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    Rajasthan Election 2023: सत्ता की दीवानगी ऐसी 20 बार लड़ चुके हैं चुनाव, नहीं मिली सियासत तो फिर है तैयारी

    By AgencyEdited By: Babli Kumari
    Updated: Tue, 07 Nov 2023 09:45 AM (IST)

    Rajasthan Election हार नहीं मानूंगा...रार नहीं ठानूंगा इन पक्तियों को सिद्ध किया है राजस्थान के 78 वर्षीय मनरेगा कार्यकर्ता तेतर सिंह ने जो1970 के दशक से लगातार चुनाव लड़ते हैं लेकिन जीत का स्वाद अब तक नहीं चख पाए हैं। यहां तक कि हर बार उनकी जमानत तक जब्त कर ली जाती है लेकिन उनका विश्वास कोई डिगा नहीं पाया है। इस बार फिर वह अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

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    राजस्थान के 78 वर्षीय मनरेगा कार्यकर्ता तेतर सिंह (फाइल फोटो)

    पीटीआई ,जयपुर। कहते हैं न बड़े लक्ष्य...बड़े मन से साधे जाते हैं इसके जीते जागते उदाहरण हैं राजस्थान के 78 वर्षीय मनरेगा कार्यकर्ता तेतर सिंह। तेतर सिंह राजस्थान में 1970 के दशक के बाद से हर चुनाव लड़ें हैं और हर बार उनकी जमानत जब्त हो गई। सियासत का स्वाद न चख पाने के कारण भी 78 वर्षीय मनरेगा कार्यकर्ता तेतर सिंह कभी निराश नहीं हुए। इसी कभी न हार मानने वाली संकल्प को लेकर वह 25 नवंबर के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर अपनी किस्मत आजमाने के लिए तैयार हैं।

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    करणपुर विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतरे निर्दलीय उम्मीदवार तेतर सिंह से जब यह पूछा गया कि अब तक लगभग 20 चुनाव हारने के बाद भी वह क्यों चुनाव लड़ रहे हैं तो उन्होंने जवाब दिया- "मुझे क्यों नहीं लड़ना चाहिए?"

    लोकप्रियता या रिकॉर्ड के लिए चुनाव नहीं लड़ रहे -तेतर सिंह 

    दिहाड़ी मजदूर ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को फोन पर बताया कि सरकार को जमीन, सुविधाएं देनी चाहिए... यह चुनाव अधिकारों की लड़ाई है।'' उन्होंने कहा कि वह लोकप्रियता या रिकॉर्ड के लिए चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। सिंह ने दावा किया यह चुनाव अपने अधिकारों को हासिल करने का एक हथियार है, जिसकी धार उम्र के साथ धुंधली नहीं हुई है।

    1970 के दशक में पहली बार चुनाव लड़ने का लिया था फैसला

    सत्तर साल के बुजुर्ग ने कहा कि उन्होंने पंचायत से लेकर लोकसभा तक हर चुनाव लड़ा है लेकिन हर बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने आगे कहा कि वह एक बार फिर उसी जुनून और उत्साह के साथ तैयारी कर रहे हैं और इस महीने के अंत में विधानसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है। सिंह के दलित समुदाय के सदस्य हैं। तेतर सिंह ने कहा कि उन्होंने 1970 के दशक में पहली बार चुनाव लड़ने का फैसला किया जब उन्हें लगा कि उनके जैसे लोग नहर कमांड क्षेत्र में भूमि आवंटन से वंचित हैं।

    जमा पूंजी के रूप में महज 2500 रुपये नकद

    तेतर सिंह ने कहा कि उन्होंने एक के बाद एक चुनाव लड़े लेकिन जमीन आवंटन की उनकी मांग अब तक पूरी नहीं हुई है और उनके बेटे भी दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं। उन्होंने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि उनकी तीन बेटियां और दो बेटे हैं और उनके पोते-पोतियों की भी शादी हो चुकी है। सिंह ने कहा कि उनके पास जमा पूंजी के रूप में 2,500 रुपये नकद हैं लेकिन कोई जमीन, संपत्ति या वाहन नहीं है।

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