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    Guru Dutt: टेलीफोन ऑपरेटर का काम करता था सिनेमा का ये शहंशाह, इंडस्ट्री में गहरा है 100 साल का इतिहास

    Updated: Wed, 09 Jul 2025 02:18 PM (IST)

    Guru Dutt 100th Birth Anniversary सिनेमा के दिग्गज फनकार गुरु दत्त की आज 100वीं बर्थ एनिवर्सरी मनाई जा रही है। इस खास मौके पर हम आपको उनके निजी जिंदगी के उस पहलू के बारे में अहम जानकारी देने जा रहे हैं जब वह एक टेलीफॉन ऑपरेटर का काम करते थे।

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    गुरु दत्त की 100वीं एनिवर्सरी आज (फोटो क्रेडिट- जागरण)

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। गुरु दत्त (Guru Dutt) फिल्म जगत का वो नाम रहे, जिन्होंने अपने तौर-तरीकों से सिनेमा की काया पलट कर दी थी। इंटरनेशनल लेवल तक बॉलीवुड को पहचान दिलाने में गुरु दत्त का योगदान अहम रहा है। आज 9 जुलाई को उनकी 100वीं बर्थ एनिवर्सरी (Guru Dutt 100th Birth Anniversary) मनाई जा रहे हैं।

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    इस मौके पर हम आपको गुरु दत्त की जिंदगी के उस पहलू के बारे में बताने जा रहे हैं, जब वह एक टेलीफॉन ऑपरेटर के तौर पर काम किया करते थे। आइए जानते हैं कि कैसे इस फनकार को सिनेमा में ब्रेक मिला और वह क्यों इतने लोकप्रिय हुए।  

    टेलीफॉन ऑपरेटर से सिनेमा के शहंशाह तक का सफर

    9 जुलाई 1925 को गुरु दत्त का जन्म हुआ था। हिंदी सिनेमा में उन्होंने एक अभिनेता, निर्माता और निर्देशक के तौर पर अपनी पहचान बनाई। उनकी लेगेसी के बारे में हमेशा चर्चा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं फिल्म लाइन में आने से पहले एक टेलीफॉन ऑपरेटर का काम किया करते थे। 

    यह भी पढ़ें- Guru Dutt: परिवार गया टूट, करियर भी हो गया था तबाह, एक हसीना के प्यार में कैसे बर्बाद हुए गुरु दत्त

    फोटो क्रेडिट- फेसबुक

    कोलकाता में गुरु दत्त की बचपन बीता और यहां से ही उनके अंदर कला और शास्त्र के लिए रुचि जागी। लेकिन एक वक्त ऐसा आया जब वह अपने परिवार के साथ बंबई (मुंबई) शिफ्ट हो गए थे। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी और गुजारा करने के लिए गुरु दत्त ने नौकरी की तलाश शुरू कर दी।

    फोटो क्रेडिट- फेसबुक

    1940 के दशक में वह कोलकाता की लीवर ब्रदर्स फैक्ट्री में टेलीफॉन ऑपरेटर के तौर पर काम करने लगे। लेकिन कुछ समय बाद ही वह अपने परिवार के पास बंबई लौट गए। 1994 में आई फिल्म चांद नमक में गुरु दत्त ने पहली बार कैमरा फेस किया और इस मूवी में उन्होंने श्रीकृष्ण की एक छोटी से भूमिका को निभाया।

    लेकिन बतौर लीड एक्टर उनकी डेब्यू फिल्म सुहागन को माना जाता है। हालांकि, इससे पहले वह 1950 के दशक में देव आनंद जैसे कलाकारों की फिल्मों का निर्देशन कर चुके थे।

    गुरु दत्त की फेमस फिल्में

    बतौर एक्टर और निर्देशक गुरुदत्त ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक मूवीज के जरिए दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया था। एक डायरेक्टर के तौर पर उनकी कल्ट मूवीज की लिस्ट इस प्रकार है-

    • बाजी (1951)

    • जाल (1952)

    • बाज (1953)

    • मिस्टर एंड मिसेज (1955)

    • प्यासा (1957)

    • कागज के फूल (1959)

    इसके अलावा एक अभिनेता के रूप में भी उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी छाप छोड़ी थी। इस मामले में उनके प्रमुख मूवीज इस प्रकार हैं-

    • साहिब बीवी और गुलाम

    • चौदहवीं का चांद

    • काला बजार

    • भरोसा

    • आर पार

    • हम एक हैं

    इस तरह से गुरु दत्त ने 1950 से लेकर 1960 के दशक तक हिंदी सिनेमा में अपनी सेवाएं दी थीं।

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