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JAGRAN EXCLUSIVE: इस बार भी मोदी के नेतृत्व में निर्णायक सरकार चाहता है देश

जब भारत को पीड़ा होती है तो राहुल गांधी को व्यंग्य क्यों सूझता है। 1971 के बाद इस देश में पहली बार नरेंद्र मोदी ने फैसला लेने का साहस दिखाया।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 06 Apr 2019 09:43 AM (IST)Updated: Sat, 06 Apr 2019 10:00 AM (IST)
JAGRAN EXCLUSIVE:  इस बार भी मोदी के नेतृत्व में निर्णायक सरकार चाहता है देश
JAGRAN EXCLUSIVE: इस बार भी मोदी के नेतृत्व में निर्णायक सरकार चाहता है देश

पटना, [जागरण स्पेशल]। केंद्र की राजग सरकार अपनी पांच साल की उपलब्धियों के साथ चुनाव मैदान में है। विपक्ष भी अपनी पूरी तैयारी के साथ भाजपा और उसके सहयोगी दलों का मुकाबला करने को तैयार है। केंद्रीय विधि व न्याय और इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद पटना साहिब से भाजपा के उम्मीदवार हैं। पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे प्रसाद का मुकाबला उनकी अपनी ही पार्टी में रहे शत्रुघ्न सिन्हा से है। दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख नितिन प्रधान और बिहार के स्थानीय संपादक मनोज झा से प्रसाद की बातचीत के प्रमुख अंश...

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कांग्रेस लगातार सरकार पर आरोप लगा रही है कि सेना का राजनीति के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। चुनाव के वक्त इस तरह के आरोपों को आप किस नजरिए से देखते हैं?

-यही कांग्रेस की दिक्कत है। मैं तो कांग्रेस से यही सवाल पूछना चाहता हूं कि वह देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ क्यों कर रही है? बालाकोट में हुई एयरफोर्स स्ट्राइक पर सवाल करना, उससे पहले उरी की सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाना, प्रधानमंत्री पर खून की दलाली करने जैसा घटिया आरोप लगाना, और फिर मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन की तरफ से उठाये गये कदम पर व्यंग्य करना। आखिर इस कांग्रेस पार्टी को क्या हो गया है? आप भी जानते हैं कि देश की विदेश और सामरिक नीति दोनों बेहद संवेदनशील विषय हैं। कांग्रेस पार्टी ने देश पर 55 साल राज किया है। चीन अब तक तकनीकी कारणों से मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने से रोकने की चार बार कोशिश कर चुका है। ऐसा ही एक अवसर 2009 में भी आया था। लेकिन कांग्रेस ने उस वक्त कुछ नहीं कहा। जबकि इस बार तो प्रयास भारत के बजाय अमेरिका समेत अन्य देशों की तरफ से किया गया था। सवाल यहां यह उठता है कि जब भारत को पीड़ा होती है तो राहुल गांधी को व्यंग्य क्यों सूझता है। 1971 के बाद इस देश में पहली बार नरेंद्र मोदी ने फैसला लेने का साहस दिखाया। एयरफोर्स ने सीमा पार जाकर साहसिक कार्रवाई की। मीडिया के जरिए उसके सुबूत भी सामने आए।

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लेकिन विपक्ष कहता है कि यह कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ कम और राजनीति से प्रेरित अधिक थी?

- अगर यह कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ नहीं थी तो राहुल गांधी बताए कि 2008 में जब पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला किया तब उनकी केंद्र की सरकार ने क्या किया? एयरफोर्स तो उस वक्त भी हमले के लिए तैयार थी। तब उनकी सरकार ने इसकी इजाजत क्यों नहीं दी। उस समय राहुल गांधी प्रभावी थे। राहुल गांधी समेत विपक्ष को बता देना चाहता हूं कि आतंकवाद पर भारत का इस बार का उत्तर स्पष्ट कहता है कि अब आतंकवाद की कमर तोड़ने के लिए सरहद की सीमाएं बंधन नहीं बनेंगी। जरूरत पड़ने पर उन्हें पार भी किया जाएगा। ऐसे किसी भी आक्रमण की संभावना को प्रिएम्पटिव स्ट्राइक के जरिए समाप्त कर दिया जाएगा, जैसा इस बार किया गया है।

भाजपा के खिलाफ विपक्ष ने उत्तर प्रदेश, बिहार से लेकर दक्षिण तक इस बार मोर्चाबंदी की है। भाजपा इसे कैसे देख रही है?

