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    सीतामढ़ी जिले में जल संकट बना सबसे बड़ा चुनावी मद्दा, लोगों की प्यास बुझाने के लिए नेता बहा रहे पसीना

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 12:21 PM (IST)

    सीतामढ़ी जिले में जल संकट गहराता जा रहा है जो राजनीतिक दलों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। विपक्ष हर घर नल जल योजना को विफल बता रहा है वहीं राजद नेता अनशन कर रहे हैं। सत्ता पक्ष भी वोट बैंक को सुरक्षित रखने के लिए प्रयास कर रहा है।

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    सीतामढ़ी में जल संकट बना सबसे बड़ा चुनावी मद्दा। फोटो जागरण

    दीपक कुमार, सीतामढ़ी। जिले में कायम जलसंकट जहां आम लोगों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन गया है। वहीं सियासी दलों के लिए भी यह एक बड़ा मुद्दा बन गया है।

    चुनाव के मैदान में आम जनता नेताओं को इस मुद्दे पर पानी-पानी नहीं कर दें, इसलिए वे अभी से ही इस मुद्दे पर अपनी मुखरता साबित करने की कोशिश में जुटे हैं।

    विपक्ष के साथ सत्ताधारी दल के नेताओं के लिए भी यह एक बड़ी समस्या बनकर रह गई है। एक ओर जहां सत्ता पक्ष के विधायक व जनप्रतिनिधि सरकार से इस दिशा में पहल कराने में जुटे हैं वहीं, विपक्ष के विधायक व नेता इसे लेकर सड़क पर उतर रहे है।

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    इसके लिए वे धरना-प्रदर्शन और अनशन आदि तक कर रहे हैं। हालात यह है कि मुख्यमंत्री के सात निश्चय में शामिल हर घर नल जल योजना को विपक्षी फ्लाप बताकर वोटरों को रिझाने की कोशिश कर रहे है।

    कहते हैं कि गांव के लोगों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति को लेकर भले ही यह योजना संचालित की गई है लेकिन, अधिकांश गांव में यह योजना दम तोड़ रही है। बाजपट्टी से राजद विधायक मुकेश कुमार यादव ने इस मुद्दा को लेकर अनशन पर भी बैठ गए। दो दिनों पर अनशन पर बैठे रहे।

    जिलाधिकारी रिची पांडेय से मिली आश्वासन के बाद अनशन समाप्त किया गया, लेकिन उनकी हालत बिगड़ने लगी। बिगड़ते हालत को देख इनका इलाज पीएचसी डुमरा में कराया गया, फिर बेहतर इलाज के लिए इन्हें आईजीआईएम पटना भेज दिया गया।

    वहीं राजद नेत्री रितु जायसवाल भी जलसंकट को मुद्दा बनाते हुए जिले के परिहार प्रखंड मुख्यालय पर अनशन पर बैठ गई। हालांकि बीडीओ के आश्वासन के बाद पहले दिन ही अनशन खत्म कर दिया, लेकिन इसे मुद्दा बनाकर जनता को मुखातिब करने को अभियान भी शुरू कर दिया है।

    रितु जायसवाल पिछले विधानसभा में राजद की टिकट से परिहार विधान सभा से चुनाव लड़ी थी। परिणाम यह रहा कि इन्हें बहुत कम वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। वे इस बार फिर इस सीट से राजद की ओर से दावेदारी पेश कर रही है।

    सत्ता पक्ष भी जलसंकट दूर कराने के लिए एड़ी चोटी कर रहा एक

    जिले में उत्पन्न पेयजल संकट को मुद्दा बनाकर सत्ता पक्ष के वोट बैंक पर कब्जा जमाने की हर कोशिश पर सत्ता पक्ष के लोगों की नजर है। अपने वोट बैंक को सुरक्षित करने में सत्ता पक्ष के लोग भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते है।

    जल संकट की समस्याओं पर नियंत्रण पाने को लेकर सत्ता पक्ष के विधायक व पार्टी कार्यकर्ता जिला प्रशासन से लेकर सरकार से पहल कर शुरू कर दी है। सत्ता पक्ष के नगर विधायक डॉ. मिथिलेश कुमार ने सीधा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात कर इस समस्या का निदान कराने की पहल की है।

    इसका वायरल वीडियो भी सुर्खियों में रहा। वहीं सत्ता पक्ष के पूर्व मंत्री डॉ. रंजू गीता ने राज्य का आला अधिकारी प्रधान सचिव पंकज पाल से मिलकर जिले के जलमीनारों की मरम्मत, पेयजल पाइप लाइनों को दुरुस्त करने की बात कही।

