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Lok Sabha Election 2024: भाजपा की हैट्रिक या फिर बदलाव की बयार? त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी यूपी की ये सीट, पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट

UP Lok Sabha Election 2024 उत्तर प्रदेश के कुशीनगर संसदीय क्षेत्र से भाजपा ने वर्तमान सांसद विजय कुमार दूबे और सपा ने सपा ने अजय कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाया है। वहीं पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी से मैदान में हैं और मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं। जीतेगा कौन यह तो परिणाम बताएंगे लेकिन यहां भी मुकाबला दमदार होने की उम्मीद है।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Published: Mon, 27 May 2024 06:49 PM (IST)Updated: Mon, 27 May 2024 06:49 PM (IST)
विजय कुमार दूबे, स्वामी प्रसाद मौर्य, अजय कुमार सिंह (बाएं से दाएं)

अवधेश माहेश्वरी, कुशीनगर। पश्चिम से रवाना हुई चुनावी एक्सप्रेस ठेठ पूरब में सीटी बजा रही है। ज्येष्ठ की दुपहरिया की बरसती आंच के बीच नेशनल हाईवे पर बोर्ड दिखाई देता है कि वेलकम टू हाटा। यह बता देता है कि कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र में प्रवेश हो चुका है।

शोरूम, दुकान और मकानों को देखते ही लगता है कि अब यह वह पूरब तो नहीं, जहां के पिछड़ेपन और गरीबी की चर्चाएं कभी बहुत सुनी थीं। नया फ्लाईओवर बना है। साइड में खड़ी दो बसें देखकर अंदाजा हो रहा है कि चुनाव ड्यूटी के लिए आगे बढ़ने वाली हैं।

मतदाताओं के मन में सवाल

एक बस पर भगवा ध्वज लगा है, ड्राइवर उसे पकड़े हुए इस सोच में है कि चुनाव के लिए गाड़ी ले जाने के लिए इसे हटाए या नहीं। ऐसा ही कुछ मतदाता के मन को गूंथ रहा है कि भगवा दल के साथ ही फिर जाएं या बदलाव के रास्ते पर बढ़ जाएं।

सड़क पर आगे बढ़ते-बढ़ते बोधगया और वैशाली के रास्ते की भी दिशा बताने वाला एक और बोर्ड यह समझा देता है कि बौद्ध तीर्थ सर्किट का पर्यटन इस रास्ते से खूब चौकड़ी क्यों भरता है। अब कुशीनगर में प्रवेश करते ही भगवान बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली है। वहां बुद्ध पूर्णिमा की भीड़ तो छंट गई, लेकिन उनके अनुयायी और पर्यटकों के आने का हल्का क्रम लगातार चल रहा है।

यही श्रद्धा यहां की आर्थिकी को तेज गति देती है। विश्राम स्थली पर बुद्ध के लेटे हुए स्वरूप की विशाल प्रतिमा है। वह तीन दिशाओं से देखने पर तीन तरह से नजर आती है, एक विश्राम की मुद्रा, दूसरी चिंतन और तीसरी मुस्कुराहट। चुनावी बातचीत में पहली आहट इन मुद्राओं से ही होती है।

काम तो हुए लेकिन समस्याएं भी

बाहर दुकानदार आशीष तिवारी से चुनाव का हाल पूछा तो वह कुर्सी बढ़ाते हुए कहते हैं कि बैठकर आराम से बात करिए। फिर... सोचकर कहते हैं कि ‘भाजपा के विजय दुबे और साइकिल पर बैठे अजय प्रताप सिंह दोनों ही दमदार हैं। दूसरी बार दिल्ली जाने की कोशिश में जुटे विजय दुबे से नाराजगी नहीं है। उन्होंने शहर और गांवों में सड़कें बनवाई हैं, जो मुस्कुराहट देती हैं। लोगों के बीच आते-जाते हैं।’

अब एक समस्या पर बोले- ‘बिजली के ट्रांसफार्मर लोड हर साल बढ़ने से जल्द गर्म हो रहे हैं, उनकी क्षमता बढ़ना जरूरी है।’ परिनिर्वाण स्थली के बाहर हाईवे पर 46 करोड़ रुपये से बन रहे फ्लाईओवर का काम एकतरफ पूरा हो चुका है। वहां रहने वाले विकास शर्मा कहते हैं कि ‘आपको इसका बनना सामान्य बात लगेगी, लेकिन यहां पहले हर महीने दर्जनों दुर्घटनाएं होती थीं।’

