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    क्या होता है राजकीय शोक और इस दौरान किन नियमों का किया जाता है पालन? विस्तार से समझें

    Updated: Fri, 27 Dec 2024 03:36 PM (IST)

    पूर्व प्रधानमंत्री Manmohan Singh के निधन के बाद से ही देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। उन्होंने 92 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली। 26 दिसंबर रात में मनमोहन सिंह के निधन के बाद केंद्र सरकार ने 7 दिन के राजकीय शोक का एलान किया है। ऐसे में आज इस आर्टिकल में जानेंगे क्या होता यह शोक और इसके नियम।

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    क्या है राजकीय शोक और इसके नियम

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। पूरा देश इस समय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन की खबर से दुखी है। महान अर्थशास्त्री और प्रोफेसर रह चुके डॉ.मनमोहन सिंह ने 92 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा रह दिया। उन्होंने गुरुवार रात दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली।

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    उनके निधन की खबर आते ही हर कोई उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है। उनके अंतिम दर्शन के लिए पार्थिव शरीर को उन्हीं के निजी निवास पर रखा गया है। यहां शुक्रवार को उनके दर्शन किए जा सकेंगे, जिसके बाद शनिवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। मनमोहन सिंह के निधन के बाद देशभर में सात दिन के राजकीय शोक का एलान किया गया है।

    इस बारे में खुद गृह मंत्रालय ने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर एक नोटिफेकशन जारी किया है। इस नोटिफिकेशन में बताया गया कि मनमोहन सिंह के निधन का भारत सरकार को बेहद दुख है।

    इसमें लिखा गया कि ‘भारत सरकार बड़े दुख के साथ देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की नई दिल्ली के एम्स में निधन की घोषणा करता है। इसके साथ ही इस नोटिफिकेशन में उनके सम्मान में 7 दिवसीय राजकीय शोक की भी घोषणा की है। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि राजकीय शोक क्या होता है और इस दौरान क्या-क्या होता है।

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    क्या होता है राजकीय शोक?

    राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री या पूर्व राष्ट्रपति और पीएम के निधन पर पूरे देश में राजकीय शोक मनाया जाता है। वहीं, राज्यपाल, राज्य के किसी सम्मानित शख्सियत, मुख्यमंत्री या पूर्व मुख्यमंत्री के निधन पर पूरे राज्य में शोक मनाया जाता है। इस दौरान कई तरह की चीजों पर पाबंदी होती है और कई सारे नियमों का भी पालन किया जाता है।

    राजकीय शोक के दौरान क्या-क्या होता है?

    जब भी राजकीय शोक का एलान किया जाता है, तो शोक की अवधि के दौरान सरकारी स्कूल, कालेज और दफ्तर या सरकारी समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित नहीं होते हैं। साथ ही प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति या पूर्व पीएम और राष्ट्रपति के निधन पर पूरे भारत में जहां भी राष्ट्रीय ध्वज नियमित रूप से फहराया जाता है, वहां राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहता है।

    वहीं, अन्य के लिए दिल्ली या किसी खास राज्य में ध्वज आधा झुका रहता है। इतना ही नहीं देशभर में राजकीय शोक के एलान के बाद विदेश में भी सभी इंडियन मिशन्स/कमीशन्स में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहता है।

    इन दिनों नहीं मनाते शोक

    हालांकि, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती जैसे राष्ट्रीय त्योहार के मौके पर कोई राजकीय शोक नहीं मनाया जाता है। अगर कोई ऐसा दिन राजकीय शोक की अवधि के अंतर्गत आता है, तो उस दिन शोक नहीं मनाया जाता है और न ही इन दिनों राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है। इस दौरान भले ही सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाते, लेकिन अन्य ऑफिशियल समारोह आयोजित होते हैं।

    Source:

    • गृह मंत्रालय - https://www.mha.gov.in/sites/default/files/Former.pdf
    • हरियाणा सरकार की वेबसाइट- https://csharyana.gov.in/WriteReadData/Instructions/Political%20and%20Parliamentary%20Affairs/1129.pdf

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