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    12 चीजें मिलाकर ही क्यों बनता है 'एक दर्जन'... 10 या 11 क्यों नहीं? जानें इसके पीछे का साइंस

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 09:33 AM (IST)

    क्या आपने कभी सोचा है कि जब भी हम कोई चीज दर्जन में खरीदते हैं तो उसकी गिनती 12 ही क्यों होती है? 10 11 या 15 क्यों नहीं? दरअसल इसके पीछे एक बहुत ही दिलचस्प गणित और विज्ञान छिपा हुआ है जो हजारों साल पुराना है। आइए इस आर्टिकल में आपको आसान भाषा में इसके बारे में समझाते हैं।

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    सिर्फ 12 ही क्यों? 'एक दर्जन' के पीछे छिपा है ये 'सीक्रेट' साइंस (Image Source: AI-Generated)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर 'एक दर्जन' में हमेशा 12 ही चीजें क्यों होती हैं? न 10, न 11, बल्कि सीधा 12! अंडे हों, केले हों या मिठाई, सबकी गिनती दर्जन में ही होती है, लेकिन इस 12 के पीछे सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि दिलचस्प गणित, इतिहास और विज्ञान भी छिपा है। आइए जानते हैं।

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    कहां से हैं 'दर्जन' शब्द की जड़ें?

    'दर्जन' शब्द अंग्रेजी शब्द 'dozen' से आया है और 'dozen' की जड़ लैटिन शब्द 'duodecim' में है, जिसका मतलब होता है बारह। यानी दर्जन का अर्थ ही बारह होता है। हालांकि, यह तो भाषा की बात हुई- सवाल यह है कि 12 ही क्यों?

    प्राचीन समय की गणना का रहस्य

    आज हम 10 की गिनती पर आधारित दशमलव प्रणाली (Decimal System) इस्तेमाल करते हैं- यानी 10, 100, 1000 आदि, लेकिन पुराने समय में बहुत सी सभ्यताएं 12 पर आधारित प्रणाली (Duodecimal System) का इस्तेमाल करती थीं। मिस्र, रोम और बाबिलोन जैसी प्राचीन सभ्यताएं 12 को एक पूरा चक्र मानती थीं। ऐसा इसलिए, क्योंकि:

    • एक साल में 12 महीने होते हैं।
    • घड़ी में 12 घंटे का चक्र होता है (AM और PM मिलाकर 24 घंटे)।
    • एक गोले या वृत्त को 12 समान भागों में बांटना आसान होता है।
    • यानी 12 को पूर्णता और संतुलन का प्रतीक माना जाता था।
    • 12 गणना के लिए भी था सुविधाजनक
    • गणितीय दृष्टि से भी 12 बहुत उपयोगी संख्या है।

    12 को 2, 3, 4 और 6 से आसानी से विभाजित किया जा सकता है, यानी इसे बराबर भागों में बांटना आसान काम है।

    उदाहरण के लिए:

    • 12 को 2 से भाग देने पर 6 आता है।
    • 12 को 3 से भाग देने पर 4 आता है।
    • 12 को 4 से भाग देने पर 3 आता है।
    • 12 को 6 से भाग देने पर 2 आता है।

    इस वजह से पुराने व्यापारी 12 चीजों का समूह बनाना आसान मानते थे- खासकर जब चीजें बेचनी या बांटनी हों।

    बाजार और व्यापार में 12 का महत्व

    प्राचीन यूरोप में जब बाजारों में चीजें बेची जाती थीं, तो लोग 12 को एक व्यावहारिक इकाई के रूप में इस्तेमाल करने लगे। अगर किसी चीज की कीमत तय करनी हो, तो 12 को आधा, चौथाई या छठा भाग बनाना आसान था। इससे हिसाब-किताब में गलती की संभावना कम रहती थी। धीरे-धीरे यह चलन इतना सामान्य हो गया कि 12 चीजें मिलकर ही 'एक दर्जन' कहलाने लगीं।

    'बेकर्स डजन' क्या है?

    क्या आप जानते हैं कि एक समय 'बेकर्स डजन' यानी baker’s dozen नाम से 13 चीजों का भी प्रचलन था? दरअसल, इंग्लैंड में बेकरी वाले जब रोटियां या बन बेचते थे, तो वे एक दर्जन की बजाय 13 देते थे, ताकि वजन में कमी निकलने पर ग्राहक को नुकसान न हो।

    यानी 13वां टुकड़ा बोनस के तौर पर।

    दर्जन का विज्ञान और मनोविज्ञान

    12 को 'संपूर्ण संख्या' (Perfect Number) नहीं कहा जाता, लेकिन यह 'संतुलित संख्या' जरूर मानी जाती है। मनोवैज्ञानिक रूप से भी इंसान 12 के समूहों को आसानी से पहचान और याद रख सकता है, जैसे:

    • साल के 12 महीने
    • राशियों के 12 चिन्ह
    • घड़ी के 12 अंक

    इसलिए जब कुछ चीजें एक साथ रखनी होती हैं, तो 12 का समूह दिमाग को 'पूर्णता' का एहसास देता है। इसलिए चाहे अंडे हों या केले, जब तक उनकी गिनती 12 नहीं होती, तब तक वह 'एक दर्जन' नहीं कहलाते।