- (ठहाके के साथ) ...आप विपक्ष के गठबंधन की बात कर रहे हैं। लेकिन मेरा सवाल है कि महागठबंधन का एजेंडा क्या है? कहां तो कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार के शपथ ग्रहण से लगा था कि अब सब एक हो रहे हैं। लेकिन देखिए अब चुनाव से पहले ही बिखर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश से बाहर है और मायावती ने कहा है कि हर जगह उम्मीदवार खड़ा करेंगी। चंद्रबाबू नायूड कांग्रेस से अलग है, ममता जी कांग्रेस से अलग है। आप देखिए कि अखिलेश यादव, मायावती, चंद्रबाबू नायडू और ममता किसी का कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं है। फिर कहां है महागठबंधन। अब उनकी तुलना में भाजपा को देखिए। बड़ा दिल, बड़ी सोच, बड़ी समझदारी। हमने नॉर्थ ईस्ट में एलायंस किया, हमने बिहार में गठबंधन किया, महाराष्ट्र में किया, पंजाब में किया और हमने तमिलनाडु में गठबंधन किया। दिल्ली में अभी तक मारामारी चल रही है।

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दोनों गठबंधन में अंतर क्या है?

- उनके महामिलावट और हमारे गठबंधन का सबसे बड़ा अंतर यही है एनडीए में भाजपा गठबंधन में बड़ी पार्टी के तौर पर एक धुरी है। एक सर्वमान्य नेता हैं नरेंद्र मोदी। और इसके मुकाबले उनका गठबंधन नेताविहीन, धुरी विहीन और कार्यक्रम विहीन। जहां एकमात्र नारा है मोदी हटाओ। मैं आपको बता दूं कि 2019 का भारत नब्बे के दशक का भारत नहीं है जहां गठबंधन बनाकर कोई अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। अटल बिहारी वाजपेयी या नरसिम्हा राव इस मामले में अपवाद रहे, जिन्होंने मैनेज करके सरकार चलायी। नब्बे के दशक प्रधानमंत्रियों की कुर्सी की आयु देखिए। वीपी सिंह 11 महीना, चंद्रशेखर 4 महीना, देवेगौड़ा 10-11 महीना और आठ महीने गुजराल साहब। क्या हम इसी तरह की सरकार वापस लाना चाहते हैं? नेता है कौन इनके पास? आज देश स्थायित्व चाहता है। देश प्रभावी नेता चाहता है, प्रभावी नीतियां चाहता है।

राजग के पांच साल के कार्यकाल को किस रूप में आप देखते हैं?

देखिए काम गिनाना शुरू करेंगे तो आपके लिए जगह कम पड़ जाएगी। लेकिन मैं इतना जरूर कहूंगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पांच साल के सरकार के कार्यकाल में भारत आज दुनिया की बड़ी ताकत बन चुका है। पाकिस्तान को हमने जिस तरह से पूरी दुनिया में कूटनीतिक तौर पर अलग- थलग किया है वो भारत की एक नई ताकत का परिचय है। आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से चलने वाली इकोनॉमी है, सबसे ज्यादा पूंजी निवेश हुआ है। टेक्नोलॉजी और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ है। इसीलिए भारत दुनिया की बड़ी ताकत और नरेंद्र मोदी दुनिया के बड़े नेता बने हैं।

लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि कांग्रेस ने गरीबों के लिए न्यूनतम आय योजना शुरू करके बढ़त बनाई है? 

