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    Lok Sabha Election 2024: नारों से पलट जाती है मध्य प्रदेश की सियासत, भाजपा 'अबकी बार, 400 पार' के सहारे, तो कांग्रेस के हाथ अभी भी खाली

    Updated: Sun, 24 Mar 2024 04:14 PM (IST)

    Lok Sabha Election 2024 मध्य प्रदेश की सियासत को नारों ने हमेशा प्रभावित किया है। प्रदेश की राजनीति में ऐसे कई मौके आए हैं जब नारों से चुनाव का माहौल बदल गया। जानिए कौन-कौन से रहे हैं ऐसे लोकप्रिय नारे जिनका आज भी होता है इस्तेमाल। साथ ही जानिए इस बार क्या है कांग्रेस और बीजेपी की नारों को लेकर रणनीति।

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    Lok Sabha Election 2024: मप्र में कांग्रेस ने अब तक अपने चुनावी अभियान के लिए कोई नारा नहीं दिया है।

    धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति में नारों की खास अहमियत रही है। कई मौकों पर पार्टियों की ओर से दिए गए नारों ने चुनावी परिणाम को प्रभावित किया है। हालांकि इस बार के लोकसभा चुनाव में फिलहाल ऐसा कोई नारा नहीं आया है, जो जनता को प्रभावित कर सके।

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    जहां भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व के 'अबकी बार, 400 पार' के नारे के सहारे आगे बढ़ रही है, तो कांग्रेस ने अब तक कोई नारा अपने चुनावी अभियान के लिए नहीं दिया है। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में चुनावों नारों के दूरगामी प्रभाव देखने को मिले हैं।

    भाजपा को दिलाई सत्ता

    पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भाजपा की ओर से दिए गए 'मिस्टर बंटाधार' के टैग ने उनकी छवि को काफी नुकसान पहुंचाया और 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता दिलाने में मदद की। यहां तक की भाजपा आज भी चुनावों में इसका उपयोग करने से नहीं चूकती।

    वहीं, शिवराज सिंह चौहान ने अपने आप को मामा के रूप में इस कदर प्रचारित किया कि आज भी उन्हें प्रदेश ही नहीं पूरे देश में मामा कहा जाता है। इसके अलावा भाजपा ने 2013 के मप्र विधानसभा चुनाव में ‘अबकी बार, शिवराज सरकार’ का नारा दिया था, जिसने पार्टी को काफी फायदा पहुंचाया था और कांग्रेस की सत्ता वापसी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था।

    कांग्रेस ने दिया बदलाव का नारा

    अगले विधानसभा चुनाव यानी 2018 में कांग्रेस भी नारे का महत्व समझ चुकी थी और उसने 'वक्त है बदलाव का' नारे को खूब उछाला। भाजपा ने भी इसके जवाब में 'समृध्द मध्यप्रदेश' का नारा दिया, लेकिन बदलाव का उद्घोष भाजपा के नारे पर भारी पड़ा।

    इसी चुनाव में कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को युवा चेहरे के रूप में आगे किया, तो बीजेपी ने इसे काउंटर करते हुए नारा दिया था ‘माफ करो महाराज, हमारा नेता तो शिवराज'। बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद भाजपा में शामिल हो गए और नारा भुला दिया गया।

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    बीजेपी ने मारी बाजी

    हालिया विधानसभा चुनाव में भी जब भाजपा की स्थिति कमजोर नजर आ रही थी, तब उसने प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा और 'एमपी के मन में मोदी, मोदी के मन में एमपी' का नारा दिया। पार्टी को इससे बड़ा फायदा मिला और उसने प्रचंड जीत के साथ दोबारा सत्ता हासिल की।

    वहीं इसके खिलाफ कांग्रेस की ओर से दिया गया 'कांग्रेस आएगी, खुशहाली लाएगी' का नारा कोई कमाल नहीं दिखा सका और कांग्रेस को बड़ी हार झेलनी पड़ा। आगामी लोकसभा चुनाव के लिए फिलहाल दोनों दलों की ओर से प्रदेश को लेकर कोई नारा सामने नहीं आया है।

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