जब एक हेलिकॉप्टर ने पलट दिया था पासा; इंदिरा लहर में कांग्रेस प्रत्याशी को हराकर पहली महिला सांसद बनी थी एक रानी
Lok Sabha Election 2024 चुनावी किस्सों की सीरीज में आज हम आपको बताने जा रहे हैं उस दिलचस्प वाकये के बारे में जब हेलिकॉप्टर वाली रानी ने इंदिरा लहर के बावजूद कांग्रेस के किले को ध्वस्त कर दिया था और सभी राजनीतिक पंडितों को हैरानी में डाल दिया था। यह चुनाव उस वक्त कई कारणों से खासा चर्चित रहा था। पढ़िए क्या था वो किस्सा ...
बलवंत कुमार , धनबाद। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन वर्ष 1964 में होने के बाद कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से इंदिरा गांधी के नियंत्रण में आ चुकी थी। वर्ष 1967 का चुनाव इस पार्टी ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में लड़ा था।
इस चुनाव में इंदिरा की लहर थी। कांग्रस सत्ता में आ गई, लेकिन पहले की अपेक्षा सीटें कम मिली थीं। यह चुनाव पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण तो था ही, लेकिन धनबाद में इस चुनाव के परिणाम ने सभी को अचंभित कर दिया। धनबाद संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी एपी शर्मा को गैर मान्यता प्राप्त पार्टी जनक्रांति दल की उम्मीदवार रानी ललिता राज लक्ष्मी ने हरा दिया।
आकर्षण का केंद्र था हेलिकॉप्टर
रानी के प्रचार में हेलिकॉप्टर आकर्षण का केंद्र था। दरअसल, 1967 के लोकसभा चुनाव में रानी ललिता राज लक्ष्मी को 68034 वोट मिले थे। कांग्रेस प्रत्याशी एपी शर्मा को 47767 मत मिले। रानी की इस जीत में झरिया, कतरासगढ़, नावागढ़ और रामगढ़ के राज घरानों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
यह सभी राजघराने एक ही राजवंश के हैं और सभी रिश्तेदार भी। उस समय रानी ललिता को धनबाद की पहली महिला सांसद होने का गौरव मिला। 1991 के चुनाव में भाजपा की प्रो. रीता वर्मा दूसरी महिला सांसद बनी थीं।
जनता ने करीब से देखा था हेलिकॉप्टर
वर्ष 1967 का चुनाव धनबाद के लिए इसलिए भी अहम था कि यहां की आम जनता ने पहली बार करीब से हेलिकॉप्टर देखा था। रानी रामगढ़ राजघराने से थीं। इस राजपरिवार के पास अपना हेलिकॉप्टर था। उनके चुनाव प्रचार में राजा कामाख्या नारायण सिंह ने भरपूर जोर लगाया था।
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जिस भी क्षेत्र में रानी चुनाव प्रचार को हेलिकॉप्टर से पहुंचती, वहां उन्हें और उनके हेलिकॉप्टर को देखने के लिए हजारों की भीड़ जमा हो जाती थी। माना गया कि इस चुनाव में हेलिकॉप्टर ने कांग्रेस के समीकरण को फेल कर दिया था।
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तीसरी बार रानी बनी थीं सांसद
रानी ललिता राज लक्ष्मी इससे पहले हजारीबाग और बिहार के औरंगाबाद संसदीय सीट से भी सांसद रह चुकी थीं। उन्होंने वर्ष 1957 में हजारीबाग सीट से चुनी गई थीं। 1962 में औरंगाबाद से जीतकर संसद में कदम रखा था।
देखा जाए तो आजादी के बाद रामगढ़ राज परिवार का लंबा राजनीतिक जीवन रहा। रानी ललिता की सास रानी मंजरी बिहार की पहली महिला विधायक बनीं थी। पति कामाख्या नारायण सिंह और देवर बसंत सिंह वर्ष 1967-1968 तक बिहार सरकार में मंत्री थे। रानी की गोतनी विजय राजे पहली राज्यसभा में सांसद और लगातार तीन बार चतरा से सांसद रहीं थीं।
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