- ऐसा नहीं है। हमने किसान सम्मान योजना शुरू की। प्रत्येक किसान को तीन किस्त में छह हजार रुपये मिलेंगे। लगभग एक करोड़ किसानों को पहली किस्त का पैसा जा चुका है। अब यह संख्या बढ़ने वाली है। लेकिन दूसरी तरफ गरीबों की बात करने वाली कांग्रेस पार्टी द्वारा शासित राज्यों से ही किसानों की लिस्ट नहीं भेजी गई है। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि आप अपने राजनीतिक विरोध के चलते किसानों का नुकसान क्यों कर रहे हैं। आपको नरेंद्र मोदी जी के किसान सम्मान योजना से नफरत है तो आप अपनी तरफ से और दे दीजिए। हम कहां रोक रहे हैं। हमने सबको स्वस्थ रखने के लिहाज से आयुष्मान भारत योजना शुरू की। आज 15 लाख से अधिक गरीब लोगों को फायदा हो रहा है। कैंसर जैसी बीमारियों का इलाज संभव हो पा रहा है। लेकिन कांग्रेसी राज्य इसकी भी लिस्ट नहीं दे रहे हैं।

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लेकिन कांग्रेस तो राज्य स्तर पर किसानों के कर्ज माफी का वादा भी कर रही है?
- देखिए 2009 में भी इन्होंने कर्ज माफी की घोषणा की थी। लेकिन वास्तविकता में किसानों को क्या मिला? देश में किसानों पर उस वक्त छह लाख करोड़ रुपये का कर्ज था। आपने माफ किया 52000 करोड़। बाद में सीएजी की रिपोर्ट में आया कि चालीस हजार लोग इसके पात्र ही नहीं थे। इस तरह से तो ये योजना चलाते हैं। मध्य प्रदेश में क्या किसानों कर्ज माफ हो गया? पंजाब में हो गया क्या? ये स्थिति है उनकी पार्टी की।

राफेल सौदे के जरिए कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है?

- मैं आपको स्पष्ट कर दूं कि हमारी सरकार भ्रष्टाचार से मुक्त सरकार रही है। जबकि उनका पूरा अतीत भ्रष्टाचार का रहा है। इसी क्रम में राफेल का मुद्दा उनकी खीज है। इस बात के संकेत आ रहे हैं कि संजय भंडारी के यूरो फाइटर के लिए काम करता था। उसके इनके परिवार से संबंध हैं। एयरफोर्स को राफेल की जरूरत है। देशहित, देश की सुरक्षा और गरीबों की सुरक्षा सब पर वोट की राजनीति हावी है। जबकि हमारी सोच साफ है सबका साथ सबका विकास। जनता जानती है प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ देश के लिए सोचते हैं।

पिछले तीन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने सरकार बनायी। क्या लोकसभा के चुनाव में इन नतीजों का असर दिखेगा?

- आप एक बात जान लीजिए। देश की जनता स्थानीय चुनाव, ग्राम पंचायत के चुनाव, विधानसभा चुनाव और लोकसभा के चुनाव में अंतर करना जानती है। इतनी समझदार है जनता। हमें उनकी समझदारी का नमन करना चाहिए। मध्य प्रदेश और राजस्थान में हमने जबर्दस्त टक्कर दी। हां छत्तीसगढ़ के नतीजे पूरी तरह उनके पक्ष में रहे। लेकिन लोकसभा में तो हर तरफ जनता की तरफ से नरेंद्र मोदी की ओर आने के संकेत हैं। इस बार उत्तर प्रदेश में उसी प्रकार पासा पलटेगा जिस तरह 2014 के चुनाव में पलटा था। कभी किसी ने कल्पना की थी कि हम 403 में से 325 सीट जीतेंगे? आज हमारी सबसे बड़ी पार्टी है। बूथ स्तर तक काम है। हमने लोकप्रिय काम किया है। लेकिन वहां तो अंतरविरोध स्पष्ट है।

आप उत्तर प्रदेश में अंतर्विरोध की बात कर रहे हैं। लेकिन वहां तो सपा बसपा मिलकर गठबंधन के तौर पर ये चुनाव लड़ रहे हैं?
- दो पार्टियां उत्तर प्रदेश में एक हुई हैं। लेकिन क्या उनके सारे समर्थक एक हुए हैं? अब देश ये स्वीकार नहीं करेगा कि आपका पापुलर मैनडेट नहीं है और आप किसी को हराने के लिए एक हो गये। वे सिर्फ अपने अस्तित्व को बचाने के लिए एक हुए हैं।

बिहार में भी आपका सामना महागठबंधन से ही है?

