बताना पड़ेगा साफ हवा के लिए एजेंसियों ने क्या किया? 'पवन' डैशबोर्ड से जोड़े जाएंगे पंजाब और दिल्ली-NCR
दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता को लेकर एजेंसियों को बताना होगा कि उन्होंने साफ हवा के लिए क्या किया। इसके लिए 'पवन' डैशबोर्ड से पंजाब और दिल्ली-एनसीआ ...और पढ़ें

पंजाब और दिल्ली-एनसीआर के विभागों को बताना होगा साफ हवा के लिए क्या किया गया।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। कमोबेश हर साल ही जहरीली हवा से जूझने वाले दिल्ली व एनसीआर में वायु प्रदूषण की रोकथाम और निगरानी व्यवस्था को बेहतर के लिए एकीकृत स्तर पर काम शुरू किया गया है। इस दिशा में काम कर रही तमाम एजेंसियों को एक प्लेटफाॅर्म पर लाने की तैयारी है।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) 'पवन' नाम से एक डिजिटल डैशबाेर्ड तैयार कर रहा है। इसका मकसद प्रदूषण से जंग में जुटी सभी एजेंसियों के बीच तालमेल को बेहतर बनाना है। उम्मीद है कि अगली सर्दियों से पहले ही यह डेशबोर्ड काम करना शुरू कर देगा।
गौरतलब है कि यूं तो दिल्ली सहित एनसीआर में प्रदूषण अब केवल सर्दियों की समस्या नहीं रह गया है। वर्ष भर ही यहां वायु गुणवत्ता खराब रहती है। सर्दियों में प्रदूषण का स्तर गैस चैंबर की स्थिति तक पहुंच जाता है।
इस दौरान वायु गुणवत्ता का स्तर 'बहुत खराब' से 'गंभीर' श्रेणी में पहुंचने के कारण ग्रेप चार के प्रतिबंध भी लगाने पड़ जाते हैं। कार्यालयों के समय में बदलाव और वर्क फ्राॅम होम देने जैसे कदम उठाने पड़ते हैं। इससे सामाजिक एवं आर्थिक दोनों ही तरह का तानाबाना भी प्रभावित होता है।
इस स्थिति के कारणों की गर्भ में जाएं तो कहीं न कहीं वायु प्रदूषण की निगरानी और इसकी रोकथाम को लेकर बरती जाने वाली लापरवाही तथा सख्ती का अभाव है। अन्य राज्यों की बात छोडि़ए, राजधानी की अपनी एजेंसियों में ही कोई तालमेल नहीं रहता।
यहां तक की केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की ओर से जब इन सभी एजेंसियों को समाधान के लिए प्रदूषण संबंधी शिकायतें अग्रसारित की जाती हैं तो उन्हें लेकर भी हीलाहवाली या खानापूरी वाले हालात रहते हैं। इस लापरवाही का इससे बड़ा नमूना और क्या होगा कि कई एजेंसियों ने 50 प्रतिशत शिकायतें भी नहीं सुलझाई हैं।
इसी के मद्देनजर सीएक्यूएम एक काॅमन डिजिटल डैशबोर्ड तैयार कर रहा है। इस पर दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब की तमाम एजेंसियों को जोड़ा जाएगा। इस डैशबोर्ड पर दिल्ली एवं एनसीआर के सभी शहरों का रियल-टाइम AQI तो मिलेगा, प्रदूषण की प्रभावी रोकथाम वहां का प्रशासन और राज्य सरकार क्या रही है, इसकी भी जानकारी मिलेगी।
सीएक्यूएम अधिकारियों के मुताबिक डैशबोर्ड पर सिर्फ कागजी एक्शन प्लान नहीं होगा बल्कि यह भी देखा जाएगा कि उस पर कितना काम हो रहा है और उसका परिणाम क्या निकल रहा है।
‘पवन’ के राडार पर फैक्टरियों और वाहनों का धुआं, निर्माण एवं ध्वस्तीकरण स्थलों की धूल के साथ साथ पराली भी रहेगी। फील्ड में रहने वाले सभी अधिकारियों के मोबाइल पर भी इस डैशबोर्ड का लिंक रहेगा। मतलब उन्हें नियमित रूप से लोकेशन के साथ इस पर रिपोर्ट अपलोड करनी होगी।
सीएक्यूएम के सदस्य सचिव तरुण पिथोड़े कहते हैं कि रीयल-टाइम डेटा, बेहतर विश्लेषण और एकीकृत निगरानी प्रणालियों का फायदा उठाकर, 'पवन' डेशबोर्ड सीएक्यूएम को भी त्वरित, निर्णायक और पारदर्शी तरीके से कार्य करने में सक्षम बनाएगा।

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