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    दिल्‍ली के दंगल में कौन होगा विजेता, ये 28 सीटें पलट सकती हैं गेम; पिछली बार यहां किसने मारी थी बाजी

    Updated: Sat, 08 Feb 2025 08:59 AM (IST)

    दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आज घोषित किए जा रहे हैं होंगे। इस दौरान 699 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला सुनाया जाएगा। दिल्ली में अब तक 8 चुनाव हो चुके हैं और यह 9वां चुनाव है। दिल्‍ली में अब तक तीन पार्टियों ने शासन किया इस दिल्‍ली किसे चुनती है यह देखना होगा।  दिल्‍ली विधानसभा चुनाव में 28 सीटें ऐसी हैं जो गेम बदल सकती हैं... 

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    Delhi Assembly Election Results: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 नतीजे

    इलेक्शन डेस्‍क, नई दिल्‍ली। दिल्‍ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आज यानी शनिवार को जारी किए जार रहे हैं।  5 फरवरी को 699 प्रत्याशियों की किस्‍मत ईवीएम में कैद हो गई थी। इनकी किस्‍मत का फैसला सुनाया जा रहा है। दिल्‍ली विधानसभा चुनाव के नतीजों पर देशभर की निगाहें टिकी हैं।

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    दिल्‍ली में जनादेश किस पार्टी को मिलेगा,  तो मतगणना के बाद पता चल ही जाएगा। अगर एग्जिट पोल को देखें तो ज्यादातर में दिल्‍ली कमल खिलता नजर आ रहा है, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) पिछड़ रही है और कांग्रेस दूर-दूर तक टक्कर में नजर नहीं आ रही है।  दिल्‍ली में फिर आम आदमी पार्टी की सरकार बनेगी, हाशिये सिमट चुकी कांग्रेस की जमीन मजबूत होगी या जनता भाजपा को मौका देगी, ये तो नतीजे आने के बाद पता चल ही जाएगा।

    आज आपको दिल्‍ली विधानसभा चुनाव के बारे में कुछ रोचक तथ्‍य और आंकड़े बताते हैं, जो आपको जरूर जानने चाहिए। साथ ही उन 28 सीटों के बारे में भी बताते हैं, जिनमें से 12  सीटों पर भाजपा और 17 सीटों पर कांग्रेस पार्टी आज तक चुनाव नहीं जीत पाई है।  कहा जा रहा है कि जो पार्टी इन 28 में से सबसे ज्‍यादा सीटों पर जीत हासिल कर लेती है, वही जीत जाएगी।  

    पहली विधानसभा भंग हुई तो 37 साल नहीं हुए चुनाव

    देश की राजधानी दिल्‍ली में अब तक आठ विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और 9वें चुनाव के परिणाम आज आ रहे हैं। दिल्‍ली में पहला विधानसभा चुनाव 1952 में हुआ था, तब राजधानी में कुल 40 विधानसभा सीटें हुआ करती थीं।

    कौन था दिल्‍ली का पहला सीएम?

    चुनाव कांग्रेस जीती तो नांगलोई जाट सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे युवा विधायक चौधरी ब्रह्म प्रकाश दिल्‍ली के पहले मुख्‍यमंत्री बने। हालांकि, राजनीतिक उठापटक के चलते ब्रह्म प्रकाश अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए थे। 2 साल 332 दिन बाद उन्‍हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी। फिर दरियागंज से निर्वाचित गुरमुख निहाल सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया।

    1956 में दिल्ली की पहली चुनी हुई सरकार गिर गई। विधानसभा न सिर्फ भंग की गई, बल्कि खत्म भी कर दी गई। उसके बाद 37 साल तक दिल्‍ली में विधानसभा का कोई चुनाव नहीं हुआ।

    दिल्‍ली में दूसरा विधानसभा चुनाव कब हुआ?

    साल 1993 में दिल्‍ली विधानसभा का दूसरा चुनाव हुआ। उसके बाद से लगातार चुनाव होते आ रहे हैं और यह नौवां चुनाव है।  दिल्‍ली विधानसभा के दूसरे चुनाव में सीटों की संख्या बढ़ाकर 70 कर दी गई थी। दिल्‍ली में अभी जो विधानसभा सीटों के नाम और संरचना है, उसे परिसीमन आयोग ने साल 2008 में तय किया था।

    दिल्ली की सत्ता किन-किन पार्टियों ने संभाली?

    दिल्ली की कमान अब तक तीन पार्टियों - कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी के हाथ में ही रही है। कांग्रेस 19 साल और भाजपा 5 साल सत्ता में रही। वहीं पिछले 10 साल से आम आदमी पार्टी सत्‍ता पर काबिज है। तीनों ही पार्टियों के दिल्‍ली में शासन करने के बावजूद कई विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर ये पार्टियां आज तक जीत नहीं पाईं।

    वे कौन-सी 28 सीटें हैं, जो किसी एक पार्टी ने नहीं जीतीं?

