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    MP Election: क्या शिवराज का 'राज' रहेगा कायम? ओपिनियन पोल में भाजपा को 140 से ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान

    By Jagran NewsEdited By: Anurag Gupta
    Updated: Sun, 17 Sep 2023 07:53 PM (IST)

    मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर एक ओपिनियन पोल सामने आया। इस ओपिनियन पोल ने तमाम दावों को ध्वस्त करते हुए एक बार फिर से प्रदेश में कमल खिलाया है। ओपिनियन पोल के मुताबिक अगर प्रदेश में आज चुनाव होते हैं तो सत्तारूढ़ भाजपा को 140 से अधिक सीधें मिल सकती हैं। ओपिनियन पोल के मुताबिक शिवराज का चेहरा जनता के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय है।

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    मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (जागरण ग्राफिक्स)

    भोपाल, ऑनलाइन डेस्क। मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर एक ओपिनियन पोल सामने आया। इस ओपिनियन पोल ने तमाम दावों को ध्वस्त करते हुए एक बार फिर से प्रदेश में 'कमल' खिलाया है। ओपिनियन पोल के मुताबिक, अगर प्रदेश में आज चुनाव होते हैं तो सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 140 से अधिक सीधें मिल सकती हैं।

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    शिव का 'राज' रहेगा कायम

    ओपिनियन पोल के मुताबिक, शिवराज सिंह चौहान का चेहरा जनता के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय है और वह 'मामा' पर भरोसा करते हैं। इसी वजह से 'मामा' 18 साल तक लगातार मुख्यमंत्री रहने के बावजूद सबसे ज्यादा जनप्रिय बने हुए हैं और यह उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है। शिवराज सिंह चौहान महज भाजपा के ही सबसे लोकप्रिय चेहरे नहीं, बल्कि प्रदेश राजनीति के सबसे भरोसेमंद चेहरों में से एक हैं।

    मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर पिछले दस दिनों में तीन सर्वे हुए। जिसके मुताबिक, भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिलते हुए दिखाई दे रही है। साथ ही मुख्यमंत्री पद के लिए शिवराज सिंह चौहान से बेहतर कोई नहीं। तभी तो 60 फीसदी से जनता शिवराज सिंह चौहान के पक्ष में दिखाई दे रही है।

    बता दें कि पिछले 10 दिनों में आईएनएस, आईबीसी24 और पोलस्टर का ओपिनियन पोल सामने आया। इन तमाम ओपिनियन पोल में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिलते हुए दिखाई दे रही है। अगर आईएनएस की बात की जाए तो भाजपा को 120 सीट मिलने की संभावना है, जबकि आईबीसी24 के मुताबिक, भाजपा बहुमत के आंकड़े से आगे निकल जाएगी, जबकि पोलस्टर ने अपने ओपिनियन पोल में भाजपा को 131 से 146 सीट दी हैं।

    पोलस्टर के ओपिनियन पोल के मुताबिक, अगर मध्य प्रदेश में आज चुनाव हो जाएं तो भाजपा को 131 से 146 सीट, जबकि कांग्रेस को 66 से 81 सीटें मिलने का अनुमान है। ओपिनियन पोल में 58.3 फीसदी जनता ने शिवराज सिंह चौहान सरकार के कामकाज को बेहतर माना, जबकि कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार को केवल 41.7 फीसदी जनता का समर्थन मिलने का अनुमान है।

    शिवराज का नहीं है कोई सानी

    दस दिनों में हुए सारे ओपिनियन पोल में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे पसंदीदा चेहरा शिवराज सिंह चौहान ही हैं। दो महीने पहले तक चल रही एंटी इंकम्बेंसी और मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने की बात को भी इस पोल ने खारिज किया है। पोल में शिवराज सिंह चौहान को 60.2 फीसदी, जबकि कमलनाथ को महज 39.8 फीसदी जनता का समर्थन मिल रहा है।

    मामा को मिल रहा बहनों और आदिवासियों का साथ

    लाडली बहना के आयोजनों और आदिवासी इलाकों में पेसा एक्ट की चौपालों को मिले समर्थन का प्रतिबिंब भी इस ओपिनियन पोल में नजर आ रहा है। शिवराज सरकार की महत्वाकांक्षी लाडली लक्ष्मी योजना को 43.8 फीसदी जनता का समर्थन मिलते हुए नजर आ रहा है।

    ओपिनियन पोल के मुताबिक, 38.4 फीसदी लोगों ने माना कि पेसा कानून से आदिवासी समाज को बहुत लाभ हुआ है, जबकि 43.2 फीसदी लोगों के मुताबिक, इस कानून से कुछ हद तक लाभ मिला है। 18 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद एंटी इंकम्बेंसी न होना राजनीति विज्ञान के छात्रों के लिए शोध का विषय भी हो सकता है।

    देश की राजनीति में लगातार इतने सालों तक मुख्यमंत्री रहने में शिवराज से आगे सिर्फ उड़ीसा के नवीन पटनायक हैं। 2023 के विधानसभा चुनावों में भी भाजपा के पोस्टर बॉय शिवराज ही है। मामाजी की लोकप्रियता जनआशीर्वाद यात्रा से लेकर छोटे छोटे सम्मेलन तक में देखी जा सकती है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक भी यही मानते हैं कि वोट शिवराज के चेहरे पर ही भाजपा को मिलेगा।

    '18 माह सत्ता नहीं संभाल सके कमलनाथ'

    शिवराज और कांग्रेस के कमलनाथ की तुलना पर राजनीतिक लेखक नितिन शर्मा का कहना है कि दोनों की कोई तुलना नहीं। ये संभव भी नहीं। कमलनाथ एक बड़े नेता जरूर है पर वे जननेता नहीं बन सके। उनकी तासीर भी नहीं है। वे ये भी कहते हैं कि शिवराज ने 18 साल सरकार चलाई। कमलनाथ 18 महीने सत्ता नहीं संभाल सके। ये दोनों की कार्यशैली के अंतर को साफ दर्शाता है।

    क्या शिवराज से नाराज है जनता?

    ओपिनियन पोल में सबसे दिलचस्प बात यह सामने आई कि प्रदेश में एंटी इंकम्बेंसी है पर वह शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ नहीं है, बल्कि भाजपा के कुछ विधायकों के प्रति है। जनता ये मानती है कि शिवराज तो अच्छे हैं। भाजपा ऐसे विधायकों की सूची बनाकर उनके टिकट पर विचार कर ही रही है। शिवराज भी अपनी सभाओं में ये कहकर कि अपने भाई पर  भरोसा रखना। जनता की नाराजगी दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।

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    सामंजस्य बनाने में माहिर हैं शिवराज

    शिवराज सिंह चौहान जनता में जितने लोकप्रिय हैं। वे अपने विधायकों और विपरीत विचारधारा वालों से सामंजस्य बनाने में भी माहिर है। सिंधिया के साथ कांग्रेस से आये विधायकों को भी उन्होंने बखूबी साधा। अपने सरल व्यवहार से उनको भी अपना मुरीद बना लिया। सिंधिया गुट के कई मंत्री शिवराज सिंह चौहान की तारीफ करते और उनके साथ कंधे-कंधे मिलाकर चलते हुए नजर आते हैं।

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