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    Lok Sabha Election 2024: अब बुलेट की नहीं, बैलेट की होती है बात; जानिए कितनी बदली आतंकी हिंसा के गढ़ की तस्वीर

    Updated: Sun, 12 May 2024 10:29 AM (IST)

    Jammu Kashmir Lok Sabha Election 2024 श्रीनगर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में पुलवामा जिले को आतंकी हिंसा की दृष्टि से सबसे ज्यादा संवेदनशील माना जाता है। पहले यह जिला अनंतनाग संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा था अब यह श्रीनगर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। अब वहां का हालात क्या हैं। लोग लोकतंत्र व अन्य मुद्दों पर क्या सोचते हैं। इस बारे में पुलवामा से नवीन नवाज की रिपोर्ट-

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    Lok Sabha Election 2024: पुलवामा अब श्रीनगर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है।

    नवीन नवाज, पुलवामा। कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद की सियासत में रुचि रखने वाले अच्छी तरह से जानते हैं कि 2010 से 2020 तक अगर पुलवामा जिला पूरे कश्मीर में आतंकी हिंसा का गढ़ था तो काकपोरा उस गढ़ की धड़कन। काकपोरा में आए दिन सुरक्षाबलों और आतंकियों में मुठभेड़ या फिर आतिकयों व अलगाववादियों के समर्थकों की सुरक्षाबलों के साथ हिंसक झढ़पें।

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    अब न कोई डरता है, न कोई डराता है

    काकपोरा मुख्य चौराहे पर सुबह 11 बजे गाड़ियों की लंबी कतार है। चौक पर एक दुकान के बाहर भीड़ है, जो श्रीनगर संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे पीडीपी उम्मीदवार वहीद उर रहमान परा को सुन रही है। परा ने अपनी बात की और आगे बढ़ गए। थोड़ी देर में जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के समर्थक अपनी गाड़ियों में गुजरे। वे बाजार में खड़े लोगों को बैट दिखाते हुए गए। उनके जाने के बाद वहां कई लोग आपस में चुनाव को लेकर चर्चा करने लगे।

    कई अपने काम-धंधे में व्यस्त हो गए। चौराहे पर बेकरी की दुकान चला रहे रईस अहमद ने एक ग्राहक से राजनीतिक रैलियों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि वाकई यहां सब कुछ बदल गया है। पांच वर्ष पहले तक मैं यहां ऐसा माहौल सोच भी नहीं सकता था। यहां चुनावी रैली करना तो दूर, चुनाव का नाम लेना असंभव था। अब यहां न कोई डरता है, न कोई डराता है, बस अब सब अपनी जिंदगी का खुद फैसला कर रहे हैं।

    इस बार वोटिंग खूब होगी

    काकपोरा से तीन किलोमीटर दूर गुंडीबाग का नाम ही काफी है। यह गांव 14 फरवरी, 2019 को उस समय चर्चा में आया था, जब गांव से करीब 20 किलोमीटर दूर लेथपोरा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमला हुआ था। हमले को अंजाम देने वाला जैश आतंकी आदिल डार इसी गांव का था। गांव के बाहरी मुहाने पर स्थित आदिल के घर में उसके दो भाई और माता-पिता रहते हैं, लेकिन कोई गहमा-गहमी नहीं है।

    उसके पड़ोसी एजाज अहमद ने कहा कि आप क्यों उन्हें कुरेदने की कोशिश कर रहे हो। जो होना था, हो गया। अब आगे की बात करो। प्रिंटिंग प्रेस चलाने वाले एजाज अहमद ने कहा कि आज हमारे गांव में एक भी आतंकी नहीं है, पहले कभी थे। कुछ लड़के जरूर जेल में हैं, लेकिन वह जब छूटेंगे तो मुझे नहीं लगता कि वह दोबारा बंदूक उठाएंगे, क्योंकि यहां अब सब बदल गया है।

    सुविधाएं बढ़ीं

    गांव की बाहरी सड़क पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियो को लेकर कुछ युवकों की बुजुर्गों के साथ बहस हो रही है। तजम्मुल नामक युवक ने कहा कि यहां क्या बहस कर रहे हो, मैं भी संगबाज था। अगर यहां कोई वोट डालने निकलता तो उसकी खैर नहीं होती थी, लेकिन इस बार यहां वोटिंग खूब होगी।

    उसकी यह बात सुनकर जब उससे पूछा कि वोटिग क्यों होगी तो उसने कहा कि जो सरकार ने किया, वह किसी ने नहीं। यहां अब हर किसान के खाते में पैसा आते हैं। कारोबार शुरू करने के लिए बैंक से अब आसानी से कर्ज मिलता है। कोई पटवारी अब हमारी जमीन में हेरा-फेरी नहीं कर सकता।

    अब नाउम्मीदी नहीं

    दोपहर दो बजे पुलवामा के बाजार में खूब चहल-पहल है। बस स्टैंड पर गाड़ियों की आवाजाही जारी है। पुलिस व सीआरपीएफ के जवानों की तादाद पहले की तरह नहीं है। कोई तनाव भी नहीं है। हाजी अब्दुल रशीद कहते हैं कि आपको पता है कि हमारे कश्मीर में एक हिरण होता है, जिसके पेट में खुशबु होती है, वह खुशबू की तलाश में भागता रहता है। वही हाल हम कश्मीरियों का था। अब यहां सभी को पता चल गया है कि जिस खुशबू और खुशहाली की तलाश हमें थी, वह यहीं पर है।

    वह आगे कहते हैं कि आज आप हमारे पुलवामा में स्टेडियम देखो। कालेज देखो। आप पुलवामा को कश्मीर का आनंद कह सकते हो। दूध का सबसे ज्यादा उत्पादन यहीं पर हो रहा है। यहां रिंग रोड बन रहा है। लस्सपोरा में नई फैक्ट्रियां खुल रही हैं। बिजली का बिल परेशान जरूर करता है। बेरोजगारी भी है, लेकिन अब नाउम्मीदी नहीं है। न अब बूढ़े कंधों पर अपने बच्चों के जनाजे के बोझ का डर। इसलिए अब यहां कोई किसी गैरकश्मीरी को देखकर हिचकता नहीं है। उससे बात करता है।

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    हम वोट जरूर देंगे

    भाजपा नेता आफताब अहमद यत्तु ने कहा कि आपको हमारी बात पर यकीन नहीं आएगा। आप यहां से गुजरने वाले युवकों से बात करें तो आपको असलियत पता चलेगी। इसी दौरान वहां कुछ लोग जमा हो गए, जिनमें कुछ अधेड़ भी थे। एक ने अपना नाम बताने से इन्कार करते हुए कहा कि यहां जो हो रहा है, वह सब पांच अगस्त का नतीजा है। उसकी हां में हां मिलाते हुए वहां खड़े अन्य युवक एक-दूसरे की बात काटते हुए बोले कि यहां अब ड्रग्स के खिलाफ कार्रवाई हो रही है।

    वह कहते हैं कि अब यहां अफीम की खेती पर लगाम लग रही है। पहले यहां क्या था, अफीम की खेती और आजादी के नारे के साथ बंदूक या पत्थर। पहले यहां बंदूक उठाने की बात होती थी, अब बैलेट से अपने मसले को हल करने की बात होती है। हम भाजपा के समर्थक नहीं हैं, लेकिन खुलकर बात कर रहे हैं तो उसके लिए हम प्रधानमंत्री के शुक्रगुजार जरूर हैं। यहां जो तरक्की की उम्मीद जगी है, वह उन्होंने ही जगाई है। हम वोट जरूर देंगे।

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