रानीखेत के 'मिनी कॉर्बेट' की फाइल केन्द्र में अटकी, अधर में पड़ी महत्वाकांक्षी योजना
जैव विविधता से लबरेज दलमोठी वन क्षेत्र को कॉर्बेट नेशनल पार्क की तरह विकसित किए जाने की महत्वाकांक्षी योजना फिलहाल केंद्र की चौखट पर मंजूरी का इंतजार करती रह गई।
रानीखेत, जेएनएन : पहाड़ का मिनी कॉर्बेट सियासी चक्रव्यूह में मूर्तरूप नहीं ले पा रहा है। जैव विविधता से लबरेज दलमोठी वन क्षेत्र को कॉर्बेट नेशनल पार्क की तरह विकसित किए जाने की महत्वाकांक्षी योजना फिलहाल केंद्र की चौखट पर मंजूरी का इंतजार करती रह गई। ऐसे में हजारों वनस्पतिक प्रजातियों एवं वन्य जीवों की मौजूदगी वाले इस जंगलात को संवार पर्यटन विकास का सपना अधूरा ही है।
पर्यटन नगरी रानीखेत से कुछ दूर ऐतिहासिक गोल्फ मैदान से सटा है करीब 1200 हेक्टेयर में फैला दलमोठी वन रेंज। 2014 में इसे वन्य जीव अभयारण्य के रूप में विकसित कर इसे पहाड़ का मिनी कॉर्बेट बनाए जाने की योजना बनी।
ये था मकसद, ये मिलते लाभ
- उत्तराखंड का ब्रीडिंग सेंटर स्थापित कर घुरड़ काकड़ आदि का प्रजनन
- सफारी के जरिये पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा
- खत्म होती जैवविविधता का संरक्षण, शोध व अध्ययन
- पक्षी अवलोकन के लिए बर्ड वॉचर्स का केंद्र बनाना
- कॉर्बेट नेशनल पार्क की भांति स्थानीय युवाओं को बतौर गाइड्स तैनाती
कैबिनेट में प्रस्ताव पास, केंद्र में लटका
तत्कालीन एसडीएम एपी वाजपेयी ने अक्टूबर 2014 में 'फ्लोरा एंड फॉना' फॉर्मूला के तहत इसे कॉर्बेट की शक्ल देने को मास्टर प्लान तैयार किया। डीएफओ समेत तमाम आला अधिकारियों ने जायजा लिया। प्रशासन की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा गया। 2016 में अल्मोड़ा में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने कैबिनेट ने योजना को हरी झंडी दी। बाद में इसे विधिवत स्वीकृति के लिए केंद्र को भेजा गया। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय तक फाइल पहुंची भी लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं लिया जा सका।
डीएफओ को प्रकरण की जानकारी ही नहीं
प्रवीण कुमार, डीएफओ ने बताया कि पूर्व में प्रस्ताव बना होगा। शासन ने केंद्र को भेजा है तो यह उच्च स्तर का मामला है। वर्तमान स्थिति विभाग की जानकारी में नहीं है।
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