अश्विनी वैष्णव। प्रधानमंत्री मोदी ने तकनीक को भारत का सबसे बड़ा समान अवसर देने वाला साधन बना दिया है। मुंबई का एक रेहड़ी-पटरी वाला भी वही यूपीआइ पेमेंट सिस्टम इस्तेमाल करता है और बड़ी कंपनी का अधिकारी भी। यह बदलाव प्रधानमंत्री के मूल सोच अंत्योदय को दर्शाता है यानी कतार में खड़े सबसे आखिरी व्यक्ति तक पहुंचना। हर डिजिटल पहल का मकसद है तकनीक को सबके लिए समान रूप से उपलब्ध कराना। गुजरात में शुरू हुए ये प्रयोग ही भारत की डिजिटल क्रांति की नींव बने।

मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी जी ने तकनीक और नवाचार के जरिये गुजरात को बदला। 2003 में शुरू की गई ज्योतिग्राम योजना में फीडर सेपरेशन तकनीक से ग्रामीण उद्योगों को लगातार बिजली मिली। इससे महिलाएं रात में पढ़ाई कर सकीं और छोटे व्यवसाय फले-फूले, जिससे गांव से शहर की ओर पलायन घटा। इस योजना पर किए गए 1,115 करोड़ रुपये के निवेश की भरपाई सिर्फ ढाई साल में हो गई। 2012 में उन्होंने नर्मदा नहर पर सोलर पैनल लगाने का निर्णय लिया।

इस परियोजना से हर साल 1.6 करोड़ यूनिट बिजली बनी, जो लगभग 16,000 घरों के लिए काफी थी। इससे नहर के पानी का वाष्पीकरण कम हुआ और पानी की उपलब्धता बढ़ी। इस नवाचार को अमेरिका और स्पेन द्वारा अपनाया जाना इसकी प्रभावशीलता को और मजबूत करता है। ई-धरा प्रणाली से जमीन के कागजात डिजिटल हुए। स्वागत पहल से नागरिक वीडियो कांफ्रेंसिंग द्वारा मुख्यमंत्री से सीधे जुड़ सके। आनलाइन टेंडरिंग से भ्रष्टाचार पर रोक लगी।

2014 में मोदी जी ने गुजरात का अनुभव और सीख दिल्ली तक पहुंचाया, लेकिन पैमाना कहीं बड़ा था। उनके नेतृत्व में इंडिया स्टैक बना, जो दुनिया का सबसे समावेशी डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर है। इसकी बुनियाद जैम ट्रिनिटी (जन धन, आधार, मोबाइल) पर रखी गई। जन धन खातों ने 53 करोड़ से अधिक लोगों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा। इससे उन्हें सुरक्षित बचत करने, सीधे सरकारी लाभ पाने और आसानी से कर्ज तक पहुंचने का अवसर मिला। आधार ने नागरिकों को डिजिटल पहचान दी।

अब तक 142 करोड़ से अधिक पंजीकरण हो चुके हैं। इससे सरकारी सेवाओं तक पहुंचना आसान हो गया। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर ने बिचौलियों को हटा दिया और गड़बड़ी कम की। अब तक डीबीटी से 4.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई है। यही पैसा स्कूल, अस्पताल और अन्य बुनियादी ढांचे बनाने में लगाया जा रहा है।

पहले ग्राहक की पहचान (केवाईसी) की प्रक्रिया कठिन और भाग-दौड़ भरी थी। आधार-आधारित ई-केवाईसी से छोटे से छोटे लेन-देन भी आर्थिक रूप से संभव हो गए हैं। यूपीआइ ने भारत के भुगतान करने का तरीका बदल दिया। सिर्फ अगस्त में ही 20 अरब से अधिक लेन-देन हुए, जिनकी कुल राशि 24.85 लाख करोड़ रुपये रही। सिंगापुर से लेकर फ्रांस तक कई देश यूपीआइ से जुड़े हैं। जी-20 ने डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को समावेशी विकास के लिए जरूरी माना है।

जापान ने इसके लिए पेटेंट भी दिया है। जो शुरुआत में भारत का समाधान था, वही अब विश्व के लिए डिजिटल लोकतंत्र का माडल बन गया। आज भारत दुनिया के कुल रियल-टाइम डिजिटल पेमेंट्स का आधा हिस्सा अकेले संभालता है। पीएम मोदी के सोच ने जैम ट्रिनिटी और यूपीआइ ढांचे को अंतिम रूप दिया। आज यूपीआइ, वैश्विक स्तर पर वीजा से भी अधिक लेन-देन करता है। एक साधारण मोबाइल फोन अब बैंक, पेमेंट गेटवे और सर्विस सेंटर सब कुछ बन गया है।

