Lok Sabha election-2019: उत्तराखंड भाजपा: रास आया पहला ही संकल्प
आतंकवाद पर सुरक्षा नीति और सैनिक कल्याण के तहत भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में प्रतिबद्धता जाहिर की है।
देहरादून, विकास धूलिया। जिस आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट (अफस्पा) और देशद्रोह कानून पर घोषणापत्र में लिया गया स्टैंड कांग्रेस को उत्तराखंड में भारी पड़ता नजर आ रहा है, उसे भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में सर्वोच्च प्राथमिकता में शुमार किया है। आतंकवाद पर सुरक्षा नीति और सैनिक कल्याण के तहत भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में जो प्रतिबद्धता जाहिर की है, उसने अब इस सैन्य बहुल राज्य में कांग्रेस के लिए परेशानियों में और इजाफा कर दिया है। तय है कि अगले दो दिन उत्तराखंड में भाजपा इसी मुद्दे को अपना सबसे बड़ा सियासी अस्त्र बनाकर पहले से ही बैकफुट पर नजर आ रही कांग्रेस को पूरी तरह कठघरे में खड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
कांग्रेस को किया और ज्यादा असहज
सत्रहवीं लोकसभा के लिए होने जा रहे महासमर के आगाज से ठीक तीन दिन पहले भाजपा ने अपने संकल्प पत्र के जरिये अगले पांच साल का रोडमैप अवाम के सामने पेश कर दिया। उत्तराखंड के विशेष परिप्रेक्ष्य में देखें तो पांच सीटों के लिए होने जा रहे चुनाव में सैन्य मामलों में पार्टी ने जो स्टैंड लिया, उसने कांग्रेस को और ज्यादा असहज करने का काम किया है। दरअसल, कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणापत्र में आम्र्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट (अफस्पा) और देशद्रोह कानून को लेकर जो बिंदु शामिल किए, वे सैन्य बहुल उत्तराखंड को कतई रास नहीं आए। यही वजह रही कि कांग्रेस ने अब तक भी पार्टी के घोषणापत्र को राज्य में जारी करने से गुरेज किया है।
भाजपा के संकल्प पत्र में सबसे ऊपर
भाजपा ने सोमवार को नई दिल्ली में लोकसभा चुनाव के लिए संकल्प पत्र जारी किया। महत्वपूर्ण बात यह कि संकल्प पत्र में पहले नंबर पर ही आतंकवाद पर सुरक्षा नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा और सैनिकों का कल्याण के बिंदु 'राष्ट्र सर्वप्रथम' के तहत शामिल किए गए हैं। सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक का जिक्र करते हुए इसमें कहा गया है कि सुरक्षा नीति केवल राष्ट्रीय सुरक्षा विषयों द्वारा ही निर्देशित होगी। आतंकवाद और उग्रवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति के मुताबिक सुरक्षा बलों को आतंकवादियों का सामना करने के लिए फ्रीहैंड नीति का अनुसरण जारी रहेगा। यह सीधे तौर पर कांग्रेस के घोषणापत्र में अफस्पा और राष्ट्रद्रोह कानून पर लिए गए स्टैंड का जवाब है।
सैनिक कल्याण के प्रति दोहराई प्रतिबद्धता
संकल्प पत्र में भाजपा ने सैनिकों के कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। इसमें वन रैंक, वन पेंशन का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि भाजपानीत केंद्र सरकार ने लंबे समय से लंबित वन रैंक, वन पेंशन योजना को लागू कर सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों के प्रति अपने संकल्प की प्रतिबद्धता जाहिर की है। साथ ही भरोसा दिया कि सेवानिवृत्त सैनिकों के पुनर्वास के लिए अधिक प्रभावी ढांचा तैयार किया जाएगा। भाजपा ने एक वादा और किया है। वह यह कि सशस्त्र बलों के सैनिकों के सेवानिवृत्त होने से तीन वर्ष पूर्व उनकी पसंद के मुताबिक उनके पुनर्वास की योजना आरंभ कर दी जाएगी।
उत्तराखंड में सेना से जुड़ा मुद्दा संवेदनशील
उत्तराखंड सैन्य बहुल राज्य है। हर परिवार का सदस्य या तो सेना में है या पहले रहा है। यही वजह है कि सैन्य मामलों को लेकर राज्य की जनता काफी संवेदनशील रहती है। कारगिल युद्ध हो या फिर जम्मू-कश्मीर में आतंक का मुकाबला, उत्तराखंड के जवान हर समय आगे रहे और शहादत दी। हाल ही में पुलवामा आतंकी हमले और इसके बाद की घटनाओं में उत्तराखंड के चार अधिकारी और जवान शहीद हुए। अगर आंकड़ों की बात करें तो राज्य में सैनिक पृष्ठभूमि के मतदाताओं की संख्या करीब 12 फीसद है। राज्य के अधिकतर परिवारों के किसी न किसी तरह सैन्य पृष्ठभूमि के परिवारों से संबंध को देखते हुए इसके सामाजिक और सियासी असर को और व्यापक माना जाता है। अफस्पा और देशद्रोह कानून को लेकर कांग्रेस के रुख के बाद जिस तरह सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों से लेकर आम जनता तक में कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई, उसने इसकी पुष्टि की।
बोले मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि भाजपा का संकल्प पत्र एक सशक्त और सुखी भारत का संकल्प पत्र है। ग्रामीण भारत की दशा बदलने, किसानों की स्थिति सुधारने, गरीबों के हितों का ख्याल, शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रगति और देश की सुरक्षा से कोई समझौता न करने के संकल्प इसमें हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने राष्ट्र की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया। संकल्प पत्र इस बात का संकल्प है कि देश विरोधी ताकतों से सख्ती से निबटेंगे और सेना को सशक्त बनाने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।
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