Lok Sabha Election 2024: राजनीति के मैदान में कूटनीति के खिलाड़ी! जयशंकर, हरदीप पुरी के साथ जुड़ा इस दिग्गज का नाम
सेवानिवृत्ति के बाद विदेश सेवा के अधिकारियों को राजनीति खूब भा रही हैं। वहीं राजनीतिक दलों को भी उनका साथ पंसद आ रहा है। मनमोहन सिंह के पहले कार्यकाल में तीन पूर्व आईएसएफ अधिकारियों ने मंत्रालयों की कमान संभाली। मोदी सरकार भी इसी नक्शे कदम पर चली। दो पूर्व आईएसएफ अधिकारी एस.जयशंकर और हरदीप सिंह पुरी कैबिनेट का हिस्सा हैं तो वहीं दो पूर्व अधिकारी भाजपा में हैं।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने मंगलवार यानी 19 मार्च को भाजपा की सदस्यता ले ली। अमृतसर में जन्मे और पले-बढ़े संधू को भाजपा वहां से लोकसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार बना सकती है। अगर ऐसा होता है तो संधू भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के दूसरे अधिकारी होंगे जो आगामी आम चुनाव में भाजपा से अपनी दावेदारी पेश करेंगे।
दार्जिलिंग से पूर्व विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला मैदान में
2022 में विदेश सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए हर्ष श्रृंगला दार्जिलिंग से इस बार अपना दम ठोक रहे हैं। सेवानिवृत्त होने के बाद से ही श्रृंगला अपने गृह नगर दार्जिलिंग में डेरा डाल कर बैठे हैं और पिछले छह महीने से वह अपनी पत्नी के साथ मिल कर अपने पक्ष में माहौल बनाने की भी कोशिश कर रहे हैं। दार्जिलिंग भाजपा का पुराना गढ़ है और गृह नगर होने का लाभ भी श्रृंगला को मिलने की संभावना है।
जगजाहिर है आईएसएफ और भाजपा का लगाव
राजनीतिक सर्किल में यह चर्चा भी है कि भाजपा विदेश मंत्री एस. जयशंकर को भी लोकसभा में सीधे आने के लिए किसी संसदीय सीट से टिकट दे सकती है। विदेश सेवा के लोगों का भाजपा के प्रति और भाजपा का आईएफएस के प्रति लगाव पुराना है।
मोदी के पीएम बनते ही बदला विदेश नीति का अंदाज
नरेन्द्र मोदी जब वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने देश की विदेश नीति को लेकर नया अंदाज पेश किया। इसके जरिए विदेश सेवा विभाग को ज्यादा क्रियाशील व गतिशील बनाया गया। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने दुनिया के हर देश के भारतीय दूतावास, उच्चायोग और मिशनों को आम आदमी के लिए सीधे तौर पर खोला। इन मिशनों के जरिए प्रधानमंत्री ने सीधे तौर पर प्रवासी भारतीयों से संवाद की शुरुआत की। इसके साथ ही भारतीय विदेश मंत्रालय के अंदाज को आक्रामक बनाया गया।
जयशंकर को सौंपी विदेश मंत्रालय की बागडोर
पीएम मोदी को जब वर्ष 2019 में दोबारा सरकार बनाने का अवसर मिला तो उन्होंने पूर्व विदेश सचिव (वर्ष 2018 में सेवानिवृत्त) एस. जयशंकर को विदेश मंत्रालय की बागडोर सौंपी। आज जयशंकर वैश्विक मंच पर सबसे मुखर विदेश मंत्री हैं जो ना सिर्फ भारत की वैश्विक नीति को साफगोई व धारदार तरीके से पेश करने के लिए पहचाने जाते हैं बल्कि उनकी लोकप्रियता देश के भीतर भी लगातार बढ़ रही है।
भाजपा से जुड़े विदेश सेवा के चार पूर्व अधिकारी
जयशंकर से पहले पीएम मोदी ने वर्ष 2017 में अपनी कैबिनेट में विदेश विभाग के पूर्व अधिकारी हरदीप सिंह पुरी को आवास व शहरी विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी थी। एक बेहद सफल कूटनीतिक करियर के बाद पुरी ने वर्ष 2014 में भाजपा का दामन थामा था।
मोदी के दूसरे कार्यकाल में पुरी को पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय और शहरी विकास जैसे दो बेहद अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई है। इस तरह से देखा जाए तो भाजपा में आज भारतीय विदेश सेवा के चार पूर्व अधिकारी जुड़ चुके हैं। इनमें दो मोदी कैबिनेट में अहम मंत्रालयों के मुखिया हैं।
मनमोहन सरकार में भी पूर्व आईएफएस अधिकारियों को मिली तरजीह
यह पहला मौका नहीं है जब किसी केंद्र सरकार में पूर्व आईएफएस अधिकारियों को बड़ी जिम्मेदारी दी गई हो। मनमोहन सिंह के पहले कार्यकाल में तीन महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी पूर्व आईएफएस अधिकारियों ने संभाली थी। इसमें नटवर सिंह विदेश मंत्री थे जबकि मणिशंकर अय्यर पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय व पंचायती राज मंत्री थे।
पूर्व आईएफएस अधिकारी मीरा कुमार को समाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। डॉ. सिंह के दूसरे कार्यकाल (2009-2014) में मीरा कुमार को लोकसभा का अध्यक्ष बनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र में महासचिव के तौर पर अपनी सेवा दे चुके शशि थरूर भी मनमोहन सिंह सरकार में बतौर विदेश राज्य मंत्री रह चुके हैं।
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