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Lok Sabha Election 2019 : आजादी से पहले भी होते थे चुनाव, जानिए क्‍या थी व्‍यवस्‍था

देश में आजादी से पहले भी चुनाव हुआ करते थे। इसके दस्तावेज आज भी अल शम्सी दिनदार म्यूजियम में मौजूद हैं। यहां 1905-06 की मिली मतदाता सूची चुनाव होने का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 08:42 PM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 08:37 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019 : आजादी से पहले भी होते थे चुनाव, जानिए क्‍या थी व्‍यवस्‍था
Lok Sabha Election 2019 : आजादी से पहले भी होते थे चुनाव, जानिए क्‍या थी व्‍यवस्‍था

गाजीपुर [दानिश]। देश में आजादी से पहले भी चुनाव हुआ करते थे। इसके दस्तावेज आज भी अल शम्सी दिनदार म्यूजियम में मौजूद हैं। यहां 1905-06 की मिली मतदाता सूची चुनाव होने का प्रत्यक्ष प्रमाण है। चुनाव में विजयी व्यक्ति इलाके की तस्वीर और तकदीर बदलने का काम करते थे। यह मतदाता सूची पूरी तरह से उर्दू में लिखी हुई है जो जमानिया परगना से संबंधित है। इस तहसील में कुल 50 वोटर हुआ करते थे और उन्हीं वोटरों में से चार उम्मीदवार भी चुने जाते थे। बाकी 46 सदस्य उन चार में से ही मेंबर का चुनाव करते थे जो क्षेत्र के विकास के लिए कार्य करते थे। हालांकि, बदलते समय ने चुनाव के तौर-तरीकों में काफी बदलाव ला दिया है।

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आज के समय में भले ही चुनाव के नियम में भारी फेरबदल किया गया हो लेकिन हकीकत यह है कि पहले के दौर में भी चुनाव हुआ करते थे। तरीका समय के हिसाब से अलग-अलग हुआ करता था। आजादी से पूर्व 1900 में तहसील क्षेत्र के विकास के लिए लोगों का चुनाव किया जाता था। इसके लिए वोटर लिस्ट तैयार की जाती थी लेकिन मतदान करने का अधिकार सभी को नहीं था। मतदाता सूची तैयार करने के लिए क्षेत्र के हर गांव से तीन-चार मानिंद लोगों का चयन किया जाता था।

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इस तरह कुल 50 लोगों की सूची तैयार की जाती थी। इसी में से उनकी योग्यता के अनुसार चार लोगों को उम्मीदवार बनाया जाता था। उसमें से चयनित प्रत्याशी ही क्षेत्र के विकास के लिए अपनी समस्याओं को डिस्ट्रिक्ट बोर्ड में रखते थे। इस मतदाता सूची में क्षेत्र के जमीदारों एवं मुखिया को रखा जाता था। उस सूची के मतदाताओं के वंशज आज भी मौजूद हैं जो इसका जिक्र करते हैं।

परदादा का नाम था सूची में शामिल : मतसा गांव के शंभुनाथ राय ने बताया कि उस दौर की मतदाता सूची में उनके परदादा रघुनाथ राय का नाम शामिल था। यही नहीं, गांव के ही दो अन्य लोग भी इस सूची में शामिल थे। इनकी क्रम संख्या तीन, चार एवं पांच थी । पुरानी मतदाता सूची में इन लोगों का नाम अभी भी दर्ज है।

स्थानीय समस्याओं का निवारण करती थी कमेटी : अंग्रेजों ने 1857 के बाद लोकल सेल्फ गवर्नमेंट कानून पारित किया। कुछ वर्षों बाद 1884 में इसे पूरी तरह से लागू कर दिया गया। इसका उपयोग स्थानीय विकास के लिए किया जाता था। स्थानीय समस्याओं के निवारण के लिए कमेटी का चयन किया जाता था। इस सूची में वही लोग सदस्य बनाए जाते थे जो करदाता होते थे। चयनित सदस्य स्थानीय मुद्दों को उठाकर उनका निवारण करते थे। हालांकि इसमें संशोधन के बाद पहली बार इलेक्शन एक्ट 1909 में पारित हुआ था। इसके बाद बदलते समय के साथ लगातार इसमें संशोधन होते रहे। -डा. समर बहादुर सिंह, इतिहासकार एवं प्राचार्य पीजी कालेज गाजीपुर।

बचपन से पुराने संग्रह का शौक : पुराने दस्तावेजों के संग्रह का शौक बचपन से था। यह पुरानी मतदाता सूची दादा शमसुद्दीन खां के कलेक्शन से मिली है। उन्होंने इसे सहेज कर रखा था क्योंकि उनके पिता नसीर खां का नाम सूची में आठवें नंबर पर दर्ज है। इसके अलावा इनके खानदान के दो अन्य सदस्य अमीर खां एवं मुहम्मद हुसैन खां का नाम सूची में क्रम संख्या 10 और 11 में दर्ज है। -कुंवर मुहम्मद नसीम रजा खां, क्यूरेटर, अल दीनदार शम्सी संग्रहालय एवं लाइब्रेरी।

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