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    Lok Sabha Election 2024: चुनावी रण में पूर्व पति-पत्नी के बीच छिड़ी जंग; जिसे जिताने के लिए की थी दिन-रात मेहनत, उसी के खिलाफ ठोंकी ताल

    Updated: Sun, 12 May 2024 11:47 AM (IST)

    West Bengal Lok Sabha Election 2024 बंगाल के चुनावी रण में एक सीट ऐसी भी है जहां से पूर्व पति-पत्नी मैदान में आमने-सामने हैं। दिलचस्प बात यह है कि पिछले चुनाव में पत्नी ने ही पति के चुनावी अभियान को संभाला था और जीत दिलाई थी लेकिन अब दोनों अलग हो चुके हैं और महिला ने पूर्व पति के खिलाफ ही चुनावी ताल ठोंक दी है।

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    Lok Sabha Election: 2019 में सौमित्र को चुनाव जिताने में सुजाता ने अहम भूमिका निभाई थी।

    जयकृष्ण वाजपेयी, कोलकाता। पिछले लोकसभा चुनाव में जिन्होंने दिन-रात एक कर पति की जीत में अहम भूमिका निभाई थी, अब वही उनकी तीसरी जीत (हैट ट्रिक) की राह में दीवार बनकर खड़ी हैं। बीते पांच वर्षों में बहुत कुछ बदल चुका है। समय ही नहीं, बल्कि रिश्ते से लेकर पार्टी तक। यही वजह है कि बंगाल के बांकुड़ा जिले की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित बिष्णुपुर लोकसभा सीट पूर्व पति-पत्नी के बीच की लड़ाई का गवाह बन चुकी है।

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    एक तरफ हैट्रिक लगाने को भाजपा के टिकट पर सौमित्र खां मैदान में हैं तो दूसरी ओर कुछ समय पहले ही तलाक ले चुकी उनकी पत्नी सुजाता मंडल तृणमूल कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी हैं। इस मुद्दे पर सौमित्र का कहना है कि वह पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहते हैं। इस बार का चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर लड़ा जा रहा है।

    पत्नी ने संभाला था चुनावी अभियान

    कुछ माह पहले तक राजनीतिक हलकों में सुजाता मंडल को सौमित्र खां की पत्नी के तौर पर जाना जाता था। जुलाई 2016 में सौमित्र की शादी बाराजोरा की रहने वाली सुजाता से हुई थी। वह उस समय बिष्णुपुर से तृणमूल कांग्रेस के सांसद थे। सौमित्र 2019 में भाजपा में शामिल हो गए, फिर सुजाता भी उनके साथ हो लीं।

    एक आपराधिक मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान सौमित्र को अपने क्षेत्र ही नहीं बल्कि बांकुड़ा जिले में प्रवेश पर रोक लगा दी थीा। ऐसी स्थिति में उनकी अर्धांगिनी सुजाता ने ही उनके चुनाव अभियान को संभाला था और सौमित्र को जीत मिली थी। चुनाव परिणाम आने के बाद भाजपा सांसद ने भी अपनी जीत का श्रेय उन्हें दिया था।

    तृणमूल में शामिल हुईं सुजाता

    2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले सुजाता ने भाजपा छोड़ दी और तृणमूल के वरिष्ठ नेता सौगत राय और कुणाल घोष की मदद से उनकी पार्टी में शामिल हो गईं। उसी दिन, सौमित्र ने अपने साल्टलेक आवास पर एक संवाददाता सम्मेलन में अपनी पत्नी से अलग होने की घोषणा कर दी। वह रोते हुए भी नजर आए थे। इसके बाद सुजाता और सौमित्र का तलाक का मामला कोर्ट पहुंच गया।

    विधानसभा चुनाव में तृणमूल ने सुजाता को भी उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह हार गईं। सौमित्र और सुजाता का पिछले वर्ष कोर्ट से तलाक हो गया। पिछले पंचायत चुनाव में सुजाता ने खां को छोड़कर मंडल टाइटल के साथ पहली बार चुनाव लड़ा और बांकुड़ा जिला परिषद की सीट नंबर 44 से जीत हासिल की। इस बार बिष्णुपुर लोकसभा क्षेत्र से तृणमूल उम्मीदवार हैं, जिनका दावा है कि वह इस क्षेत्र को अपने हाथ के हिस्से की तरह जानती हैं।

    माकपा के गढ़ में खां ने लगाई थी सेंध

    बिष्णुपुर लोकसभा सीट को माकपा का गढ़ कहा जाता था, क्योंकि 1977 से लेकर 2014 लोकसभा चुनाव से पहले तक माकपा का कब्जा था। सौमित्र खां पहले कांग्रेस में थे, जिसके बाद वह तृणमूल में शामिल हो गए और 2014 में पहली बार तृणमूल के टिकट चुनाव लड़े और जीत दर्ज की थी। साल 2019 में भाजपा में शामिल होने के बाद फिर से खां ने अपनी जीत दोहराई।

