के वर्जन से बदल दिया गया, जिसे जोर से पढ़ा गया। एक महिला के खिलाफ हिंसा वाले दृश्य को ब्लैक स्क्रीन से बदल दिया गया। फिलहाल, अभी तक रिलीज डेट का एलान नहीं किया गया है। 

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