'हीरो के रोल में क्या होता है', Bobby Deol ने बताया कैसे लोग इंडस्ट्री में कर देते हैं आसानी से टाइपकास्ट
बॉबी देओल की बॉलीवुड में सेकंड इनिंग बहुत ही शानदार तरीके से शुरू हुई है। कभी रोमांटिक हीरो के तौर पर एंट्री लेने वाले बॉबी आज सबसे बड़े खलनायक बन चुके हैं। वह हिंदी के साथ-साथ तेलुगु सिनेमा में भी काम कर रहे हैं। हाल ही में बॉबी देओल ने अपने संघर्ष के साथ-साथ ये भी बताया कि किस तरह से इंडस्ट्री में टाइपकास्ट किया जाता है।

प्रियंका सिंह, मुंबई। करियर की शुरुआत में बॉबी देओल को रोमांटिक फिल्मों में सफलता मिली। इसके बाद लगातार कई फिल्मों में उन्होंने रोमांटिक हीरो के पात्र निभाए, तो वही छवि बन गई। लंबे समय बाद जब उन्होंने फिल्मों में वापसी की तो यह तय कर लिया था कि गलतियों के दोहराव से बचना है।
आश्रम और एनिमल के बाद दक्षिण भारतीय फिल्मों में भी बॉबी निगेटिव रोल निभा चुके हैं। अब बॉबी की पूरी कोशिश है कि वह किसी भी प्रकार के टाइपकास्ट से बचें। अभिनेता ने कहा कि वह चाहते हैं कि नए पात्रों में दिखे उनका अलग अंदाज ऑडियंस को देखने के लिए मिले। इसके अलावा बॉबी ने फिल्मों में संघर्ष के बारे में भी बात की।
हमारी इंडस्ट्री में आसानी से टाइपकास्ट कर दिया जाता है
मुंबई मनोरंजन संवाददाता की रिपोर्ट्स के मुताबिक, बॉबी ने खास बातचीत करते हुए कहा, "हर कलाकार का अपना संघर्ष होता है। हम सभी अलग रोल करना चाहते हैं, लेकिन वैसे रोल मिल ही जाएं, ऐसा जरूरी नहीं। यह सच है कि हमारी इंडस्ट्री में टाइपकास्ट बहुत आसानी से कर दिया जाता है। आप ये सोचकर इंडस्ट्री में कदम रखते हैं कि हर तरह के रोल करूंगा, लेकिन वो नहीं हो पाता।
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अब जैसे मैंने कई निगेटिव रोल कर लिए हैं तो वैसे ही रोल ऑफर हो रहे हैं। मैं इसकी शिकायत नहीं कर रहा हूं। अच्छा है कि काम मिल रहा है, लेकिन उनमें भी मैं अलग ढूंढ़ने की कोशिश कर रहा हूं। फिल्में हीरो, हीरोइन और विलेन से बनती हैं। देखा जाए तो हीरो के रोल में भी क्या होता है? एक ही तरह का रोल होता है कि वह अच्छा है, बुराई के खिलाफ लड़ेगा, अंत में जीतेगा। नायक को अलग बनाती है, उस फिल्म की कहानी। वहां से पात्र में कई शेड्स जुड़ जाते हैं। जब कलाकार निगेटिव रोल करते हैं तो एंजाय करते हैं, क्योंकि उसमें करने के लिए काफी कुछ होता है। आपको किसी नियम में बंधकर नहीं रहना होता है।
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बॉबी देओल ने कहा डिजिटल ने बहुत मदद की है
बॉबी को खलचरित्रों के माध्यम से बतौर कलाकार स्वयं को एक्सप्लोर करने का अवसर मिला। इसका श्रेय बॉबी डिजिटल प्लेटफार्म को देते हैं। वह कहते हैं कि ओटीटी ने हम सब कलाकारों को ही मौका नहीं दिया, बल्कि निर्देशकों, लेखकों, तकनीशियनों को मौका दिया है। बाकी मैं हर रोल के साथ कितना अलग दिख रहा हूं, इस पर मैं स्वयं बहुत ध्यान देता हूं। लोग सोचते हैं कि कलाकारों की जिंदगी बहुत आरामदायक होती है, सेट पर लोग आगे पीछे होते हैं, लेकिन ऐसा होता नहीं है। वास्तविक लोकेशन पर शूटिंग होती है तो वहां का जो भी मौसम होता है, उसमें ढलकर आपको संवाद बोलने होते हैं।
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जब आप अपना काम खत्म करके मॉनिटर पर देखते हैं और काम अच्छा होता है तो खुशी मिलती है। मैं ध्यान रखता हूं कि भले ही निगेटिव रोल हो, लेकिन वैसा पात्र मैंने पहले न किया हो। आगामी दिनों में बॉबी तेलुगु फिल्म हरी हर वीरा मल्लू पार्ट 1- स्वोर्ड वर्सेस स्पिरिट फिल्म में नजर आएंगे।
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