जागरण संपादकीय: बुलडोजर कार्रवाई, सड़कों पर अतिक्रमण पर SC की अहम टिप्पणी
यह दलील निराधार नहीं लेकिन सच यह है कि अपने देश में बड़ी संख्या में घर और अन्य इमारतें स्थानीय निकायों की ओर से स्वीकृत नक्शे के बिना बनाई जाती हैं। यह भी सच्चाई है कि जिस इलाके में किसी संदिग्ध अपराधी या अभियुक्त का घर अथवा व्यावसायिक भवन अवैध तरीके से बना होता है वहीं अन्य लोगों के भी बने होते हैं लेकिन वे बुलडोजर कार्रवाई से बचे रहते
यह अच्छा है कि सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर दिशानिर्देश जारी करने की बात कहते हुए यह भी कहा कि मंदिर हों या दरगाह, उनका निर्माण सड़क पर नहीं किया जा सकता। विडंबना यह है कि सड़कों के साथ रेलवे ट्रैक और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भी अवैध तरीके से धार्मिक स्थलों का निर्माण किया जाता है। यह किसी से छिपा नहीं कि किस तरह सरकारी या निजी भूमि पर कब्जे के लिए धार्मिक स्थलों का अवैध निर्माण किया जाता है। अब तो इसकी चपेट में वन भूमि भी आ रही है। चूंकि आस्था के नाम पर ऐसे अवैध स्थलों को हटाने से बचा जाता है, इसलिए उनका निर्माण बेरोक-टोक जारी है।
तथ्य यह भी है कि सुप्रीम कोर्ट ने बहुत पहले यह आदेश दिया था कि यातायात में बाधक बनने वाले धार्मिक स्थलों को हटाया जाए, लेकिन उस पर अमल अब तक नहीं किया जा सका है। उचित यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट यह देखे कि ऐसा क्यों है? अवैध तरीके से अथवा अतिक्रमण कर बनाई गई इमारतों के खिलाफ सख्ती दिखाई ही जानी चाहिए। इसी से अतिक्रमण और अवैध निर्माण की राष्ट्रव्यापी समस्या का समाधान किया जा सकता है। इस समस्या के लिए केवल अवैध निर्माण या अतिक्रमण करने वाले ही दोषी नहीं हैं। इसके लिए सरकारी विभाग भी दोषी हैं, जो नियम विरुद्ध निर्माण होने देते हैं। ऐसी कोई व्यवस्था बननी ही चाहिए, जिससे देश में अवैध निर्माण थमे-वह चाहे धार्मिक स्थलों के रूप में हो या फिर अन्य किसी तरह के निर्माण के रूप में।
बीते कुछ समय से बुलडोजर कार्रवाई पर इसलिए सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि कई राज्यों में संगीन अपराधों में लिप्त अभियुक्तों के घरों, दुकानों आदि पर बुलडोजर चलाए गए। इस पर संबंधित सरकारों और उनके पुलिस-प्रशासन की ओर से यह दलील दी जाती है कि इस तरह की कार्रवाई किसी व्यक्ति के अपराध में लिप्त होने के कारण नहीं, बल्कि इसलिए की जाती है कि उसका घर या व्यावसायिक स्थल बिना नक्शे के या अतिक्रमण करके बना पाया गया होता है।
यह दलील निराधार नहीं, लेकिन सच यह है कि अपने देश में बड़ी संख्या में घर और अन्य इमारतें स्थानीय निकायों की ओर से स्वीकृत नक्शे के बिना बनाई जाती हैं। यह भी एक सच्चाई है कि जिस इलाके में किसी संदिग्ध अपराधी या अभियुक्त का घर अथवा व्यावसायिक भवन अवैध तरीके से बना होता है, वहीं अन्य लोगों के भी बने होते हैं, लेकिन वे बुलडोजर कार्रवाई से बचे रहते हैं। इसी कारण अनधिकृत निर्माण के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई को न्याय के मूल सिद्धांतों के खिलाफ कहा जाता है। बुलडोजर कार्रवाई के जरिये जब किसी अभियुक्त का घर गिराया जाता है तो उसके स्वजन भी सड़क पर आ जाते हैं। यह भी न्यायसंगत नहीं। आशा है कि सुप्रीम कोर्ट इस पहलू को भी देखेगा और अवैध निर्माण एवं अतिक्रमण को भी सहन नहीं करेगा।