    इतना ही नहीं पेयजल संकट से निपटने के लिए स्थानीय प्रशासन व विभागीय अधिकारियों पर दवाब भी बनाया जा रहा है। ताकि समय रहते इस समस्या पर नियंत्रण पाया जा सके।

    बताया जाता है कि जिले के 64 पंचायतों में 82 टैंकरों के माध्यम से स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति वार्ड स्तर पर की जा रही है। इस पर डीएम ने टैंकरों की संख्या 82 से बढाकर 150 करने का निर्देश दिया था।

    इसमें बंद योजनाओं को हर हाल में चालू कराने का निर्देश दिया गया था। सभी एजेंसियों को प्रखंड बार 20 टीम तैनात करने का निर्देश दिया था। इसमें बाजट्टी के कनीय अभियंता के विरुद्ध लापरवाही बरतने की शिकायत पर उन्हें तत्काल हटाने का कार्रवाई का निर्देश दिया।

    नानपुर एवं बोखड़ा प्रखंड के लिए अतिरिक्त कनीय अभियंता की प्रतिनियुक्ति करने एवं सुरसंड, पुपरी एवं चोरौत प्रखंड में कार्यरत एजेंसियों की लापरवाही पर उनके विरुद्ध आर्थिक दंड की कार्रवाई करने का आदेश दिया गया था।

    जिले के 14 प्रखंड प्रभावित, 334 सामान्य चापाकलों का किया गया कन्वर्जन

    कार्यपालक अभियंता अरुण प्रकाश ने बताया है कि जुलाई माह में 334 सामान्य चापाकलों का कन्वर्जन कर उन्हें विशेष चापाकल में बदला गया है। जबकि 70 नए चापाकल गाड़े गए हैं।

    वित्तीय वर्ष 2025-26 में 4116 चापाकलों की मरम्मत की जा चुकी है। वहीं डीएम ने पीएचईडी विभाग को 500 नए चापाकलों की अधिष्ठापना का लक्ष्य निर्धारित करने का टास्क दिया था।

    आकंड़ों के अनुसार पिछले जुलाई माह में जिले के 17 प्रखंड में से 14 प्रखंडों में जल संकट की स्थिति बनी हुई थी। इन प्रभावित प्रखंड के 80 पंचायत के 186 वार्ड को चिन्हित किया गया था।

    जहां टैंकर के माध्यम से पेयजल की आपूर्ति कराई जा रही थी। प्रभावित क्षेत्र में 110 टैंकरों का परिचालन भी शुरू किया गया। यहां कुल 205 योजनाओं में से 203 योजनाएं चालू स्थिति में लाया गया।प्रभावित क्षेत्रों में 535 चापाकलों की मरम्मति की गई।

    बताया गया है कि कुल 4193 चापाकलों की मरम्मति की गई है। हर घर नल का जल योजना में कार्यरत मरम्मति दलों की कुल संख्या 223 सक्रिय गया।

    वहीं कार्य में शिथिलता एवं लापरवाही के कारण दो संवेदक मेसर्स तरियानी इंटरप्राइजेज व मेसर्स चौधरी एंड चौधरी को भविष्य में किसी भी निविदा में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया गया।

    बाजपट्टी विधान सभा के 42 पंचायत अब भी प्रभावित

    जिले के बाजपट्टी विधान सभा में कुल 42 पंचायत में पेयजल संकट उत्पन्न होने का दावा किया जा रहा है। राजद विधायक मुकेश कुमार ने डीएम व सरकार को लिखित शिकायत की है।

    वहीं सत्ता पक्ष के पूर्व मंत्री डा. रंजू गीता ने भी उक्त 42 पंचायत में उत्पन्न पेयजल संकट से निपटने के लिए विभाग के प्रधान सचिव से पहल की है, जबकि पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता अरुण प्रकाश बताते है कि जिले में सबसे अधिक प्रभावित परिहार प्रखंड है।

    इसके अलावा सोनबरसा, चोराैत, बाेखड़ा, नानपुर में पेयजल संकट की स्थिति बनी हुई है। इससे निपटने के लिए कंट्रोल रूम का नियमित संचालन किया जा रहा है। मिली शिकायत के आधार पर त्वरित निष्पादन भी किया जा रहा है।

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