यमुना की मुख्य धारा में 110 मीटर तक ग्रेप-3 में भी चलता रहा अवैध खनन; रिपोर्ट में खुलासा
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में गाजियाबाद की यमुना नदी में अवैध रेत खनन पर संयुक्त समिति की रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, यमुना की मुख्य ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक तस्वीर।
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। गाजियाबाद में यमुना नदी की मुख्य धारा में बड़े पैमाने पर रेत का खनन किया जा रहा है। यमुना में अवैध खनन के संबंध में विभिन्न एजेंसियों की संयुक्त समिति द्वारा दाखिल की गई रिपोर्ट में हैरान करने वाले तथ्य सामने अाए हैं। संयुक्त समिति की रिपोर्ट के अनुसार यमुना नदी की मुख्य धारा में लगभग 110 मीटर अंदर तक खनन किया गया है और इससे भी गंभीर तथ्य यह है कि गैप-तीन लागू होने के बाद भी अवैध खनन जारी रहा।
मामले पर अगली सुनवाई 17 मार्च को
मामले की गंभीरता को देखते हुए एनजीटी चेयरमैन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने संयुक्त समिति की रिपोर्ट का संज्ञान लिया। यमुना नदी में रेत खनन से जुड़े गंभीर पर्यावरणीय उल्लघनों पर एनजीटी सभी पक्षों को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले पर अगली सुनवाई 17 मार्च को होगी।
संयुक्त समिति का किया था गठन
यमुना में अवैध खनन का आरोप लगाते हुए आवेदनकर्ता वरुण गुलाटी द्वारा दायर आवेदन पर एनजीटी सुनवाई कर रहा है। एनजीटी ने 20 नवंबर 2025 को मामले की जांच के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) और गाजियाबाद खनन अधिकारी की एक संयुक्त समिति का गठन किया था। समिति द्वारा हाल में दाखिल की गई रिपोर्ट में पाया गया कि यमुना नदी में दी गई लीज क्षेत्र के बाहर नदी की मुख्य धारा के बीच व पर्यावरणीय स्वीकृति (ईसी) की शर्तों का उल्लंघन करते हुए खनन किया गया।
खनन रोकने की सिफारिश की
समिति ने यह भी पाया कि ग्रेडेड रिस्पान्स एक्शन प्लान (ग्रेप) – चरण-तीन लागू होने के दौरान एनसीआर क्षेत्र में सभी खनन गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध था, लेकिन इस अवधि में भी खनन कार्य जारी रहा, जो स्पष्ट उल्लंघन है। संयुक्त समिति ने उत्तर प्रदेश के खनन विभाग, यूपीपीसीबी एवं गाजियाबाद जिला प्रशासन को आवश्यक कार्रवाई करने और यमुना नदी की मुख्य धारा में किसी भी प्रकार का खनन रोकने की सिफारिश की है।
संयुक्त समिति द्वारा दर्ज किए गए प्रमुख उल्लंघन
- यमुना नदी की मुख्य धारा में लगभग 110 मीटर अंदर तक खनन।
- नदी तट पर अवैध रैंप का निर्माण।
- सीमा स्तंभों का लुप्त या जल में डूब जाना।
- भारी मशीनों से 15–20 फीट तक खुदाई।
- वृक्षारोपण, पर्यावरण आडिट एवं छह मासिक अनुपालन रिपोर्ट का अभाव।
- रात्रिकालीन खनन के साक्ष्य।
- अनुमत क्षमता से अधिक डीजी सेट का उपयोग।
- अपशिष्ट जल प्रबंधन एवं बुनियादी ढांचे में गंभीर कमी।
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