    हमारी रिसर्च में ऐसी कुछ 28 सीटें मिली हैं, जिन्हें तीन पार्टियों में से किसी एक ने अभी तक नहीं जीता है। वहीं 70 सीटों में से 17 सीटें ऐसी भी हैं, जिन पर कांग्रेस दिल्‍ली हुए आठ विधानसभा चुनाव में कभी नहीं जीती।

    भाजपा का हाल भी यही है- ऐसी ही 12 सीटों पर भाजपा कभी कमल नहीं खिला पाई। पिछले दो विधानसभा चुनाव में क्‍लीन स्‍वीप करने वाली आम आदमी पार्टी के लिए भी एक सीट ऐसी है, जिस पर अब तक खाता नहीं खोल पाई है।

    विश्वास नगर विधानसभा सीट पर अब तक आप कोई भी प्रत्याशी नहीं जीता है। वहीं मटिया महल सीट पर भाजपा और कांग्रेस दोनों में कोई भी पार्टी नहीं जीत पाई है।

    वे सीटें जो जीत नहीं पाईं पार्टियां  

    • आप - विश्वास नगर  

    इन सीटों पर अब तक नहीं जीती भाजपा

    1. सुल्तानपुर
    2. माजरा
    3. मंगोलपुरी
    4. बल्लीमारान
    5. विकासपुरी
    6. जंगपुरा
    7. देवली
    8. अम्बेडकर नगर
    9. ओखला
    10. कोंडली
    11. सीलमपुर
    12. मटिया महल

    यहां आज तक नहीं जीती कांग्रेस

    1. बुराड़ी
    2. रिठाला
    3. मुंडका
    4. किराड़ी
    5. रोहिणी
    6. शालीमार बाग
    7. मोती नगर
    8. हरिनगर
    9. जनकपुरी
    10. बिजवासन
    11. संगम विहार
    12. ग्रेटर कैलाश
    13. बदरपुर
    14. कृष्णा नगर
    15. करावल नगर
    16. गोकुलपुर
    17. मटिया महल

    दिल्‍ली में हमेशा पहली बार का विधायक ही CM बना

    दिल्‍ली विधानसभा चुनाव के बारे में जानकारी जुटाने के लिए पन्ने पलटते कुछ बेहद रोचक तथ्य सामने आए, जिनमें से एक यह है कि दिल्‍ली का मुख्‍यमंत्री हमेशा पहली बार का विधायक ही बना है।  दिल्‍ली में अब तक कुल आठ लोगों ने सीएम की कुर्सी संभाली है। इनमें सिर्फ एक सुषमा स्‍वराज अपवाद रही थीं।  सुषमा स्वराज सांसद रहते हुए सीएम बनी थीं और उससे पहले हरियाणा से कई बार विधायक चुनी जा चुकी थीं।

    दिल्ली सीएम की कुर्सी पर कौन-कौन रहा?

    • ब्रह्म प्रकाश
    • गुमुख निहाल सिंह
    • मदनलाल खुराना
    • साहिब सिंह वर्मा
    • सुषमा स्वराज
    • शीला दीक्षित
    • अरविंद केजरीवाल
    • आतिशी

    पार्टी हारी तो सीएम भी...

    दिल्‍ली विधानसभा चुनाव का एक और रोचक तथ्‍य यह रहा है कि अभी तक विधानसभा चुनाव जीतने के बाद पार्टी ने जिन लोगों को सीएम बनाया। उस पार्टी के सत्‍ता से हटने यानी कि हारने के बाद वह व्यक्ति (जो सीएम रहा) भी अगली विधानसभा में चुनकर नहीं पहुंचा है।

    आठ मुख्‍यमंत्रियों में बस भाजपा के मदनलाल खुराना अपवाद रहे हैं। पार्टी के सत्ता से हटने के बाद खुराना 1998 में विधानसभा चुनाव में विधायक नहीं बने थे। वे 2003 के विधानसभा चुनाव में जीतकर विधायक पहुंचे थे।

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    क्‍या थे मुख्यमंत्रियों के हारने के कारण?

    हालांकि, इन सारे मुख्यमंत्रियों के विधायक नहीं बन पाने के अलग-अलग कारण रहे। चौधरी ब्रह्म प्रकाश और गुरमुख निहाल सिंह दोबारा इसलिए विधानसभा नहीं पहुंच पाए थे, क्‍योंकि 1956 में विधानसभा खत्म कर दी गई थी।

    मदन लाल खुराना और साहिब सिंह वर्मा ने साल 1998 का विधानसभा चुनाव लड़ा ही नहीं था। जबकि शीला दीक्षित 2013 में चुनाव हार गईं। फिलहाल, अरविंद केजरीवाल और आतिशी पर ये बात लागू नहीं होती है, क्‍योंकि चुनाव परिणाम आने से पहले तक आम आदमी पार्टी सत्ता में है।

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