    ये हैं प्रमुख मुद्दे

    बारजोरा, सोनामुखी और ओंदा आदि इलाकों के लोग वर्षों से पेयजल संकट झेल रहे हैं। ये समस्याएं इलाके के प्रमुख मुद्दों में शामिल हैं। इसे लेकर एक तरफ सौमित्र खां कह रहे हैं कि जल्द ही हर घर नल जल योजना के लाभ सभी को मिलेगा। दूसरी ओर उनकी पूर्व पत्नी व तृणमूल उम्मीदवार सुजाता मंडल भी इस समस्या से निजात दिलाने का वादा कर वोट मांग रही हैं।

    पेयजल और सड़क के अलावा बेरोजगारी, इलाके में विरासत व प्राकृतिक सुंदरता, कला और शिल्प के कारण पर्यटन की अपार संभावनाएं होने के बावजूद पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उचित प्रयास नहीं होना, जिले में साली और दारकेश्वर नदियों के तटों का कटाव को नियंत्रित करने में प्रशासनिक विफलता भी ज्वलंत मुद्दे हैं।

    पिछड़ी जाति के मतदाता 55 प्रतिशत से अधिक

    इस सुरक्षित सीट पर अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी को मिलाकर करीब 55 प्रतिशत से अधिक मतदाता हैं। बिष्णुपुर से लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ रहे सौमित्र खां ने 2014 में 45.5 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। इसके मुकाबले पिछले चुनाव में उन्होंने 46.25 प्रतिशत वोट लेकर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी तृणमूल उम्मीदवार को 78,000 मतों के अंतर से हराया था।

    इस बार माकपा ने जिले के ही जयपुर में एक स्कूल के शिक्षक शीतल चंद्र कोइबोर्तो को मैदान में उतारा है, जो दावा करते हैं कि उन्हें निर्वाचन क्षेत्र में सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। इसीलिए लड़ाई त्रिकोणीय होगी।

    चार विधानसभा पर तृणमूल का कब्जा

    बिष्णुपुर लोकसभा क्षेत्र की सात विधानसभा सीटों पर 2021 में हुए चुनाव में तृणमूल ने चार और भाजपा ने तीन सीटें जीती थीं। इस बार अपनी जीत सुनिश्चित बताते हुए सुजाता कहती हैं कि मुझे अब जनता के लिए काम करने का सीधा अवसर मिलेगा। ममता सरकार ने महिलाओं के लिए लक्ष्मी भंडार योजना के तहत महिलाओं को एक हजार और एससी-एसटी महिलाओं को 1200 रुपये प्रति माह दिया जा रहा है।

    वह बताती हैं कि स्वास्थ्य साथी स्वास्थ्य बीमा कवरेज के तहत जनता को लाभ पहुंचा है और इसीलिए लोग भाजपा और माकपा के बजाय तृणमूल कांग्रेस को ही चुनेंगे। वहीं, सौमित्र का दावा है कि शिक्षा विभाग, राशन में घोटाला समेत कई भ्रष्टाचार हुए हैं, काम नहीं करने दिया जाता है। बिष्णुपुर में लोकसभा सीट पर छठे चरण में, 25 मई को मतदान होना है और लड़ाई त्रिकोणीय है।

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    सौमित्र 'खां' क्यों

    सौमित्र खां हिंदू हैं और अनुसूचित जाति के हैं। उनके पूर्वजों को खां की उपाधि मिली थी। वैसे तो सरनेम में खां लगाने के निश्चित प्रमाण या ठोस आधार तो नहीं है लेकिन कई अलग-अलग बातें कहते हैं। कुछ कहते हैं कि अंग्रेजों ने बहादुरी का काम करने वालों को जिस तरह से रायबहादुर की उपाधि दी थी उसी तरह से खां उपाधि भी दी थी, तो कुछ कहते हैं कि मुगलों के शासन में बहादुरी का काम करने पर मिला था। बिहार में तो ब्राह्मणों को भी खां की उपाधि मिली हुई है।

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    पिछली बार के मत प्रतिशत

    • भाजपा- 46.25%
    • तृणमूल- 40.75%
    • माकपा- 7.22%
    • कांग्रेस-1.26%

    2019 में किसे कितने वोट

    • सौमित्र खां (भाजपा) - 6,57,019
    • श्यामल सांत्रा (तृणमूल) - 5,78,972
    • सुनील खां (माकपा) - 1,02,615

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