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    Chunavi Kisse: 'अम्पायर के कहने से पहले ही छोड़ दिया मैदान', जब अल्पमत में होने पर बोले अटलजी

    Updated: Sun, 28 Apr 2024 07:05 PM (IST)

    Lok Sabha Election 2024 Special पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक बेहतरीन वक्ता थे। संसद में दिए उनके कई भाषण इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। ऐसा ही एक भाषण उन्होंने देश में 12वें लोकसभा चुनाव के बाद सदन में विश्वास मत रखते हुए दिया था। उन्होंने बताया कि कैसे अंपायर के कहने के पहले ही उन्होंने मैदान छोड़ दिया था।

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    Lok Sabha Election 2024: 1998 के लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था।

    अमित पोपली, झज्जर। साल 1998 में देश 12वें लोकसभा चुनाव का गवाह बना। किसी भी पार्टी को चुनाव में बहुमत तक नहीं मिला था। बीजेपी को छोड़ दें तो सभी पार्टियों का प्राय: वोट शेयर भी गिरा। पन्नों को पलट कर देखें तो उस दिन तारीख थी 27 मार्च 1998।

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    प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयेपी ने सदन में विश्वास मत रखते हुए अपनी बात इस तरह से शुरू की, 'मेरे हृदय में मिली-जुली भावनाएं हैं। बरबस मेरा ध्यान 28 मई, 1996 की ओर जाता है। उस दिन, इसी सदन में, इसी स्थान से, मैंने उस समय की अपनी सरकार के लिए विश्वास मत की मांग की थी। तब से लेकर नदियों में बहुत सा पानी बह गया है। लोकतंत्र की सरिता अबाध गति से बहती रहे, यह आवश्यक है। लेकिन कभी-कभी ऐसा लगता है कि वह सरिता अविश्वास के भंवर में फंसकर अपना प्रवाह खो रही है।'

    अंपायर के कहने से पहले...

    अटल जी ने कहा, 'तब मैंने त्याग-पत्र दे दिया। क्योंकि, मैं अल्पमत में था और अम्पायर मुझे कहते कि आप मैदान से बाहर चले जाइए, उससे पहले ही मैंने मैदान छोड़ दिया। लेकिन उसके बाद जो घटनाचक्र चला, उस पर इस देश को गंभीरता से विचार करना होगा। 1989 से विश्वास मत के भंवर में पड़े हुए लोकतंत्र का चित्र हमें चिंता पैदा करता है।'

    एक के बाद एक सांसदों द्वारा रखी जा रही बात में सोनीपत से सांसद किशन सिंह सांगवान ने कहा, 'हरियाणा लोकदल राष्ट्रीय पार्टी, वाजपेयी जी को बाहर से समर्थन दे रही है। हमारे नेता स्वतंत्रता सेनानी पूर्व उप प्रधानमंत्री देवी लाल की तरफ से मैं अभिनन्दन करता हूं, हार्दिक बधाई देता हूं। आज हमारे चार साथी आपके बीच में हैं। अनेक मतभेदों के बावजूद, अनेक टकरावों के बावजूद राष्ट्रीय हित में भाजपा को बिना शर्त समर्थन दिया है।'

    रखी जा रही बात में सांसदों द्वारा व्यवधान भी डाला गया, समर्थन की मंशा पर सवाल उठा, पलटते हुए सांगवान ने कहा, 'देवीलाल जी ने जिंदगी में जो जुबान की, उसको निभाया है। उनकी हार्दिक इच्छा थी कि वाजपेयी जैसा नेता आज की स्थिति में कोई दूसरा नहीं है। वह प्रधानमंत्री बनें।'

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    आरोप लगाने के लिए लगाए जाते हैं आरोप

    सदन में हो रहे व्यवधानों के बीच सवाल अटल बिहारी वाजपेयी पर उठने लगे तो हरियाणा की बेटी सुषमा स्वराज ने कहा, 'मुलायम सिंह बैठ कर आरोप लगा रहे थे कि अटल जी को तो मंत्रिमंडल भी बनाने की स्वतंत्रता नहीं है। संघ की सलाह पर मंत्रिमंडल बनाया जा रहा है। अगर मैं मुलायम सिंह जी की बात को तर्क के लिए सच मान लूं तो संघ की सलाह पर देश की रक्षा का भार जार्ज फर्नान्डीज के कंधों पर डालने की सलाह दी जाती है तो हिन्दुस्तान को इस सरकार से किसी तरह का खतरा और भय नहीं होना चाहिए, लेकिन यहां तो आरोप लगाने के लिए आरोप लगाए जाते हैं।'

    उन्होंने कहा, 'यहां आरोप लगाया जा रहा था कि बीजेपी मेरे खिलाफ हमेशा अपराधियों को खड़ा करती है। क्या मैं उन लोगों का रिकार्ड रख दूं जिनको बीजेपी ने मुलायम सिंह के खिलाफ खड़ा किया? एक बार उपदेश चौहान को खड़ा किया जो उनकी पार्टी के एमएलए थे। दूसरी बार डीपी यादव को खड़ा किया जो उनकी कैबिनेट के मिनिस्टर रह चुके हैं। तीसरी बार अशोक यादव को खड़ा किया जो उन्हीं की पार्टी के सदस्य रह चुके थे। जब वे लोग उनकी पार्टी में होते हैं तो दूध के धुले होते हैं, तब वे सम्मानित विधायक, माननीय मंत्री होते हैं। लेकिन जिस समय वे भारतीय जनता पार्टी में आ जाते हैं तो उनका घोर अपराधियों का चेहरा बन जाता है और क्रिमिनल हो जाते हैं।'

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