ममता की चुनावी नैया पार कराने को जुटी है आई-पैक, बंगाल में भाजपा ने भी की है खास तैयारी; कैसा रहेगा चुनाव परिणाम?
Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव 2024 पश्चिम बंगाल में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी और भाजपा के लिए आन-बान शान का मुद्दा बन गया है। यहां दोनों ही पार्टियां अपनी-अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए जी जान से जुटी हैं। ममता बनर्जी की चुनावी नैया पार लगाने के लिए आई-पैक मेहनत कर रही है तो वहीं भाजपा ने...
राजीव कुमार झा, कोलकाता। बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर (पीके) मई, 2021 में चुनाव प्रबंधन का अपना पेशा छोड़ने की घोषणा कर प्रत्यक्ष तौर पर भले इस काम से दूर रह रहे हैं, पर उनकी बनाई कंपनी आई-पैक टीएमसी के लिए लगातार काम कर रही है।
2021 में पीके के आई-पैक छोड़ने के बाद से प्रतीक जैन के नेतृत्व में टीम यहां तृणमूल के लिए काम कर रही है।साल 2021 के विधानसभा चुनाव की तरह अब लोकसभा चुनाव में टीएमसी को नैया पार कराने के लिए आई-पैक मिशन मोड में पर्दे के पीछे से दिन-रात जी जान से जुटी है।
आईपैक के बड़ी संख्या में प्रोफेशनलों की टीम टीएमसी नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ कंधे से कंधे मिलाकर लोकसभा क्षेत्रों से लेकर यहां वार रूम तक से पार्टी की जीत सुनिश्चित करने की रणनीति में लगे हैं। टीएमसी के प्रचार से लेकर जनसंपर्क, चुनावी नारे आदि की पूरी रणनीति आई-पैक ही तैयार कर रही है।
यहां आई-पैक की लीडरशिप टीम के सदस्य अर्जुन दत्त के अनुसार, सभी 42 लोकसभा क्षेत्रों में हमारी टीम काफी समय से सक्रिय है। विपक्ष के आरोपों का काउंटर करना हो या घेरने की रणनीति, प्रचार-प्रसार सब यहीं से पेशेवरों की टीम द्वारा तय किए जा रहे हैं। इस बार के नतीजे चौंकाने वाले होंगे। मुझे पूरा भरोसा है कि टीएमसी 2019 के जैसा ही प्रदर्शन करेगी। कोलकाता में इसका वार रूम है। सूत्रों का कहना है कि पूरे बंगाल में आई-पैक की कई हजारों लोगों की बड़ी टीम काम कर रही है।
2019 से काम कर रही पीके की टीम; 2021 में मिली थी प्रचंड जीत
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जब बंगाल में 42 में 18 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया था। इसके बाद ही तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने प्रशांत किशोर की सेवा लेने का फैसला किया था। जुलाई 2019 से प्रशांत किशोर की टीम यहां लगातार काम कर रही है।
बंगाल में ममता को भाजपा से मिलने वाली जबर्दस्त चुनौतियों के बीच पीके ने टीएमसी की रणनीतियां तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी। इसके बलबूते ही भाजपा द्वारा बड़े पैमाने पर प्रचार अभियान चलाने के बावजूद 2021 के पिछले विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने प्रचंड बहुमत से सत्ता में वापसी की। तब इसका श्रेय पीके की रणनीति को ही दिया गया था।
दत्त के अनुसार, पिछली बार यानी 2019 में 18 सीटें जीतकर भाजपा ने यहां कुछ काम नहीं किया, इससे लोग निराश हैं। दूसरा मनरेगा, पीएम आवास सहित विभिन्न केंद्रीय योजनाओं का पैसा बंद कर दिया। इसके खिलाफ लोग वोट करेंगे। उन्होंने उल्लेख किया कि केंद्र द्वारा पैसा नहीं देने के बावजूद राज्य सरकार ने अपनी तरफ से करीब 60 लाख मनरेगा श्रमिकों को उनका बकाया पैसा दिया है।
लक्ष्मी भंडार में दो करोड़ से ज्यादा महिलाओं को हर महीने भत्ता मिल रहा है। जनता यह सब देख रही है। उन्होंने दावा किया कि उत्तर बंगाल में भी टीएमसी अच्छा प्रदर्शन करेगी, जहां भाजपा मजबूत मानी जाती है।
दत्त के अनुसार, बंगाल में सभी 42 सीटों के लिए कांटे की लड़ाई भाजपा व तृणमूल के ही बीच है। किसी और दल को इस बार एक सीट भी नहीं मिलेगी। उन्होंने जोर दिया कि हम किसी भी सीट को एक इंच भी हल्के में नहीं ले रहे हैं।
पीके- ममता में खटपट की भी आई थी खबरें
बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद पीके व ममता में मतभेद की खबरें भी आई थी। यहां तक की आईपैक के साथ करार टूटने तक की बात आई थी, पर 2021 के विधानसभा चुनाव में मिली सफलता ने टीएमसी में आई-पैक की विश्वसनीयता बनाए रखी है।
बंगाल के हर जिले में चल रहा भाजपा का कॉल सेंटर
कोलकाता। राज्य में ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटें जीतने को बेताब विपक्षी भाजपा भी तृणमूल के किले में सेंध लगाने के लिए हर तरह से जुटी है। भाजपा ने कोलकाता से लेकर विभिन्न जिलों में कुल 17 कॉल सेंटर खोल रखे हैं, जिनके जरिए केंद्रीय योजनाओं के लाभार्थियों के अलावा बूथ स्तर के नेताओं व कार्यकर्ताओं से नियमित संवाद किया जा रहा है।
यह भी पढ़ें - Lok Sabha Election 2024: हर वोट जरूरी है...लद्दाख में सिर्फ पांच मतदाताओं के लिए 10 हजार फीट ऊंचाई पर बनेगा केंद्र
तृणमूल की तरह भाजपा भी चुनाव प्रबंधन एजेंसियों की मदद ले रही है। प्रदेश भाजपा के एक नेता ने बताया कि लोकसभा चुनाव को लेकर कोलकाता के साल्टलेक स्थित नए कार्यालय में मेन कॉल सेंटर (वार रूम) बनाए गए हैं, जहां से हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। इसके अलावा 16 कॉल सेंटर विभिन्न शहरों में हैं, जिसमें खड़गपुर, कृष्णानगर, आसनसोल, सिलीगुड़ी, कूचबिहार आदि शामिल है। ये सभी सेंटर पिछले छह-सात महीने से काम कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि प्रत्येक कॉल सेंटर में 80 से 100 लोग काम कर रहे हैं। एक कॉल सेंटर से दो से तीन लोकसभा क्षेत्र कंट्रोल होता है। इन सेंटरों से बूथ कर्मियों और लाभार्थियों को फोन जाता है। नेता ने बताया कि सभी कॉल सेंटरों को मिलाकर रोजाना करीब एक लाख लोगों से संपर्क साधा जा रहा है।
यह भी पढ़ें - Lok Sabha Election 2024: न मंच पर साथ न रणनीति में मिलाप, ये कैसा गठबंधन! जमीन पर साथ-साथ नजर नहीं आ रहे आप और कांग्रेस