एचएडी ट्रेन में चुनावी चौपालः दो हजार तो आए, गरीब महंगा सिलेंडर कैसे भरवाएं
रे सफर में सरकार और चुनाव को लेकर बातचीत रुकी नहीं। बहस हार-जीत को लेकर भी थी। लेकिन वोट जरूर देने की बात पर सभी सहमत थे। सभी चाहते थे कि सरकारी किसी की बने पर देश विकास करे।
एचएडी ट्रेन से विनोद भारती
सुबह सात बजकर 15 मिनट। अलीगढ़ रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म सात पर बड़ी संख्या में यात्री एचएडी (हाथरस, अलीगढ़ दिल्ली) पैसेंजर ट्रेन के इंतजार में थे, जो 32 मिनट लेट थी। दैनिक यात्री झल्ला ही रहे थे कि हार्न बजाती पैसेंजर ट्रेन आ गई। खचाखच भरी बोगियों में लोग एक-दूसरे को धक्का देते घुस गए। इस भीड़ में हम थे। एक मिनट बाद ट्रेन का पहिया घूमते ही बोगी में पहले से मौजूद मेंडू के धर्मेंद्र से रहा न गया। भीड़ को देखते हुए बोले 'हे भगवान, इतनी आबादीÓ यह सुनते ही ट्रेन के गेट पर खड़े एक बुजुर्ग बोले 'भैया, यही तो समस्याओं की जड़ है, सरकार भी तो कछू नाय करैंÓ। एक अन्य ने चुटकी ली 'संजय गांधी ने तो लोगों को अस्पताल में जबरन भर्ती कराकर नसबंदी करा दी। बेरोजगारी बढ़ रही है। महंगाई कम नहीं हो रही। घीरे-घीरे बातचीत राजनैतिक रंग लेने लगी। तभी तेज आवाज आई 'सब नेतन की देन हैÓ। खिड़की के सहारे बैठे विजयगढ़ के बुजुर्ग सतवीर भी बुदबुदा उठे 'नेता झूठे वादे जो करें। हमें मंदिर-मस्जिद नहीं चाहिये, फिर भी उकसाते हैंÓ।
कोई कमल तो कोई हाथ और कोई गठबंधन समर्थक
महरावल, कुलवा और सोमना स्टेशन निकलते ही बोगी में मौजूद लोग बातचीत में शामिल होने लगे। कोई कमल के फूल तो कोई तो कोई हाथ के साथ था। गठबंधन समर्थक भी किसी से कम नहीं थे। ट्रेन स्पीड पकड़ चुकी थी। कमालपुर स्टेशन निकलते ही मंजूरगढ़ी के भूप सिंह ने चर्चा फिर शुरू कर दी। बोले, 'कुछ भी कहो भइया हमें तो यही सरकार पसंद है। हम छोटे किसान हैैं, मजदूरी भी करते हैं। मोदी सरकार छह हजार रुपये खाते में भेज रही है। दो हजार आ भी गए। घर में शौचालय बन गया हैÓ। वे बात पूरी करते उससे पहले ही विजयगढ़ की ओमवती चर्चा में कूद पड़ीं। बोलीं, 'सिलेंडर पर तो सब्सिडी खत्म कर दी। गरीब आदमी इतना महंगा सिलेंडर कैसे भरवाएÓ।
पटरी पर आए वायदों की रेल
खुर्जा आते ही बोगी में और यात्री चढ़ गए। किसी को नींद आने लगी तो कोई भीड़ में अपने को संभालने में लगा था, तभी बीच गैलरी में हैंडल पकड़ कर खड़े धर्मेंद्र ने बात आगे बढ़ाई। बोले 'क्यों जी, अयोध्या में एम्स जैसों हॉस्पिटल या कॉलेज खुल जाए तो सबकौ भलौ है जाय। पर, वोटन के काजै हल्ला मचाते रहैं। अबकी नाय जीतंगेÓ। सतवीर ने तुरंत टोका 'गठबंधन का कोई भरोसा नहीं, कब टूट जाए, पता नहीं कौन जीतेगाÓ। पास ही बैठे एक बुजुर्ग बोले 'जीत कोई भी जाए, पर वादों की ट्रेन पटरी पर तो आएÓ।
किसानों के बारे में सोचें दल
ट्रेन सिकंदरपुर पहुंच चुकी थी। यहां से आगे बढ़ी तो हाथरस के बुजुर्ग प्रेमचंद शर्मा ने खामोशी तोड़ी। बोले, 'सभी दलों को किसानों के बारे में सोचना चाहिए। छोटे किसानों के मामूली कर्जे माफ हुए। खाद महंगी हो गई। राहुल गांधी ने भी ऐसी ही घोषणा की है।Ó भीड़ के बीच काफी देर से चुप सासनी के कृपाल सिंह मुखर होते हुए बोले, 'सरकारों के अपने एजेंडे हैं। रोटी, कपड़ा व मकान की जरूरतें पूरी हो रही हैं। जरूरतें बहुत हैं। सरकार के पास जादू की छड़ी नहीं कि पलक झपकते ही सबकुछ बदल जाए। ऐसा भी नहीं है कि सबकुछ इसी सरकार ने किया है। ऐसा भी नहीं कि पिछली सरकारों ने कोई काम नहीं किया।
...नहीं तो जयराम जी करेगी जनता
करीब 40 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल रही ट्रेन चोला स्टेशन पर रुकी। बड़ी संख्या में यहां से दैनिक यात्री चढ़े। हम भी दूसरी बोगी में पहुंच गए। बोगी ठसाठस भरी थी। ज्यादातर युवा व महिलाएं थीं। चुनावी चर्चा यहां भी पहले से चल रही थी। कुछ बुजुर्ग भी उसमें शामिल हुए। खिड़की के पास खड़े चोला के सलीम ने देश में अच्छी सरकार की इच्छा जताई। बोले 'आतंकवाद का कोई धर्म नहीं। ये आतंकी जब बम विस्फोट करते हैं तो उसमें ङ्क्षहदू-मुस्लिम सब मरते हैंÓ। सलीम की बात सुनकर पास ही खड़े एक बुजुर्ग बोले, जिसने काम किया है, उसे जनता इनाम देगी, नहीं तो जय रामजी की करेगी।
देश का विकास जरूरी
पूरे सफर में सरकार और चुनाव को लेकर बातचीत रुकी नहीं। बहस हार-जीत को लेकर भी थी। लेकिन, वोट जरूर देने की बात पर सभी सहमत थे। सभी चाहते थे कि सरकारी किसी की बने, पर देश विकास करे। नौ बजकर 40 मिनट हो चुके थे। ट्रेन दनकौर, दादरी समेत कई स्टेशनों को पार करते हुए गाजियाबाद पहुंच गई। यहां तक ट्रेन हाथरस, अलीगढ़, गौतमबुद्धनगर लोकसभा क्षेत्र से होकर गुजरी। हम भी ट्रेन से उतर गए। 1v