Bihar SIR:10 विधानसभा में कटे 60 फीसदी महिलाओं के नाम, 8 सीटों पर RJD-कांग्रेस का कब्जा; मचा सियासी बवाल
बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर विवाद गहरा गया है। महागठबंधन का आरोप है कि उनके समर्थकों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं। खासकर महिलाओं के नाम हटाने को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। एनडीए का कहना है कि यह प्रक्रिया निष्पक्ष है। अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन 30 सितंबर को होगा जिसके बाद स्थिति स्पष्ट होगी।

विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। मतदाता-सूची में नाम दर्ज कराने के लिए आधार-कार्ड को मान्यता मिलने के साथ ही विशेष गहन पुनरीक्षण का मुद्दा (एसआइआर) एक बार फिर चर्चा में है।
हालांकि, इसका सही निष्कर्ष 30 सितंबर को निकलेगा, जब मतदाता-सूची का अंतिम प्रकाशन होगा, लेकिन महागठबंधन यह शिकायत दोहराने लगा है कि प्रारूप से उसके वोटरों के नाम चुन-चुनकर हटाए गए।
इस दावे में वह अपनी जीत वाले विधानसभा क्षेत्रों को गिना रहा। सत्ताधारी एनडीए का तर्क है कि उन क्षेत्रों से तो अधिसंख्य नाम महिलाओं के बाहर हुए हैं, जो जदयू-भाजपा के लिए प्रतिबद्ध हैं। बिहार में ऐसे 43 विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां पुरुषों से अधिक महिलाओं के नाम हटाए गए हैं।
एक अगस्त को मतदाता-सूची के प्रारूप का प्रकाशन हुआ था। आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि प्रारूप से बाहर किए गए मतदाताओं में 55 प्रतिशत महिलाएं हैं।
10 विधानसभा क्षेत्रों में तो यह आंकड़ा 60 प्रतिशत से भी अधिक है। उनमें अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित राजपुर और मोहनियां भी हैं। उपरोक्त क्षेत्रों में से एक-एक में पिछली बार भाजपा और कांग्रेस को जीत मिली थी।
दो पर एआइएमआइएम और छह पर राजद विजेता रहा था। अमौर में पिछली बार एआइएमआइएम की बिहार इकाई के अध्यक्ष अख्तरूल इमाम विजयी रहे थे। अभी एआइएमआइएम के वे एकमात्र विधायक हैं। बाकी चार पाला बदलकर राजद के हो चुके हैं।
इस वर्ष पहली जनवरी को प्रकाशित मतदाता-सूची में महिलाओं की संख्या 47.7 प्रतिशत थी, जो प्रारूप में घटकर 47.2 रह गई है। सर्वाधिक 64 प्रतिशत महिलाएं कैमूर जिला से बाहर हुई हैं।
उपरोक्त 10 विधानसभा क्षेत्रों में से कैमूर के दो विधानसभा क्षेत्र (भभुआ और मोहनिया) हैं। पिछली बार दोनों जगह राजद विजयी रहा था। हालांकि, उसके दोनों विधायक भाजपा से जा मिले। इस सूची में भाजपा की जीती हुई ढाका सीट भी है।
बाद बाकी नौ सीटें सीमांचल और शाहाबाद की हैं, जो महागठबंधन के लिए सर्वाधिक उर्वर क्षेत्र है। रामगढ़ इसी दायरे में है, जहां 2020 में मात्र 189 मतों के अंतर से जीत-हार का निर्णय हुआ था। उसके बाद हुए उप चुनाव में भाजपा ने राजद से यह सीट छीन ली।
विधानसभा क्षेत्र | बाहर हुई महिलाएं (%) | 2020 में विजेता | 2015 में विजेता | 2010 में विजेता |
---|---|---|---|---|
राजपुर | 69% | विश्वनाथ राम (कांग्रेस) | संतोष कु. निराला-जदयू | संतोष कु. निराला-जदयू |
रामगढ़ | 67% | सुधाकर सिंह (राजद) | अशोक कु. सिंह-भाजपा | अंबिका सिंह-राजद |
ढाका | 65% | पवन कु. जायसवाल (भाजपा) | फैसल रहमान-राजद | पवन कु. जायसवाल-निर्दलीय |
मोहनिया | 65% | संगीता कुमारी (राजद) | निरंजन राम-भाजपा | छेदी पासवान-जदयू |
भभुआ | 64% | भरत बिंद (राजद) | आनंद भूषण पांडेय-भाजपा | डा. प्रमोद कु. सिंह-लोजपा |
ठाकुरगंज | 63% | सउद आलम (राजद) | नौशाद आलम-जदयू | नौशाद आलम-लोजपा |
अमौर | 63% | अख्तरूल इमाम (एआइएमआइएम) | अब्दुल जलील मस्तान-कांग्रेस | सबा जफर-भाजपा |
कोचाधामन | 63% | मो. इजहार असफी (एआइएमआइएम) | मोजाहिद आलम-जदयू | अख्तरूल इमाम-राजद |
ब्रह्मपुर | 63% | शंभूनाथ यादव (राजद) | शंभूनाथ यादव-राजद | दिलमणि देवी-भाजपा |
नोखा | 62% | अनिता देवी (राजद) | अनिता देवी-राजद | रामेश्वर प्रसाद-भाजपा |
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।