आगे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रास्ते का सन्नाटा बता रहा है कि यहां इस समय कोई फ्लाइट संचालित नहीं हो रही, उद्घाटन के कुछ समय बाद ही सारा जोश ठंडा हो गया। इसकी वजह विमान कंपनियों के लिए यात्री लोड फैक्टर कम होना है।

जो अच्छौ काम करत, तेई वोट दिआई

वृद्ध राजेंद्र पटेल कहते हैं कि ‘सबको विकास तो चाहिए। भाजपा ने अपना रास्ता पिछले 10 साल में बता दिया है, दूसरों के बारे में तो सरकार में रहने पर ही पता चलता है। उद्योगों की तस्वीर बहुत समृद्धवान नहीं है। 10 में से चार चीनी मिलें बंद हैं। किसान गेहूं और धान पर ज्यादा निर्भर हैं। खेती में नई फसलों के लिए प्रयोग हो रहे हैं, लेकिन बहुत रास्ता तय करना बाकी है।’

जिला कुशीनगर में जिलाधिकारी का कार्यालय नहीं है, इसके लिए पडरौना जाना पड़ता है। प्रश्न उठता है कि जिला मुख्यालय के नाम में भी राजनीति को क्या दूर नहीं रखा जा सकता। वैसे पडरौना बाजार में दो साल पहले बना माल और यहां का फुटफाल दुकानदारों के लिए उम्मीदों पर खरा उतर रहा है। यही विकास की लहर गांव की ओर भी बढ़ रही है। जटा बाजार के भावंत चौधरी कहते हैं कि गांवों की सड़कें देखिए। पहले ना कराता, ना सुनौता (पहले न कराते थे, न सुनते थे) अब जो अच्छौ काम करत, तेई वोट दिआई।

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जाति और धर्म की चालें

चुनाव में जाति और धर्म दोनों की चालें बहुत हैं। मुस्लिमों का मन खड्डा बाजार निवासी सैयद इरफान से जानिए। वह कहते हैं कि ‘भाजपा सरकार से विकास को लेकर कोई शिकायत नहीं, लेकिन हिंदू-मुसलमान में हम बहुत बंट गए हैं। हम वोट ऐसे बंटवारे की आवाज को दबाने के लिए देंगे।’ उनको उम्मीद है ‘सरकार बदली तो भाईचारा बढ़ेगा।’

अब योद्धाओं पर नजर डाल लेते हैं। भाजपा ने वर्तमान सांसद विजय कुमार दूबे और सपा ने सपा ने अजय कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी से मैदान में हैं और मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं। जीतेगा कौन, यह तो परिणाम बताएंगे, लेकिन चुनाव को एक नजर सत्तू विक्रेता मुकेश स्वर्णकार भी देते हैं- कहते हैं कि ‘सबकी अपनी दुकान है, लेकिन मुफ्त अनाज ने घरों के बजट को संभाल लिया है। यह मुस्कुराहट देता है।’

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'वो अपनों के लिए स्वामी'

पहले भाजपा और फिर सपा से बाहर स्वामी प्रसाद मौर्य सपा-भाजपा की लड़ाई को कांटेदार बना रहे हैं। सिंधुआ बाजार के राजेंद्र पांडेय कहते हैं कि ‘वह जिसे अपना मानते हैं, उसके सब काम कराते हैं। जो उनके नजदीकी हैं, फार्च्यूनर (एसयूवी) से चल रहे हैं।’ कुछ देर में मौर्य का काफिला भी दिखता है, जो दर्शा देता है कि वह दमदारी से लड़ रहे हैं। वहीं युवा विकास कहते हैं कि ‘अबकी बार आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर और स्वामी प्रसाद मौर्य का गठबंधन फूल और साइकिल दोनों की मुश्किल कर डारैगो।’

चर्चा तो आरपीएन की भी

चुनाव क्षेत्र में जातियों का अपना असर है। यहां लगभग 19 लाख मतदाताओं में ब्राह्मण 12 प्रतिशत हैं। इनका रुख पुराना ही है। भाजपा ने कांग्रेस से आरपीएन सिंह को अपने पाले में कर मजबूत चाल खेली है। उनका यहां राजघराने से जुड़ाव और जनता के कार्य कराने को तैयार रहने की मुद्रा के चलते काफी सम्मान है। माना जाता है कि वह स्वयं चुनाव मैदान में होते तो पांच लाख वोटों से जीतते, लेकिन वोट ट्रांसफर कराने के लिए भी वह ताकत लगाए हैं। यही भाजपा में उनके भविष्य को वजनदार बनाने वाला होगा।

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