'मैं BPL धारक नेता... सांसद आवास खाली कर ढूंढना होगा घर', पत्रकारों से बातचीत में 'अधीर' हुए कांग्रेस नेता चौधरी
Congress leader Adhir Ranjan Chowdhury कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व लगातार पांच बार सांसद रहे अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह नहीं जानते अब उनका राजनीतिक भव ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। पश्चिम बंगाल के बहरामपुर सीट से हार के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व लगातार पांच बार सांसद रहे अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह नहीं जानते अब उनका राजनीतिक भविष्य कैसा होगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी को तृणमूल उम्मीदवार और पूर्व भारतीय क्रिकेटर यूसुफ पठान से 85,000 से ज्यादा वोटों से मात दी है।
बहरामपुर स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत में 68 वर्षीय चौधरी ने कहा, उन्हें आशंका है कि आने वाला समय उनके लिए बहुत कठिन होगा। बंगाल में इस (तृणमूल) सरकार से लड़ने के प्रयास में मैंने अपनी आय के स्रोतों की अनदेखी की है। मैं खुद को बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे का) सांसद कहता हूं। राजनीति के अलावा मेरे पास कोई और कौशल नहीं है। इसलिए आने वाले दिनों में मेरे लिए मुश्किलें खड़ी होंगी और मुझे नहीं पता कि उनसे कैसे पार पाया जाए।
सांसद आवास खाली कर ढूंढना होगा घर
अधीर रंजन ने कहा, ''मैं जल्द ही अपना सांसद आवास खाली करने के लिए दिल्ली जाऊंगा। मेरी बेटी पढ़ाई कर रही है। वह कभी-कभी अपनी पढ़ाई के लिए इस जगह का इस्तेमाल करती है। मुझे वहां अब एक नया घर ढूंढना होगा, क्योंकि मेरे पास कोई घर नहीं है।
क्या आईएनडीआईए में ममता का किया विरोध?
चुनाव के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की विपक्षी आईएनडीआईए गठबंधन के साथ निकटता के सवाल पर चौधरी ने कहा कि उन्होंने गठबंधन में तृणमूल की मौजूदगी पर कभी आपत्ति नहीं जताई। हालांकि, उन्होंने इस बात से सहमति जताई कि उन्होंने बनर्जी के साथ गठबंधन का विरोध करते हुए पार्टी हाईकमान के समक्ष अपनी बात रखी थी, क्योंकि उनका मानना है कि यह राजनीतिक आत्महत्या के समान होगा।
क्या वह प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख पद पर बने रहेंगे?
इसके जवाब अधीर रंजन ने कहा, ''मैंने चुनाव में अपनी हार स्वीकार कर ली है। पहले ही पार्टी हाईकमान से पद के लिए मुझसे ज्यादा योग्य व्यक्ति को खोजने का आग्रह करते हुए प्रदेश प्रमुख का पद छोड़ना चाहता था। मैं सोनिया गांधी के अनुरोध पर रुका रहा। मुझे अभी तक अपने नेताओं की ओर से कोई फोन नहीं आया है। फोन आने पर मैं एक बार फिर पार्टी को अपनी इच्छा से अवगत कराउंगा।''
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बहरामपुर में प्रचार के लिए नहीं आया कोई स्टार प्रचारक?
इस पर चौधरी ने कहा कि यह पार्टी का विवेकाधिकार है। इस बारे में वह कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। जब राहुल गांधी की पूरब-पश्चिम भारत जोड़ो यात्रा मुर्शिदाबाद पहुंची थी तो उसमें वह शामिल हुए थे। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक बार पास के जिले मालदा में प्रचार किया था, लेकिन बहरामपुर कभी नहीं आए। यह हमारे केंद्रीय नेतृत्व का फैसला था, जिसके बारे में मुझे कुछ नहीं कहना है।
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बता दें कि साल 1999 सेबहरामपुर से लगातार पांच बार जीतकर सांसद रहे चौधरी के लिए यह शायद सबसे कठिन चुनावी मुकाबला था, जिसमें उन्हें गुजरात के रहने वाले तृणमूल उम्मीदवार यूसुफ पठान से शिकस्त का सामना करना पड़ा।
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