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    कितने प्रकार की होती है सड़क, एक्सप्रेसवे से लेकर हाईवे तक की क्या है कहानी?

    Updated: Fri, 06 Jun 2025 12:34 AM (IST)

    देश का सड़क नेटवर्क दुनिया के सबसे बड़े नेटवर्कों में से एक है। देश में सड़कों को छह (राष्ट्रीय राज्य जिला शहरी ग्रामीण सीमा/रणनीतिक) और हाईवे को चार (नेशनल स्टेट एक्सप्रेसवे बॉर्डर) श्रेणियों में बांटा गया है। हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा माने जाने वाले हाईवे और लेन प्रणाली को कितना जानते हैं आप?

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    जानिए कितने प्रकार की होती हैं सड़कें, हाईवे और लेन सिस्टम... प्रतीकात्‍मक फोटो

    डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली।  'मैं सड़क हूं, मिट्टी-डाबर और पत्थर से बनी' से लेकर 'ये सड़क कहीं जाती नहीं' और 'सड़क की बात तक' तक आपने अनगिनत सड़कों कविताएं पढ़ी हैं। हम सबने घर से स्‍कूल, दादी-नानी का घर, बाजार और दफ्तर आते-जाते बहुत सड़कें नापी हैं। किसी अजगर की तरह मैदानों, जंगलों और पहाड़ों से गुजरती सड़कें कहीं नहीं जातीं, लेकिन आपको मंजिल तक पहुंचाने का पूरा जिम्‍मा उठाती हैं।

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    हम सबकी जिंदगी की गाड़ी को सरपट दौड़ाने में सड़क का अहम योगदान है। खास बात यह है कि हमारे देश का सड़क नेटवर्क दुनिया के सबसे बड़े नेटवर्क में शामिल है। अब सवाल यह है कि, क्‍या आप जानते हैं कि देश में सड़कें और हाइ-वे कितने तरह के होते हैं, लेन प्रणाली क्या होती है? आइए हम आपको बताते हैं...

    देश में सड़कों (Roads) को 6 और हाईवे को 4 कैटेगरी में बांटा गया है। जब हम सड़क की बात करते हैं तो...

    सड़क कितने प्रकार की होती हैं?

    • राष्ट्रीय राजमार्ग: देश के एक राज्य को दूसरे राज्य से जोड़ते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग को बनाने और रखरखाव का जिम्मा सरकार उठाती है।
    • राज्य राजमार्ग: राज्य के प्रमुख जिलों और शहरों को आपस में जोड़ते हैं। इनको बनवाने और रखरखाव की जिम्मेदारी राज्‍य सरकार की होती है।
    • जिला सड़कें: जिले के अंदर छोटे शहरों, कस्बों और गांवों को जोड़ती हैं। लोक निर्माण विभाग या जिला पंचायत इनको बनवाता है और रख-रखाव करता है।
    • शहरी सड़कें: शहरों और नगरों के अंदर बनी होती हैं। इनका निर्माण और रख-रखाव नगर पालिका या नगर निगम करती है।
    • ग्रामीण सड़कें: गांव और नजदीकी कस्‍बों या जिले से जोड़ती हैं। इनमें से ज्‍यादातर का निर्माण  प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के अंतर्गत होता है।
    • बॉर्डर और स्ट्रेटेजिक सड़कें: सीमावर्ती इलाकों और सेना के लिए बनाई जाती हैं, इनका निर्माण सीमा सड़क संगठन (BRO) करता है।

    अब बारी आती है Highways की तो..

    हाईवे कितने प्रकार के होते हैं?

    1- नेशनल हाईवे 

    राष्ट्रीय राजमार्ग यानी नेशनल हाईवे (National Highways - NH) एक राज्‍य को दूसरे राज्य (ऊपर भी बताया है) या फिर यूं कहिए कि पूरे देश को एक-दूसरे से जोड़ते हैं। नेशनल हाईवे का निर्माण और रखरखाव केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport & Highways) के तहत होता है। नेशनल हाईवे पर अधिकतम स्‍पीड 100 किमी/घंटा होती है।

    उदाहरण के लिए:

