एक किताब ने गढ़ा था ऐसा विलेन जिससे थर-थर कांपते थे हीरो, पढ़ें गब्बर बनने की पूरी कहानी
1975 में रिलीज हुई फिल्म 'शोले' इंडियन सिनेमा की क्लासिक कल्ट है। इस फिल्म का वैसे तो हर किरदार फैंस के दिल में बसा हुआ है, लेकिन जिस किरदार ने सबको डराया वह 'गब्बर' का था, जिसे अमजद खान ने ऐतिहासिक बनाया था। क्या आपको पता है कि अमजद खान को 'गब्बर' बनने में 'अभिशप्त चंबल' ने मदद की थी।

एक किताब पढ़कर तैयार हुआ था शोले का 'गब्बर'/ फोटो- Instagram
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। फिल्मों में अगर विलेन न हो तो उनका स्वाद किरकिरा हो जाता है। क्योंकि, अगर मूवीज में विलेन ही नहीं होंगे, तो हीरो क्लाइमेक्स में कैसे छाएगा। ये बात अलग है कि आजफिल्मी पर्दे पर हीरो हैं लेकिन 70 से 90 के दशक में फिल्मों के विलेन अलग ही नजर आते थे। अमरीश पुरी हो या फिर डैनी, मुकेश तिवारी, रंजीत और प्राण, इन एक्टर्स ने विलेन के रूप में ऐसी छाप छोड़ी है कि जब ये अपनी आम लाइफ में बाहर भी जाते थे, तो लोग उन्हें खलनायक समझ लेते थे।
हालांकि, इन सभी विलेन पर भारी पड़ा था शोले का 'गब्बर', जिनके नाम से गांव का बच्चा-बच्चा नहीं, बल्कि फिल्मों के हीरो भी कांप जाते थे। इस किरदार को हिंदी सिनेमा के इतिहास में यादगार बनाने वाले कोई और नहीं, बल्कि अमजद खान थें, जिन्हें बॉलीवुड का सबसे खूंखार विलेन कहा जाता था। आज उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर जानिए कैसे एक 'अभिशप्त चंबल' ने उनकी 'गब्बर' बनने में मदद की।
गब्बर बनने से पहले घबरा गए थे अमजद खान
12 नवंबर 1940 में जन्में मुंबई में जन्मे अमजद खान असल जिंदगी में काफी सरल स्वाभाव के व्यक्ति थे। उन्हें यारों का यार कहा जाता था। वैसे तो बतौर खलनायक 'मुकद्दर का सिकंदर', 'सत्ते पे सत्ता' और 'शतरंज के खिलाड़ी जैसी फिल्मों में नजर आए, लेकिन उन्हें आज भी फैंस खूंखार गब्बर के किरदार से ही लोग पहचानते हैं। ये तो हम सब जानते हैं कि अमजद खान इस किरदार के लिए पहली च्वाइस नहीं थे। उनसे पहले ये यादगार रोल डैनी डेन्जोंगपा के पास गया था, लेकिन उन्होंने फिल्म 'धर्मात्मा' की शूटिंग में बिजी होने के कारण इस फिल्म को ठुकरा दिया।
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रमेश सिप्पी इस फिल्म के लिए विलेन ढूंढ रहे थे और अमिताभ बच्चन से लेकर धर्मेंद्र, संजीव ठाकुर हर किसी की नजर 'गब्बर' के किरदार पर थी, लेकिन अमजद खान की किस्मत के सितारे ऐसे चमके की ये किरदार उनके पास खुद चलकर आया। दरअसल, जब डैनी ने इस फिल्म के लिए मना किया, तो खुद सलीम साहब ने रमेश सिप्पी के पास जाकर अमजद खान का नाम सजेस्ट किया। अमजद खान को जब इस रोल का ऑफर मिला तो पहले वह काफी घबरा गए, लेकिन बाद में उन्होंने हां कह दिया।
'अभिशप्त चंबल' पढ़कर गब्बर के किरदार में डाली जान
शोले से पहले अमजद खान का करियर बॉलीवुड में कुछ खास नहीं चल रहा था, ऐसे में 'गब्बर' का किरदार उनके लिए एक बड़ी जिम्मेदारी था। इस किरदार को निभाने के लिए अमजद खान ने खुद को चैलेंज किया और चंबल के डाकुओं के जीवन पर आधारित किताब 'अभिशप्त चंबल' पढ़ना शुरू किया।
इस किताब में डाकुओं की जिंदगी को गब्बर के किरदार में अमजद खान ने जिस तरह से उतारा है, उसके साक्षी दर्शक बने है। आज अमजद खान के 'गब्बर' के रूप में बोले गए डायलॉग्स, कपड़े हर चीज को लोग कॉपी करते हैं। इस फिल्म ने उनके लिए बतौर विलेन बॉलीवुड के दरवाजे खोल दिए थे।

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