Election 2024: चुनाव अभियान में बेटों के संसदीय क्षेत्रों तक सीमित हैं वसुंधरा और गहलोत; क्या है पार्टी के लिए प्रचार से दूरी की वजह?
Lok Sabha Election 2024भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे पूरे चुनाव अभियान में अपने पुत्र दुष्यंत सिंह के संसदीय क्षेत्र झालावाड़ को छोड़कर कहीं नजर नहीं आ रही हैं। यहां तक कि अपने गृहक्षेत्र धौलपुर करौली संसदीय क्षेत्र में उन्होंने एक भी दौरा नहीं किया है।उधर कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी अपने पुत्र वैभव गहलोत के संसदीय क्षेत्र सिरोही-जालौर में ही अधिक सक्रिय हैं।
नरेंद्र शर्मा, जयपुर। राजस्थान की चुनावी राजनीति में कभी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दो दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बार लोकसभा चुनाव अभियान से नदारद हैं।
भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे पूरे चुनाव अभियान में अपने पुत्र दुष्यंत सिंह के संसदीय क्षेत्र झालावाड़ को छोड़कर कहीं नजर नहीं आ रही हैं। यहां तक कि अपने गृह क्षेत्र धौलपुर करौली संसदीय क्षेत्र में उन्होंने एक भी दौरा नहीं किया है।
वसुंधरा धौलपुर के पूर्व राजपरिवार की महारानी हैं। पिछले चार विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में सक्रिय रहने वाली वसुंधरा के चुनावी दौरों का कार्यक्रम न तो पार्टी का प्रदेश नेतृत्व तय कर रहा है और न ही वह खुद दिलचस्पी ले रही हैं।
प्रत्याशी वसुंधरा की सभा करवाने की मांग पार्टी की प्रदेश इकाई तक पहुंचा रहे हैं, लेकिन अब तक उनके दौरों के कार्यक्रम तय नहीं हुए हैं। उधर, कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी अपने पुत्र वैभव गहलोत के संसदीय क्षेत्र सिरोही-जालौर में ही अधिक सक्रिय हैं।
बेटे के लिए 10 दिन और पार्टी के लिए?
दो सप्ताह के चुनाव अभियान में गहलोत 10 दिन वैभव के लिए समर्थन जुटाने में जुटे रहे। वैभव के लिए वोट मांगने गहलोत कभी मुंबई में रह रहे जालौर सिरोही के प्रवासियों के पास पहुंचे तो कभी बेंगलुरु गए । जालौर-सिरोही संसदीय क्षेत्र के अधिकांश बड़े कस्बों व गांवों में जाकर गहलोत ने खुद की गारंटी देते हुए वैभव को जिताने की अपील की।
गहलोत ने गारंटी दी कि वैभव हमेशा जनता के बीच सक्रिय रहेंगे। हालांकि, गहलोत ने चुनाव की घोषणा होने के बाद चार संसदीय क्षेत्रों का दौरा किया, लेकिन वह भी अपने चहेते उम्मीदवारों के लिए ही वोट मांगे।
वसुंधरा की दूरी ये हो सकती है वजह
करीब चार महीने पहले मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से वसुंधरा और उनके समर्थक पार्टी के कार्यक्रमों में कम दिलचस्पी ले रहे हैं। वसुंधरा समर्थकों को राज्य मंत्रिमंडल में भी अपेक्षा के अनुरूप महत्व नहीं मिला।
फिर लोकसभा चुनाव में वसुंधरा समर्थकों धौलपुर-करौली के सांसद मनोज राजोरिया, जयपुर शहर के सांसद रामचरण बोहरा, श्रीगंगानगर के सांसद निहालचंद मेघवाल एवं चूरू के सांसद राहुल कस्वा के टिकट काट दिए। इनमें राहुल भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए।
गहलोत से ज्यादा पायलट सक्रिय
कांग्रेस के टिकट वितरण में गहलोत की अपेक्षा पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे के नेताओं को अधिक मौका मिला है। 25 में से 22 सीटों पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस में करीब आठ टिकट पायलट समर्थकों को मिले हैं। गहलोत टिकट वितरण से नाखुश हैं।
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यही वजह है कि गहलोत ने अधिकांश समय अपने पुत्र के चुनाव क्षेत्र में दिया। चार अन्य क्षेत्रों में गए, पर औपचारिकता पूरी करने। पायलट ने सात क्षेत्रों में नौ सभाएं की हैं।
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