Anurag Kashyap के बॉलीवुड छोड़ने से क्या होगा इंडस्ट्री का घाटा? इन दो सितारों ने दिया रिएक्शन
अनुराग कश्यप फिल्म इंडस्ट्री का वो नाम है जो आज किसी पहचान का मोहताज नहीं। निर्देशक ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक फिल्मों और सीरीज का निर्माण किया है। कश्यप ने फिल्मों को अपनी दुनिया माना है। मगर पिछले कुछ वक्त में उनके ऐसे बयाना सामने आए हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि वो बॉलीवुड को अलविदा कह रहे हैं। तो क्या उनके जाने फिल्म इंडस्ट्री जग पाएगी?
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) ने बॉलीवुड को अलविदा कह दिया है। उनका मानना है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री काफी 'टॉक्सिक' हो गई है। साथ ही वो मानते हैं कि रनात्मकता के लिए कोई जगह नहीं है। ये बात डायरेक्टर ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कही थी। अब इस मुद्दे पर बॉलीवुड के सेलेब्स से लेकर डायरेक्टर्स ने रिएक्शन दिया है। आइए जानते हैं उनके बारे में...
इंडस्ट्री के लोगों से दूर रहना चाहते हैं कश्यप
अनुराग कश्यप ने अपने करियर में ऑथेंटिक प्रोजेक्ट्स पर काम किया है। उनकी फिल्मों ने दर्शकों को हमेशा कुछ नया और खास परोसा है। उन्होंने कई शानदार फिल्में बनाईं हैं मगर उनके करियर में ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ मील का पत्थर साबित हुई।
इस फिल्म ने ना केवल अनुराग कश्यप को लोगों के बीच पॉपुलैरिटी दी, बल्कि नवाजुद्दीन सिद्दीकी और पंकज त्रिपाठी जैसे कई सितारों को रातों-रात स्टार बना दिया। अनुराग कश्यप अब तक कई फिल्में, सीरीज और शॉर्ट मूवीज डायरेक्ट कर चुके हैं। जिनमें सेक्रेड गेम्स, लस्ट स्टोरी, बॉम्बे वैलवेट, देव डी, ब्लैक फ्राइडे और नो स्मोकिंग जैसी धाकड़ फिल्में शामिल हैं। हालांकि इनमें से ज्यादातर फिल्में ऑडियंस को तो पसंद आईं मगर कमाई के मामेल में पीछे रह गईं।
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अनुराग कश्यप ने अपने हर प्रोजेक्ट को बेस्ट बनाने के लिए उन सभी दायरों को पार किया है जिसमें एक फिल्ममेकर फंस जाता है। मगर अब वो मानते हैं कि बॉलीवुड में उन्हें फिल्में बनाने में मजा नहीं आता। वो कहते हैं कि यहां जो कुछ लोग क्रिएटिव बचे हुए हैं, उनके रास्ते भी बंद कर दिए गए हैं। इसीलिए वो यहां से दूर जाना चाहते हैं। कश्यप ने इंटरव्यू में कहा था,
'अगले साल तक मुंबई शहर छोड़ दूंगा। कई फिल्ममेकर्स ने इंडस्ट्री के बदलते माहौल के कारण मुंबई छोड़ दिया। कई लोग मिडिल ईस्ट, पुर्तगाल, लंदन, जर्मनी और अमेरिका शिफ्ट हो गए हैं।'
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हिंदी सिनेमा में रचनात्मक प्रयोग करने की आजादी
अब जब उनका बयान सोशल मीडिया से लेकर फिल्म इंडस्ट्री तक में सुर्खियों में आ गया है। तो इस पर कई एक्टर्स और डायरेक्टर्स ने अपना रिएक्शन भी दिया है जिसमें पहला नाम राहुल भट्ट का है। इन्हें आप ने हाल ही में ब्लैक वारंट (Black Warrant) में डीएसपी राजेश तोमर का किरदार निभाते देखा होगा। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, अनुराग कश्यप के साथ काम करने के अनुभव पर बात करते हुए उन्होंने कहा,
"उनके पास एक अलग तरीका है कलाकारों को उनके कंफर्ट जोन से बाहर लाने का। कई बार तो एक्टर्स वो कर जाते हैं जिसकी उन्होंने खुद कल्पना नहीं की होती है।"
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राहुल बताते हैं कि उनके साथ काम करना किसी एक्सरसाइज से कम नहीं है। वो सेट पर कलाकार के लिए ऐसा माहौल बनाते हैं कि वो बिना किसी डर के रिस्क ले सकता है। उनकी फिल्मों में नयापन दिखता है जो शायद कमर्शियल फिल्मों के लिहाज से आकर्षित न हो।
व्यवसायीकरण (Commercialization) से सिनेमा की मौत
हिंदी फिल्मों से दूर जाने का फैसला कश्यप ने तब लिया जब उन्होंने देखा कि इंडस्ट्री की ग्रोथ फिल्मों की कमर्शियल ग्रोथ पर डिपेंड हो गई है। फिल्म प्रोड्यूसर मूवी पर पैसा लगाने से पहले उसके बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के बारे में बात करते हैं। यही वजह है कि वो साउथ फिल्म इंडस्ट्री की तरफ बढ़ गए हैं। इसी मुद्दे पर बात करते हुए महेश भट्ट ने भी अपने विचार साझा किए थे। महेश भट्ट का कहना है,
सिनेमा उसी वक्त मर जाता है जब वो सेफ खेलने की कोशिश करता है। आज के समय में बॉलीवुड का दम घुट रहा है। भट्ट जी की बातों में कश्यप की जताई चिंता की झलक दिखाई देती है। क्योंकि अब इंडस्ट्री कहानी सुनाने और बनाने से ज्यादा उन पैमानों पर काम करती है जो ट्रेंड में होता है।
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भाई-भतीजावाद और सत्ता संघर्ष
राहुल भट्ट भी बतौर अभिनेता ऐसा ही महसूस करते हैं। वो कहते हैं, हर एक्टर की लाइफ में एक ऐसा पल आता है जब वो इंडस्ट्री की कमर्शियल डिमांड के आगे अपनी आर्टिस्टिक प्रवृत्ति को दबा देता है। कभी कभी आपको महसूस होता है कि आपको एक ढांचे के अंदर फिट होना है जो कि काफी निराशाजनक हो सकता है। बॉलीवुड को कई सालों से भाई-भतीजावाद और सत्ता संघर्ष जैसी प्रथाओं के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है, जो नए कलाकारों और प्रामाणिक सिनेमा के बढ़ने में बाधा डाल रहा है।
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