    • NH-44 कश्‍मीर से कन्याकुमारी जाता है, यह देश का सबसे लंबा नेशनल हाईवे है, जिसकी दूरी 4,112 किलोमीटर है। पहले इसे NH 7 के नाम से जाना जाता था।
    • NH-27 पोरबंदर से सिलचर जाता है, यह भी लंबा  राष्ट्रीय राजमार्ग है, जिसकी दूरी करीब 3,400 किलोमीटर है।

      

    2- स्‍टेट हाईवे 

    राज्य राजमार्ग यानी स्‍टेट हाईवे (State Highways – SH)राज्‍य के भीतर प्रमुख जिलों, शहरों और नेशनल हाईवे (ऊपर भी बताया है) को जोड़ते हैं। स्‍टेट हाईवे को राज्य की रीढ़ की मानी जाती है। स्‍टेट हाईवे पर अधिकतम स्पीड 80–100 किमी/घंटा होती है।

    3- एक्सप्रेसवे 

    महा राजमार्ग यानी एक्सप्रेस (Expressways) वे हाई-स्पीड और कंट्रोल्ड एंट्री वाले आधुनिक हाईवे होते हैं। आबादी वाले इलाके से बाहर बनाए जाते हैं एक्‍सप्रेसवे। इनको ऐसे डिजाइन किया जाता है कि इसमें कोई मोड़ नहीं होता है,  गाड़ियां सीधी दौड़ती रहती हैं। दोनों ओर रेलिंग से घेरे बनाए जाते हैं। ऊंचाई हाईवे से ज्यादा होती है। जगह-जगह एंट्री और एग्जिट प्वाइंट दिए होते हैं।

    एक्सप्रेस वे हाई-स्पीड के लिए बनाए जाते हैं, जिन पर अधिकतम स्पीड 120 किमी/घंटे की रफ्तार से वाहन दौड़ सकते हैं।  एक्सप्रेस वे टोल आधारित और 4 से 8 लेन के बने होते हैं। जैसे- यमुना एक्सप्रेस वे - (6 लेन),  दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे (8 लेन) ।

    4- बॉर्डर रोड्स / स्ट्रेटेजिक हाईवे

    बॉर्डर रोड्स / स्ट्रेटेजिक हाईवे (Border Roads / Strategic Roads) देश के सीमावर्ती इलाकों और सेना की जरूरतों का ख्याल रखते हुए बनाए जाते हैं। इनका निर्माण और रखरखाव बीआरओ करता है। इन पर अधिकतम 40–60 किमी/घंटा की रफ्तार से वाहन चलते हैं।  उदाहरण के लिए - मनाली-लेह हाईवे, जोजिला पास रोड।

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    लेन प्रणाली (Lane Systems) कितने प्रकार की होती है?

    • सिंगल लेन सड़कें (Single Lane Roads): इन सड़कों पर एक ही लेन होती है, जिस पर दोनों दिशाओं में यातायात चलता है। खासकर ग्रामीण या फिर कम भीड़ वाले शहरी इलाकों में सिंगल लेन की सड़कें होती हैं।  

    • डबल लेन सड़कें (Double Lane Roads): आने और जाने दोनों के लिए एक-एक डेडिकेटेड लेन होती है।

    • चार-लेन सडकें (Four-Lane Roads): आने और जाने- दोनों दिशाओं के लिए दो-दो  डेडिकेटेड लेन होती हैं।
    • छह-लेन सड़कें (Six-Lane Roads): प्रत्येक दिशा के लिए तीन लेन। यमुना एक्सप्रेस वे 6-लेन का है।
    • आठ-लेन सड़कें (Eight-Lane Roads): आने और जाने- दोनों दिशा के लिए चार-चार लेन होती हैं। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे 8-लेन का है।
    • मल्टी-लेन सड़कें (Multi-Lane Roads): एक से ज्‍यादा लेन वाली सड़कें। 

    • एक्सप्रेस लेन (Express Lanes): एक्सप्रेस लेन हाई स्पीड से चलने वाले वाहनों के लिए बनाई जाती हैं। आमतौर पर नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे और एक्‍सप्रेस वे पर। इन पर एंट्री और एग्जिट नियंत्रित होता है।
    • राउंडअबाउट लेन (Roundabout Lanes): राउंडअबाउट लेन यानी गोलाकार चौराहा जिसे आम भाषा में गोल चक्‍कर भी कहते हैं। बिना ट्रैफिक सिग्नल के ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए डिजाइन किया जाता है। 

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