ताशकंद फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई Abhishek Bachchan की ये फिल्म, नहीं निकाल पाई थी बजट
बॉलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन (Abhishek Bachchan) इन दिनों अपनी लेटेस्ट फिल्म बी हैप्पी (Be Happy Film) को लेकर चर्चा में हैं। इस बीच उन्होंने ताशकंद फिल्म फेस्टिवल (Tashkent Film Festival) में शिरकत की। जहां उनकी 2023 की चर्चित फिल्म प्रदर्शित की गई। वहां एक्टर ने फिल्म के अनुभव पर भी खुलकर बात की। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। बॉलीवुड अभिनेता अभिषेक बच्चन (Abhishek Bachchan) इन दिनों अपनी लेटेस्ट रिलीज ‘बी हैप्पी’ को लेकर चर्चा में बने हुए हैं। बाप-बेटी के रिश्ते की कहानी को दिखाने वाली फिल्म हाल ही में अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई है। खास बात है कि इसके लिए उनके काम को सराहा जा रहा है। इन दिनों एक्टर फिल्म प्रमोशन के सिलसिले में अलग-अलग इवेंट का हिस्सा बन रहे हैं।
बी हैप्पी से पहले ‘आई वांट टू टॉक’ में भी उनके काम की तारीफ की गई थी। अभिषेक बच्चन ने उज्बेकिस्तान में आयोजित ताशकंद फिल्म फेस्टिवल में शिरकत की। जहां उनकी 2023 में आई फिल्म घूमर की स्क्रीनिंग की जा रही है। बता दें कि इस मूवी की काफी तारीफ हुई थी, लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अपना बजट भी नहीं निकाल पाई थी।
फिल्म में अभिषेक ने कैसा किरदार निभाया है?
अभिषेक बच्चन ने हालिया रिलीज बी हैप्पी में शिव का किरदार निभाया है, जो एक सिंगल फादर होता है। वह अपनी बेटी की देखभाल करने के साथ ही, जीवन के उतार-चढ़ाव का सामना कर रहा होता है। फिल्म में उनके किरदार की गर्मजोशी, हास्य और दिल छू लेने वाली कहानी को खूब सराहा जा रहा है। इस फिल्म ने एक्टर के बारे में यह भी साबित कर दिया है कि वह एक ऐसे कलाकार हैं, जो अभिनय की क्षमता और भावनात्मक रूप को गहराई से समझते हैं।
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एक्टर ने शेयर किया 'बी हैप्पी' का अनुभव
फिल्म में काम करने के अनुभव के बारे में उन्होंने कहा, 'मुझे इस मूवी में काम करके अच्छा लगा और इसकी शूटिंग को मैंने एंजॉय किया है। मुझे इस फिल्म में सबसे ज्यादा शिव और धरा के बीच का रिश्ता पसंद आया।' उन्होंने रेमो डिसूजा के काम की भी सराहना की।
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एक्टर ने इस बारे में बात करते हुए आगे कहा, 'रेमो इस फिल्म के जरिए ऐसी कहानी कहना चाहते थे, जो उनकी पिछली फिल्मों से बिल्कुल अलग थी। मुझे उनकी सबसे अच्छी बात यह लगी कि उन्होंने कुछ इमोशनल और नया करने का प्रयास किया। यह फिल्म एक गंभीर विषय को दिखाती है, लेकिन कुल मिलाकर एक पॉजिटिव और प्रेरणादायक फिल्म है। दर्शक के तौर पर मुझे भी इसका अंत काफी अच्छा लगा, क्योंकि यह उम्मीदों से भरा हुआ था। एक सबसे अच्छी बात मुझे यह लगी कि रेमो ने एक पिता की अपने बच्चे के जीवन में भूमिका को दिखाने की बेहतरीन कोशिश की, जो बिल्कुल नया और अलग नजरिया था।'
ताशकंद फिल्म फेस्टिवल क्या है?
बता दें कि यह एक अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव है, जो एक वार्षिक सिनेमैटोग्राफिक फेस्टिवल है। इसमें फिल्मों को दिखाया जाता है। आपके मन में भी सवाल आया होगा कि इसकी स्थापना कब हुई थी। दरअसल, साल 1958 में एशियाई और अफ्रिकी देशों की अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव के रूप में की गई थी।
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