‘प्रगति’ ने शासन में जवाबदेही लाने का काम किया। जब अधिकारियों को पता होता है कि प्रधानमंत्री लाइव वीडियो में उनका काम देखेंगे, तो जवाबदेही अपने आप बढ़ जाती है। तकनीक ने खेती और स्वास्थ्य सेवाओं को पूरी तरह बदल दिया है। किसानों को अब मौसम की जानकारी और मिट्टी की सेहत का डाटा सीधे मोबाइल पर मिल जाता है। डिजीलाकर में 57 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं के 967 करोड़ दस्तावेज डिजिटल रूप से सुरक्षित रखे गए हैं। आधार आथेंटिकेशन से आयकर रिटर्न भरना भी बेहद आसान हो गया है।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने वह कर दिखाया जो असंभव सा लगता था। मंगल तक पहली कोशिश में पहुंचना और वह भी इतने कम खर्चे में जितना एक हालीवुड फिल्म पर भी नहीं लगता। चंद्रयान-3 ने भारत को चांद पर साफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बनाया। गगनयान मिशन भारत को चौथा ऐसा देश बनाएगा जो अपनी स्वदेशी तकनीक से इंसानों को अंतरिक्ष में भेजेगा। जब कोविड-19 आया तो पूरी दुनिया वैक्सीन बांटने की अफरा-तफरी से जूझ रही थी। तब कोविन प्लेटफार्म रिकार्ड समय में बनाया गया। यह दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान का एक संपूर्ण डिजिटल समाधान था।

प्रधानमंत्री की दृष्टि के तहत आज हमारी मजबूत इलेक्ट्रानिक्स उत्पादन क्षमता हमें उन्नत सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग की ओर छलांग लगाने में मदद कर रही है। दुनिया के 20 प्रतिशत से ज़्यादा चिप डिज़ाइनर यहीं हैं। सेमीकंडक्टर उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स, गैस और विशेष सामग्री को भी समर्थन दिया जा रहा है।

पीएम गति शक्ति पोर्टल जीआइएस तकनीक का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करता है। इंडिया एआई मिशन के तहत 38,000 से अधिक जीपीयू उपलब्ध कराए गए हैं, वह भी वैश्विक लागत के एक-तिहाई दाम पर। इससे स्टार्टअप, शोधकर्ताओं और छात्रों को सिर्फ 67 रुपये प्रति घंटे की दर पर सिलिकान वैली जैसी सुविधाएं मिली हैं। तकनीक के प्रति पीएम मोदी की समझ भारत की अनूठी एआइ रेगुलेशन नीति में भी झलकती है।

केवड़िया में 182 मीटर की स्टैच्यू आफ यूनिटी विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है। चिनाब पुल 359 मीटर ऊंचा है, जो कश्मीर को शेष भारत से जोड़ता है। आइजोल रेल लाइन कठिन पहाड़ी इलाकों से गुजरती है, जिसमें हिमालयन टनलिंग मेथड का प्रयोग किया गया है, जिसमें कई सुरंगें और पुल शामिल हैं। नया पंबन पुल सौ साल पुराने ढांचे की जगह आधुनिक इंजीनियरिंग से बनाया गया है।

इंजीनियरिंग की ये अद्भुत कृतियां प्रधानमंत्री के उस सोच को दर्शाती हैं जिसमें तकनीक और दृढ़ संकल्प के सहारे भारत को जोड़ा जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी तकनीक को तो समझते ही हैं, लेकिन इंसानों को उससे भी बेहतर ढंग से समझते हैं। अंत्योदय का उनका सोच ही हर डिजिटल पहल को आगे बढ़ाती है। मोदी जी ने तकनीक को शासन की भाषा बना दिया है। उन्होंने साबित किया है कि जब नेता तकनीक को इंसानियत के साथ अपनाते हैं तो पूरा देश भविष्य की ओर बड़ी छलांग लगाता है।

(लेखक भारत सरकार के रेल, आइटी और सूचना एवं प्रसारण मंत्री हैं)