हम हो गए कामयाब, चंद्रयान-3 की कामयाबी नए भारत के निर्माण का प्रतीक
इसके पहले भारत ने चंद्रयान-2 के जरिये चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने की कोशिश की थी लेकिन अंतिम समय में कुछ गड़बड़ी हुई और बात बन नहीं सकी। भले ही उसे लेकर कुछ देशों ने तंज कसे हों लेकिन वह पूरी तरह विफल नहीं था। उस अभियान ने हमारे विज्ञानियों को यह सीखने-समझने में सहायता प्रदान की कि आगे क्या सावधानी बरतनी है?
अंततः हमने वह कर दिखाया, जो विश्व का कोई देश और यहां तक कि अमेरिका एवं रूस भी नहीं कर सका। इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने चंद्रयान-3 के लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक पहुंचाकर देश ही नहीं, दुनिया को चमत्कृत करने का काम किया और भारतवासियों एवं भारत प्रेमियों को गर्व की ऐसी अनुभूति कराई, जो सीना चौड़ा करने के साथ ही हर्षित और मुदित करने वाली है।
चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग एक ऐसा अविस्मरणीय और अद्भुत क्षण है, जो वर्षों तक भारतवासियों को प्रेरित करता रहेगा। यह एक ऐसी शानदार उपलब्धि है, जो सचमुच स्वर्णाक्षरों में लिखी जाएगी। इस उपलब्धि ने हम भारत के लोगों में जिस उत्साह और उमंग का संचार किया है, वह अकल्पनीय है।
निःसंदेह इसके पहले भी चांद पर अन्य देशों के यान पहुंचे हैं, लेकिन उसके उस दक्षिणी छोर पर कोई नहीं पहुंचा, जो अनजाना है और जहां किसी यान का पहुंचना बहुत कठिन माना जाता है।
इसके पहले भारत ने चंद्रयान-2 के जरिये चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने की कोशिश की थी, लेकिन अंतिम समय में कुछ गड़बड़ी हुई और बात बन नहीं सकी। भले ही उसे लेकर कुछ देशों ने तंज कसे हों, लेकिन वह पूरी तरह विफल नहीं था। उस अभियान ने हमारे विज्ञानियों को यह सीखने-समझने में सहायता प्रदान की कि आगे क्या सावधानी बरतनी है?
चंद्रयान-3 की सफलता ने न केवल इसरो की प्रतिष्ठा में चार चांद लगाए हैं, बल्कि भारत का भी मान बढ़ाया है। इसके साथ ही उसने भारतवासियों को इस आत्मविश्वास से भरने का काम किया है कि उनके लिए कुछ भी कठिन नहीं है और वे वह सब कुछ हासिल कर सकते हैं, जो अन्य देशों और विशेष रूप से विकसित देशों के लोग प्राप्त कर चुके हैं। चंद्रयान-3 का सफल अभियान केवल चंद्रमा के अनजाने रहस्यों को उजागर करने में ही सहायक नहीं होगा, बल्कि अंतरिक्ष विज्ञान को नए आयाम भी प्रदान करेगा। चूंकि इससे पूरा विश्व लाभान्वित होगा, इसलिए इस पर हैरानी नहीं कि चंद्रयान-3 अभियान पर सारी दुनिया की निगाहें थीं।
इसरो ने जो इतिहास रचा, वह यही रेखांकित कर रहा है कि नए भारत का निर्माण हो रहा है और वह महाशक्ति बनने की राह पर है। अब यह भरोसे के साथ कहा जा सकता है कि विश्व पटल पर अपनी और गहरी छाप छोड़ने का भारत का समय आ चुका है।
चंद्रयान-3 अभियान की सफलता पर प्रधानमंत्री ने यह ठीक ही कहा कि यह विकसित भारत का जयघोष है और इससे देश को एक नई ऊर्जा और चेतना मिली है। उन्होंने चंद्रयान-3 की सफलता को जिस तरह नए भारत की नई उड़ान करार देते हुए इसे अमृतकाल की प्रथम प्रभा में अमृत वर्षा की संज्ञा दी, उससे इस यकीन को बल मिलता है कि वर्ष 2047 तक भारत विकसित राष्ट्र बनने के अपने सपने को वास्तव में साकार करने की दिशा में बढ़ रहा है।
इसरो ने जिस तरह बेहद कम कीमत पर अपने चंद्रयान-3 अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, वह यही बताता है कि किसी भी क्षेत्र में बड़ी कामयाबी पाने के लिए संसाधनों से अधिक संकल्प और आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है। इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा को चंद्रमा पर अपना पहला यान उतारने में करीब 15 बार असफलता झेलनी पड़ी थी, लेकिन हमारा इसरो चंद्रमा के दुर्गम माने जाने वाले दक्षिणी छोर पर दूसरे ही प्रयास में सफल हो गया।
इसरो के विज्ञानियों और तकनीकी विशेषज्ञों ने अपने तप, त्याग और संकल्प से बेहद कठिन माने जाने वाले कार्य को जिस कुशलता से संपन्न किया, उससे उन्होंने दुनिया में अपनी मेधा का लोहा मनवाया। वे वंदन और अभिनंदन के पात्र हैं। अब यह तय है कि पहले से ही भारत को एक उभरती शक्ति के रूप में देख रहा विश्व समुदाय भारत को और अधिक महत्व देगा। इसरो ने सफलता की जो गाथा लिखी, उससे हमारी अन्य संस्थाओं को भी प्रेरणा लेनी चाहिए और उन्हें भी अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट बनने का संकल्प लेना चाहिए। इससे ही भारत को विकसित देश बनाने में आसानी होगी।
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