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Chunavi Kisse: जब सांसद की सदस्यता रद्द होने के बाद इंदिरा गांधी को लाना पड़ा था अध्यादेश और विधेयक, पढ़िए पूरा किस्सा

Lok Sabha Election 2024 Special चुनावी किस्सों में आज जानिए उस वाकये के बारे में जब आम चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद इंदिरा गांधी को आनन-फानन में चुनावी खर्च की सीमा से जुड़ा एक अध्यादेश और फिर विधेयक लाना पड़ा था। हाई कोर्ट द्वारा दिया गया एक फैसला इसकी वजह बना था। जानिए क्या था पूरा मामला. . .

By Sachin Pandey Edited By: Sachin Pandey Published: Mon, 29 Apr 2024 11:34 AM (IST)Updated: Mon, 29 Apr 2024 11:34 AM (IST)
Chunavi Kisse: 1971 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी (आर) ने 352 सीटें जीतीं थीं।

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के दो फाड़ होने के बाद ही वर्ष 1971 में आम चुनाव हुए। तब सभी की जुबान पर इंदिरा गांधी का ‘गरीबी हटाओ’ नारा था। इस नारे का असर भी दिखा और चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी (आर) ने 352 सीटें जीतीं।

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इनमें से एक सीट थी दिल्ली की सदर सीट, जिस पर कांग्रेस (आर) से अमरनाथ चावला ने 98 हजार से अधिक मत प्राप्त जीत हासिल की थी। उनके पक्ष में प्रचार के लिए खुद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी ईदगाह रोड पर एक जनसभा की थी।

हाई कोर्ट ने रद्द की सदस्यता

अमरनाथ चावला चावला के खिलाफ चुनाव में सीमा से अधिक खर्च की शिकायत पर हाई कोर्ट ने वर्ष 1974 में उनकी संसद सदस्यता रद कर दी। ये एक ऐतिहासिक फैसला था, जिस पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को आनन-फानन में पहले एक अध्यादेश और फिर संसद में विदेयक लाना पड़ा था। जिसमें कहा गया था कि चुनाव में किसी राजनीतिक दल या अन्य व्यक्ति की ओर से किया गया खर्च उम्मीदवार उम्मीदवार का चुनावी खर्च नहीं माना जाएगा।

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उम्मीदवार के खाते में खर्च जोड़ने का आदेश

वर्ष 1971 के आम चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे जनसंघ के उम्मीदावार कंवर लाल गुप्ता ने कांग्रेस (आर) के उम्मीदवार अमरनाथ चावला पर चुनाव प्रचार में निर्धारित सीमा से अधिक धनराशि खर्च कर कानून के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। वर्ष 1974 में हाई कोर्ट ने उनके आरोपों को सही माना और चावला का निर्वाचन रद कर दिया। इसके साथ ही न्यायालय ने अपने आदेश में चुनाव प्रचार के दौरान निर्वाचन क्षेत्र में राजनीतिक दलों की ओर से किए गए खर्च को भी प्रत्याशियों के खर्च में जोड़ने का आदेश दिया था।

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