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लोकसभा चुनाव 2019: प्रत्याशियों की परीक्षा लेगा पौड़ी का भूगोल

उत्तराखंड की सबसे बड़ी पौड़ी गढ़वाल संसदीय सीट। भौगोलिक लिहाज से उतार चढ़ाव से भरी यह सीट पांच जिलों को खुद में समेटे है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 12 Mar 2019 08:32 AM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2019 12:16 PM (IST)
लोकसभा चुनाव 2019: प्रत्याशियों की परीक्षा लेगा पौड़ी का भूगोल
लोकसभा चुनाव 2019: प्रत्याशियों की परीक्षा लेगा पौड़ी का भूगोल

देहरादून, अजय खंतवाल। 16960.77 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली है उत्तराखंड की सबसे बड़ी पौड़ी गढ़वाल संसदीय सीट। भौगोलिक लिहाज से उतार-चढ़ाव से भरी यह सीट पांच जिलों को खुद में समेटे है। इसमें जहां तीन पर्वतीय जिले पौड़ी, चमोली और रुद्रप्रयाग पूरी तरह समाहित हैं, वहीं टिहरी के दो विधानसभा क्षेत्र देवप्रयाग व नरेंद्रनगर और नैनीताल जिले का रामनगर विधानसभा क्षेत्र शामिल है। इसका भूगोल इतना जटिल है कि चुनाव मैदान में उतरने वाले सियासतदां को देश के आखिरी गांव माणा से लेकर कार्बेट नेशनल पार्क के प्रवेश द्वार रामनगर तक दौड़ लगानी पड़ेगी।

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भौगोलिक विषमताओं वाली इस सीट का राजनीतिक परिदृश्य इसके ठीक उलट है। यह सीट 37 वषों तक कांग्रेस के पास रही तो 23 वर्ष भाजपा के पास। 1951 के पहले लोकसभा चुनाव में इस सीट का नाम गढ़वाल डिस्टिक्ट (ईस्ट) कम मोरादाबाद डिस्टिक्ट (नार्थ ईस्ट) था और इसकी क्रम संख्या तीन हुआ करती थी। वर्ष 1957 के चुनाव में इसे गढ़वाल लोकसभा सीट का नाम दिया गया। 1951 से 1977 तक इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा और 1971 तक लगातार चार बार कांग्रेस नेता भक्तदर्शन यहां से सांसद रहे। 

1971 में कांग्रेस के प्रताप सिंह नेगी इस सीट से सांसद बने। 1977 में पहली बार यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकली और जनता पार्टी के जगन्नाथ शर्मा जीते। 1980 में जनता पार्टी-सेक्यूलर में आए हेमवती नंदन बहुगुणा ने जीत हासिल की। 1984 में कांग्रेस के चंद्रमोहन सिंह नेगी इस सीट से चुनाव जीते। 1989 में जनता दल से चंद्रमोहन सिंह नेगी फिर से जीते 1991 में भाजपा ने यह सीट छीनी और उसके मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी विजयी रहे। इसके बाद 11 वीं, 12 वीं, 13 वीं व 14वीं लोकसभा के चुनाव में यहां खंडूड़ी ने लगातार जीत दर्ज की।

2007 में हुए उपचुनाव में भी यह भाजपा की झोली में रही और उसके टिकट पर ले. जनरल टीपीएस रावत ने जीत दर्ज की। 2009 में कांग्रेस ने वापसी करते हुए उसके टिकट पर सतपाल महाराज ने जीत हासिल की। 2014 के चुनाव में यह सीट कांग्रेस से फिसली और मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी ने जीत हासिल की।

कभी कांग्रेस, कभी भाजपा

आपको बता दें कि पौड़ी संसदीय सीट देश के अंतिम गांव माणा से शुरू होकर कॉर्बेट पार्क के द्वार रामनगर में खत्म होती है। ये सीट 37 वर्षों तक कांग्रेस के पास तो 23 वर्षों तक  भाजपा के पास रही। 

ये विधानसभा क्षेत्र हैं शामिल

-पौड़ी जिला: श्रीनगर, पौड़ी, कोटद्वार, चौबट्टाखाल, लैंसडौन व यमकेश्वर।

-चमोली जिला: बदरीनाथ, कर्णप्रयाग व थराली।

-रुद्रप्रयाग जिला: केदारनाथ व रुद्रप्रयाग।

-टिहरी जिला: नरेंद्रनगर व देवप्रयाग।

-नैनीताल जिला: रामनगर।

पिछले तीन चुनावों की स्थिति

2004 और 2014 में भाजपा के भुवन चंद्र खंडूडी को मिली जीत।

2009 में सतपाल महाराज कांग्रेस से बने विजेता। 

बदरी-केदार की भूमि है यह सीट

पौड़ी गढ़वाल संसदीय सीट चारधाम में दो प्रमुख धामों बदरीनाथ व केदारनाथ की भूमि है। प्रसिद्ध हेमकुंड साहिब समेत कई प्रमुख धार्मिक एवं पर्यटन स्थल इस क्षेत्र में हैं। यह सीट सैनिक बहुल है और सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़े परिवारों की तादाद काफी अधिक है। इस सीट के अंतर्गत करीब 86 फीसद हिंदू, सात फीसद मुस्लिम, चार फीसद सिख और दो फीसद ईसाई मतदाता हैं।

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