- देखिए, बिहार में हमने क्या प्रमाणिक बनाया है। भाजपा और नीतीश जी पुराने साथी रहे हैं। 18 साल से। रामविलास जी अटल जी की सरकार में मंत्री थे और आज भी हैं। हमारा बहुत बड़ा कुनबा है। हमने टिकट का बंटवारा भी सबसे पहले कर लिया। खासतौर पर जो हमारा सामाजिक समूह है उस पर हमने पूरा ध्यान दिया है। हमने दलितों के लिए काम किया है। आर्थिक आधार पर दस फीसद आरक्षण दिया है। समाज के हर वर्ग पर हमने ध्यान दिया है। इसलिए महागठबंधन और हमारे सामने कहीं नहीं टिकता।

आप तो छात्र राजनीतिक के समय से लालू जी को देख रहे हैं। क्या इस बार चुनावी राजनीति से अनुपस्थिति आपको मदद करेगी?

- लालू जी जेल में है। पूरे परिवार पर कार्रवाई चल रही है। सब पर भ्रष्टाचार का प्रमाणिक आधार है। वैसे भी आप बताये क्या आरजेडी लोकसभा में देश में महत्वपूर्ण प्लेयर है भी?

लेकिन बिहार में तो है?

- हां, ठीक है। लेकिन बिहार की जनता समझती है। जब हमसे आरजेडी अलग था और नीतीश भी अलग थे तब भी हम चालीस में से बत्तीस सीट जीते थे। ये है इसका प्रमाण। और अब तो नीतीश जी साथ हैं मोदी जी के। भाजपा और जदयू मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। मैं तो यही कहूंगा कि बिहार के नतीजे ऐतिहासिक होंगे।

पटना साहिब संसदीय सीट पर आपका मुकाबला पिछली बार आपकी पार्टी के टिकट पर जीते फिल्मी सितारे शत्रुघ्न सिन्हा से है। कितना रोचक और संघर्षपूर्ण होगा यह मुकाबला?
- आपको कहां दिख रहा है ऐसा कोई मुकाबला? ध्यान रहे कि शत्रुघ्न सिन्हा पिछली बार भाजपा के प्रत्याशी थे और इसलिए जीत पाए। पटना के वोटरों ने पिछली बार भाजपा को जिताकर मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए वोट किया था। यह लहर या जनभावना इस बार और परवान पर है। पटना साहिब सीट पर भाजपा की जीत को लेकर तो विपक्ष को भी शायद ही संशय होगा। जहां तक मेरी संसदीय सीट पर मेरे प्रतिद्वंद्वी का सवाल है तो मैं उन पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं करूंगा। अब वह भाजपा में नहीं हैं और कुछ भी करने को स्वतंत्र हैं।

अपनी जीत के लेकर आप इतने आश्वस्त कैसे हैं? आखिर क्या है पटना में ऐसा?

- दरअसल, पटना भाजपा और जनसंघ की यात्रा का एक बेहद अहम पड़ाव रहा है। यहां पार्टी और संगठन दोनों की जड़ें बहुत गहरी हैं। पटना के लोगों ने जनसंघ के सेवा भाव और भाजपा के राजनीतिक संघर्ष को बेहद करीब से देखा है। मेरे पिताजी ठाकुर प्रसाद जी और कैलाशपति मिश्र जी ने जनसंघ के शुरूआती दिनों में घर-घर जाकर लोगों के बीच काम किया था। तब मैं छोटा था, लेकिन उन लोगों के समर्पण ने मेरे अंदर राजनीति के माध्यम से सेवा का संस्कार भरा। फिर पटना साहिब के पांच विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के विधायक हैं। इसे भाजपा का किला कह सकते हैं। यहां पिछले कई चुनावों से भाजपा ही जीतती है, व्यक्ति या नेता नहीं।

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