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    Lok Sabha Elections 2019: महाराष्ट्र में कांग्रेस को झटका, प्रकाश आंबेडकर ने गठबंधन से पल्ला झाड़ा

    By Sachin MishraEdited By:
    Updated: Tue, 12 Mar 2019 07:47 PM (IST)

    congress. वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने कांग्रेस से पल्ला झाड़ राज्य की सभी 48 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करने की घोषणा कर दी है।

    Lok Sabha Elections 2019: महाराष्ट्र में कांग्रेस को झटका, प्रकाश आंबेडकर ने गठबंधन से पल्ला झाड़ा

    ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। मंगलवार को महाराष्ट्र में कांग्रेस को दोहरा झटका लगा। वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने कांग्रेस से पल्ला झाड़ राज्य की सभी 48 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करने की घोषणा कर दी है। दूसरी ओर, राज्य विधानसभा में नेता विरोधीदल राधाकृष्ण विखे पाटिल के बेटे सुजय विखे पाटिल भाजपा में शामिल हो गए हैं।

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    प्रकाश आंबेडकर ने गठबंधन से पल्ला झाड़ा
    डॉ. भीमराव आंबेडकर के पौत्र एवं महाराष्ट्र के प्रमुख दलित नेता प्रकाश आंबेडकर के कांग्रेस से गठबंधन की चर्चा लंबे समय से चल रही थी। भारिप बहुजन महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुसलमीन (एआईएमआईएम) सहित कई और छोटे दलों को मिलाकर वंचित बहुजन आघाड़ी का गठन किया है। वह कांग्रेस के साथ इस आघाड़ी का गठबंधन करना चाहते थे। लेकिन उनकी शर्ते इतनी मुश्किल थीं, जिन्हें मानना कांग्रेस के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था। वह कांग्रेस से 22 सीटों की मांग कर रहे थे। जबकि राकांपा के साथ गठबंधन में स्वयं कांग्रेस को 25 सीटें हासिल हो रही हैं। कांग्रेस को आंबेडकर की वंचित बहुजन आघाड़ी में असदुद्दीन ओवैसी की एमआईएम के शामिल होने पर भी ऐतराज था। वह एमआईएम के साथ आने पर होनेवाले प्रतिध्रुवीकरण का खतरा नहीं उठाना चाहती थी। दूसरी ओर प्रकाश आंबेडकर को कांग्रेस की पुरानी साथी राकांपा का साथ पसंद नहीं था। वह खुद अपनी पार्टी के लिए बारामती सीट की मांग कर रहे थे, जो राकांपा अध्यक्ष शरद पवार की पारिवारिक सीट रही है।

    प्रकाश आंबेडकर ने करीब एक सप्ताह पहले ही नेता विरोधीदल राधाकृष्ण विखे पाटिल को पत्र लिखकर अपनी शर्तों पर फैसला जल्दी करने को कहा था। उस पत्र में आंबेडकर ने कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ जाने की भी आलोचना की थी। उनकी प्रमुख शर्तों में से एक केंद्र की सत्ता में आने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को संविधान के दायरे में लाने की शर्त भी शामिल थी। इन सभी शर्तों पर कांग्रेस की ओर से कोई उचित जवाब अभी तक न मिलने के बाद आज आंबेडकर ने महाराष्ट्र की सभी 48 लोकसभा सीटों पर वंचित बहुजन आघाड़ी के उम्मीदवार खड़े करने की घोषणा कर दी। कांग्रेस-राकांपा को इसका अच्छा-खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है। महाराष्ट्र में दलित मातदाता करीब 12 फीसद हैं। उनमें छह फीसद आबादी नवबौद्ध दलितों की है।

    पिछले वर्ष हुई भीमा-कोरेगांव की घटना के बाद प्रकाश आंबेडकर का जनाधार मजबूत हुआ है। एमआईएम के साथ आने से मुस्लिम और जनतादल के साथ आने से महाराष्ट्र का पुराना समाजवादी तबका उनसे जुड़ेगा। कई छोटे दल भी उनसे जुड़ रहे हैं, जो अब तक किसी न किसी रूप में कांग्रेस-राकांपा के साथ रहे हैं। स्वयं प्रकाश आंबेडकर ने सोलापुर से लड़ने की इच्छा जताई है। यह सीट कांग्रेस के दिग्गज दलित नेता सुशील कुमार शिंदे की सीट है। शिंदे राज्य में मुख्यमंत्री और केंद्र में गृहमंत्री की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। वंचित बहुजन आघाड़ी यदि राज्य की सभी 48 सीटों पर चुनाव लड़ी तो कई सीटों पर यह त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिल सकता है। जिसका नुकसान कांग्रेस-राकांपा गठबंधन को ही होगा।

    नेता विरोधीदल का बेटा सुजय भाजपा में
    कांग्रेस को दूसरा बड़ा झटका आज विधानसभा में नेता विरोधीदल राधाकृष्ण विखे पाटिल के पुत्र सुजय विखे पाटिल के भाजपा में शामिल होने से लगा। राधाकृष्ण विखे पाटिल कांग्रेस के बड़े नेता हैं। दो लोकसभा क्षेत्रों, अहमदनगर और शिरडी पर उनका अच्छा प्रभाव है। सुजय पाटिल पिछले दो साल से अहमदनगर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। वह कांग्रेस से उम्मीदवारी चाहते थे। लेकिन बंटवारे में यह सीट राकांपा के पास है। राकांपा यह सीट कांग्रेस से बदलने को तैयार नहीं हुई। बल्कि उसने सुजय को राकांपा के चिह्न पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया। लेकिन पवार की विखे परिवार से पुरानी प्रतिद्वंद्विता के कारण सुजय पाटिल ने राकांपा के चिह्न पर चुनाव लड़ने के बजाय भाजपा में आना बेहतर समझा। हालांकि अहमदनगर पर पहले से भाजपा के दिलीप गांधी 2009 से सांसद हैं। इसके बावजूद भाजपा सुजय को साथ लेकर अहमदनगर और शिरडी सहित आस-पास की कुछ और सीटें भी अपने लिए सुरक्षित करना चाहती है। संभव है, इसके लिए दिलीप गांधी को कहीं और समायोजित किया जाए।

    सुजय के भाजपा में आने से पूरी पार्टी उत्साहित है। नेता विरोधीदल के पुत्र को तोड़ने का सांकेतिक लाभ तो पार्टी को है ही, कांग्रेस पर मानसिक दबाव बनाने का अवसर भी पार्टी को मिला है। विखे पाटिल परिवार पहले भी शिवसेना-भाजपा गठबंधन का हिस्सा रह चुका है। राधाकृष्ण विखे पाटिल स्वयं 1995 की शिवसेना-भाजपा सरकार में कृषिमंत्री रहे हैं। जबकि उनके पिता बालासाहब विखे पाटिल केंद्र की वाजपेयी सरकार में वित्त राज्यमंत्री रह चुके हैं। आज सुजय पाटिल ने भाजपा में शामिल करते हुए कहा कि वह यह कदम अपने माता-पिता की मर्जी के विरुद्ध उठा रहे हैं। लेकिन राजनीतिक हलके में यही चर्चा है कि अब स्वयं राधाकृष्ण विखे पाटिल भी ज्यादा दिन तक कांग्रेस में नहीं टिकेंगे। भाजपा में सुजय के प्रवेश के समय मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष सहित सभी वरिष्ठ भाजपा नेता उपस्थित थे। जहां बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन पिछली बार की 42 सीटों से एक भी सीट कम नहीं, बल्कि एक-दो सीटें ज्यादा ही जीतेगा।