क्या आपके दिमाग में कभी आया यह ख्याल... हमेशा टेढ़ा ही क्यों होता है केले का आकार?
क्या आपने कभी सोचा है कि केले हमेशा मुड़े हुए या टेढ़े ही क्यों होते हैं (Why Are Bananas Curved)? बता दें यह कोई इत्तेफाक नहीं है बल्कि इसके पीछे कुदरत का एक हैरतअंगेज विज्ञान छिपा है। दरअसल केले का यह अनोखा आकार उसे बढ़ने और पकने में मदद करता है। आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आप जानते हैं कि केला एक ऐसा सुपरफूड है जो हमें इंस्टेंट एनर्जी देने के साथ-साथ कई बीमारियों से बचाने में भी मदद करता है। सुबह की भागदौड़ में नाश्ते से लेकर शाम को लगने वाली हल्की-फुल्की भूख मिटाने के लिए भी कई लोग इसे अपनी डाइट में शामिल करते हैं। इसके अलावा मसल बिल्डिंग और शरीर में इलेक्ट्रोलाइट का बैलेंस बनाए रखने में भी केला हमारी सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
कुल मिलाकर यह सिर्फ एक फल नहीं, बल्कि गुणों का खजाना है। ऐसे में, क्या आपने कभी गौर किया है कि ज्यादातर केले हमेशा थोड़े मुड़े हुए या टेढ़े ही क्यों होते हैं? क्या यह सिर्फ एक संयोग है या इसके पीछे प्रकृति का कोई गहरा राज छिपा है (Banana Shape Facts)? जी हां, सीधे-सपाट केले शायद ही कभी दिखते हैं। आइए, इस आर्टिकल में आपको विस्तार से बताते हैं इसके टेढ़ेपन के पीछे का साइंस (Science Behind Banana Curve)।
सूरज की ओर झुकता है केला
दरअसल, केले के टेढ़े होने की सबसे बड़ी वजह है 'फोटो-ट्रॉपिज्म' (Phototropism) – यानी पौधों का सूर्य की ओर झुकाव। दरअसल, जब केले का पेड़ फल देने लगता है, तब केले की कलियां नीचे की ओर मुड़ी होती हैं। यानी फल की शुरुआती ग्रोथ गुरुत्वाकर्षण (gravity) की दिशा में होती है।
जैसे-जैसे फल बढ़ने लगता है, केले में मौजूद सेल्स उसे सूरज की रोशनी की ओर मोड़ना शुरू कर देते हैं। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिसमें फल धीरे-धीरे ऊपर की दिशा में बढ़ने लगता है। ऐसे में, सूरज की ओर झुकाव की वजह से ही केला सीधा न होकर ऊपर की ओर मुड़ा हुआ और टेढ़ा दिखाई देता है।
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क्या है ये निगेटिव जियोट्रॉपिज्म?
इसे आसान भाषा में ऐसे समझिए- ज्यादातर पेड़-पौधे गुरुत्वाकर्षण (Gravity) की ओर बढ़ते हैं, यानी उनकी जड़ें जमीन में नीचे की ओर और तना ऊपर की ओर बढ़ता है, लेकिन केले के पेड़ के साथ थोड़ा अलग होता है। केले का फल, जब शुरू में उगना शुरू होता है, तो वह गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे की ओर बढ़ता है। लेकिन फिर, सूर्य की रोशनी पाने के लिए वह धीरे-धीरे ऊपर की ओर मुड़ने लगता है। इसी मुड़ने की प्रक्रिया को 'निगेटिव जियोट्रॉपिज्म' कहते हैं।
क्या केले के स्वाद पर असर डालता है टेढ़ापन?
इस सवाल का जवाब है- बिल्कुल नहीं। केले के आकार का उसके स्वाद से कोई लेना-देना नहीं है। उसका स्वाद मुख्य रूप से उसकी प्रजाति, मिट्टी, मौसम और पकने की अवस्था पर निर्भर करता है। चाहे केला सीधा हो या टेढ़ा, अगर वह पका हुआ है, तो मीठा और पौष्टिक ही होगा।
इंसानों के लिए क्यों खास है केले का यह गुण?
केले के टेढ़े होने का एक फायदा यह भी है कि यह आकार उसके अंदर के बीजों और पोषक तत्वों को सुरक्षित रखने में मदद करता है। साथ ही, टेढ़े आकार की वजह से वह आसानी से छिल जाता है और खाने में ज्यादा सुविधाजनक होता है। इसके अलावा, यह हमें प्रकृति की एक खूबसूरत सीख भी देता है कि सीधा रास्ता हमेशा जरूरी नहीं होता, कभी-कभी टेढ़े रास्ते भी अपने मकसद तक पहुंचा देते हैं।
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