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महागठबंधन में किचकिच: दरभंगा के साथ मधुबनी-बेतिया में भी बढ़ी उलझन

बिहार महागठबंधन में किचकिच नहीं थम रहा है। एक को मनाएं तो दूजा रूठ जाता है वाला हाल हो गया है। सुपौल सीट का विवाद किसी तरह थमा तो नया मामला मधुबनी और पश्चिमी चंपारण का आ गया है

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Thu, 28 Mar 2019 09:01 PM (IST)Updated: Thu, 28 Mar 2019 10:12 PM (IST)
महागठबंधन में किचकिच: दरभंगा के साथ मधुबनी-बेतिया में भी बढ़ी उलझन

पटना [जेएनएन]। बिहार महागठबंधन में किचकिच नहीं थम रहा है। 'एक को मनाएं तो दूजा रूठ जाता है' वाला हाल हो गया है। सुपौल सीट का विवाद किसी तरह थमा, तो नया विवाद मधुबनी और पश्चिमी चंपारण (बेतिया) सीट पर शुरू हो गया है। दरभंगा सीट को लेकर चल रही तनातनी का भी कोई रिजल्ट नहीं निकला है और कीर्ति आजाद का मामला अधर में ही लटका हुआ है।  

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मुकेश सहनी के खाते में है मधुबनी

महागठबंधन में दरभंगा का झंझट अभी खत्म नहीं हुआ है। उधर मधुबनी पर विवाद का साया मंडरा रहा है। यह सीट मुकेश सहनी की पार्टी वीआइपी के खाते में गई है। पहले बताया जा रहा था कि सहनी खुद वहां से चुनाव लड़ेंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ शकील अहमद कांग्रेस की ओर से इस सीट के दावेदार रहे हैं। उन्होंने संकेत दिया है कि अगर सहनी ने किसी को आयातित किया तो मैं भी नामांकन का पर्चा दाखिल करूंगा। हालांकि कांग्रेस का यह दावा चर्चाओं के आधार पर है। 

 

तो डॉ शकील करेंगे नामांकन

चर्चा है कि भाजपा के एक विधानमंडल सदस्य मधुबनी से उम्मीदवार बनना चाह रहे हैं। वे मुकेश सहनी के संपर्क में हैं। डॉ शकील ने अपने समर्थकों को कहा है कि महागठबंधन के घटक दल से किसी को उम्मीदवार बनाया जाता है, तो हम सब उसका समर्थन करेंगे। लेकिन एनडीए से किसी को आयातित किया जाता है तो विरोध किया जाएगा। समर्थकों की राय पर वैसी स्थिति में डॉ शकील नामांकन करेंगे। इसके लिए 16 अप्रैल की तारीख भी तय कर ली गई है। हालांकि डा. शकील ने पूछने पर किसी तरह की टिप्पणी से इंकार किया। मालूम हो कि वे 1998 और 2004 में मधुबनी के सांसद रह चुके हैं। यूपीए-1 की सरकार में केंद्र में मंत्री भी थे। 

कीर्ति आजाद का दरभंगा में फंसा है पेच

दरभंगा सीट को लेकर भी कोई ठोस फैसला अब तक सामने नहीं आया है। दरभंगा सीट राजद के कोटे में है, लेकिन यहां से बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में गए कीर्ति आजाद लड़ना चाह रहे हैं। राजद दरभंगा सीट कांग्रेस को देने के लिए तैयार नहीं हैं, जबकि ​कीर्ति आजाद कहीं दूसरी जगह जाना नहीं चाह रहे हैं। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस अलग राह चलने के मूड में नहीं है। दिल्ली में गुरुवार को हुई बैठक से यह बात निकलकर आ रही है कि महागठबंधन नहीं टूटेगा। लेकिन यह बात भी सामने आ रही है कि कीर्ति को बेतिया भेजा जा सकता है। हालांकि इस पर अभी तक अधिकृत बयान किसी का नहीं आया है।   

 

बेतिया में राजन तिवारी ने ठोंकी ताल 

इधर बेतिया में राजद नेता राजन तिवारी अलग ताल ठोंक रहे हैं। मीडिया में आ रहे बयान में राजन तिवारी ने कहा ​है कि अभी तक बेतिया में महागठबंधन की ओर से उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि यहां बाहर का प्रत्याशी उतारा जाता है ​तो हम कोई बड़ा फैसला लेने को विवश हो जाएंगे। सूत्रों की मानें तो बेतिया से कीर्ति का नाम आने के बाद से राजन तिवारी ताल ठोंक रहे हैं। 

सुपौल में थमा विवाद 

महागठबंधन के लिए सुखद खबर यह है कि सुपौल सीट पर चल रहा विवाद अब थम गया है। गुरुवार को सुपौल की राजद इकाई ने यू टर्न ले लिया और कहा कि पार्टी वहां से कोई उम्मीदवार नहीं देगी। बता दें कि बुधवार को सुपौल की राजद इकाई ने दो टूक कहा था कि यदि मधेपुरा में यदि पप्पू यादव महागठबंधन के उम्मीदवार को डिस्टर्ब करते हैं तो राजद भी सुपौल में उम्मीदवार देकर उनकी पत्नी कांग्रेस उम्मीदवार रंजीत रंजन को डिस्टर्ब करेगा। 


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