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    Delhi Blast: दिल्ली पुलिस के रडार पर 68 मोबाइल नंबर, डेटा-स्पाइक्स से जुड़ रहा पाकिस्तान-तुर्किये से कनेक्शन

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 06:09 PM (IST)

    लाल किला मेट्रो स्टेशन के बाहर हुए कार विस्फोट की जांच में एक नया मोड़ आया है। जांच एजेंसियां पाकिस्तान और तुर्किये से आई कॉल्स और संदिग्ध इंटरनेट गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। विस्फोट के समय लाल किला पार्किंग और घटनास्थल पर सक्रिय 68 मोबाइल फोन नंबरों की जांच की जा रही है, क्योंकि इन नंबरों पर विदेशी कॉल्स आई थीं।

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    माेहम्मद साकिब, नई दिल्ली। लाल किला मेट्रो स्टेशन के बाहर कार में आतंकी धमाके की जांच अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान और तुर्किये से आने वाली काॅल्स, इंटरनेट रूटिंग और विदेशी सर्वरों से जुड़ रहे फोन सिग्नल्स पर विशेष निगरानी शुरू कर दी है।

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    जांच में यह भी सामने आया है कि इन देशों से जुड़े कुछ नंबरों ने घटना से ठीक पहले भारतीय नेटवर्क पर असामान्य डेटा-स्पाइक्स (अचानक कुछ सेकेंड में बहुत ज्यादा डेटा भेजना या प्राप्त होना, जो सामान्य उपयोग में नहीं होता) दर्ज कराए।

    पार्किंग में और धमाके के बाद 68 नंबर दोनों जगह मिले सक्रिय

    सबसे अहम जानकारी विस्तृत फोन-मैपिंग से मिली है। आतंकी डाॅ. उमर नबी बट्ट की कार जब लाल किला पार्किंग में तीन घंटे खड़ी रही, उस दौरान उसके 30 मीटर के दायरे में 187 फोन नंबर सक्रिय पाए गए। दूसरी ओर, विस्फोट स्थल पर ब्लास्ट के पांच मिनट पहले और पांच मिनट बाद कुल 912 फोन सक्रिय मिले।

    दोनों स्थानों की डिजिटल लोकेशन-हिस्ट्री के मिलान में कुल 68 मोबाइल नंबर ऐसे मिले जो दोनों जगह पर उसी अवधि में सक्रिय थे। यही 68 नंबर अब जांच का केंद्र बन गए हैं, क्योंकि इनमें से अधिकतर नंबर पर पाकिस्तान और तुर्किये से काॅल आई थीं।

    पाकिस्तान-तुर्किये के आईपी क्लस्टर पर स्विच हो रही थीं कॉल्स

    सूत्रों के अनुसार, जांच एजेंसियां अब इन 68 नंबरों का काॅल रूटिंग पैटर्न, विदेशी सर्वर जंप, इंटरनेट-पैकेट ट्रेस, डेटा-स्पाइक टाइमिंग और वीपीएन-आधारित हाॅप्स का विश्लेषण कर रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, शुरुआती इनपुट बताते हैं कि इनमें से कई नंबर एक ही विदेशी नेटवर्क से जुड़े हैं।

    जिसने पाकिस्तान और तुर्किये दोनों देशों के आईपी-क्लस्टर (एक वर्चुअल आईपी एड्रेस जो एक कंप्यूटर क्लस्टर के लिए एकल पहुंच बिंदु के रूप में कार्य करता है) के बीच लगातार स्विच ओवर दिखाया है। यह पैटर्न आम उपयोगकर्ताओं में नहीं मिलता और सीधे तौर पर किसी रिमोट-एक्टिवेशन सिस्टम की ओर संकेत करता है।

    तीन से चार देशों से घूमकर आ रही थीं कॉल्स

    सूत्रों का दावा है कि संभव है कार में मौजूद ट्रिगर डिवाइस को इंटरनेट के माध्यम से ऑन करने के लिए कई प्राक्सी सर्वर का उपयोग हुआ हो। यह तरीका काल-डिटेल रिकार्ड (सीडीआर) से बचने के लिए आतंकवादी संगठनों द्वारा अपनाया जाता है।

    कई बार एक कॉल असल में तीन-चार देशों के सर्वरों से घूमकर आती है, जिसकी सीधे तौर पर लोकेशन पकड़ना मुश्किल होता है। जांचकर्ता इस ‘सर्वर-हापिंग स्टाइल’ को अब एक-एक सेकंड के टाइम संदर्भ के साथ रिवर्स-ट्रैक कर रहे हैं।

    दो फोन ऐसे भी, जिनकी लोकेशन मिनट टु मिनट शिफ्ट हुई

    इस बीच, पकड़े गए और रडार पर आए अन्य संदिग्धों की काल डिटेल्स, इंटरनेट-लाॅगिन पैटर्न, आईएमईआई-स्विचिंग और वाई-फाई हिट-लिस्ट भी मिलाई जा रही हैं। विशेष रूप से यह देखा जा रहा है कि कौन-कौन से फोन विस्फोट से कुछ मिनट पहले किसी विदेशी आईपी से लिंक हुए थे।

    प्राथमिक आकलन में घटनास्थल पर मौजूद दो फोन ऐसे मिले हैं, जिनमें मिनट-टू-मिनट लोकेशन शिफ्ट हुई, जिससे संकेत मिलता है कि फोन को ‘स्पूफ’ (यानी दूसरे नेटवर्क पर डाला गया) किया गया था।

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    एजेंसियों ने अब तीन तरह के डिजिटल समूह किए चिह्नित

    • वे नंबर जो पार्किंग और विस्फोट-साइट दोनों पर मौजूद थे।
    • वे विदेशी नंबर जो भारतीय नेटवर्क से असामान्य तरीके से जुड़े।
    • वे स्थानीय नंबर जिनमें वीपीएन-आधारित लोकेशन-शिफ्ट दिखा।


    इन्हीं तीनों के क्रास-मिलान से अब ‘मुख्य डिजिटल साजिशकर्ता’ की पहचान की जा रही है। जांच अधिकारी मान रहे हैं कि यही डेटा आने वाले दिनों में इस माॅड्यूल के असली मास्टरमाइंड तक पहुंचाने में अहम साबित होगा।

    क्या होता है वीपीएन

    वीपीएन एक ऐसी तकनीक है, जो मोबाइल या कंप्यूटर की असली लोकेशन और पहचान छिपाकर, इंटरनेट को किसी दूसरे देश या जगह से चल रहा दिखाती है। इससे डेटा एक सुरक्षित, गुप्त रास्ते से गुजरता है और पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि असल में उपयोगकर्ता कहां है।

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